मैं चुद गई मेरे ममेरे भाई से शादी के बाद 02

कहानी का पहला पार्ट : मैं चुद गई मेरे ममेरे भाई से शादी के बाद 01


दीपू अभी भी अपने लंड को पकड़े हुए था।
यह क्या, तुमने उसे क्यों पकड़ा हुआ है?”


कहकर मैंने उसकी कलाई पकड़ी और हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।


नहीं दीदी, नहीं दीदी!” कहकर वो और जोर से अपने लंड को पकड़ लिया।
ठीक है, अगर हाथ नहीं हटाते हो तो फिर तुम मेरे कमरे से बाहर निकलो।”


इतना कहना था कि उसने अपना हाथ हटा लिया।
उसके रस से उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी और उसकी हथेली में भी उसका सफेद वीर्य लगा हुआ था।


यह तुमने क्या किया है? तुम्हारी चड्डी गीली क्यों है और तुम्हारे हाथ में यह सफेद सफेद क्या है?” मैंने उसके रस को सूंघते हुए कहा।


फिर अपनी नाक को हटाते हुए बोली- तुम मुठ मार रहे थे। इसका मतलब तुमने मुझे नंगी देख लिया है।
नहीं …”


अब आगे की कहानी :-


झूठ मत बोलो!” मैंने उसे टोकते हुए कहा.


कहते हुए मैं उसकी टांगों में बैठ गयी और इलास्टिक पकड़कर उसकी चड्डी उतारने लगी।
यह क्या कर रही हो दीदी?”


तुम्हारी सजा यही है। अब तुम नंगे ही सोओगे।” कहते हुए मैंने उसकी चड्डी उतार दी।


उसका लंड सिकुड़ चुका था। लंड के आस-पास हल्की हल्की झांट उगी हुयी थी।


उसके लंड को हिलाते हुए बोली- अच्छा, यह बताओ कि मुझे देखकर मुठ मार रहे थे या अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सोच कर?


वह उदास होता हुआ बोला- नहीं दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है।


मैं थोड़ा मुँह बनाते हुए बोली- इसका मतलब तुम जम्मू घूमने नहीं, बल्कि अपनी दीदी को चोदने आये हो।


नहीं दीदी, ऐसा कोई इरादा नहीं था … लेकिन जब आपको देखा तो …”
अरे मैंने ऐसी कौन सी हरकत कर दी कि तुझे लगे मैं तुझसे चुदने के लिये तैयार हूँ?”


न दीदी … आपकी खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गया और एक चान्स लेने का मन बनाया तो आपके साथ सो गया। आप जब मेरी बगल में लेटी तो मेरे आँखों में नींद ही नहीं थी।


एक तो आप इतनी खूबसूरत हो और दूसरा आपके जिस्म से आती हुयी महक मुझे मदहोश किए जा रही थी।


मैं तो बस यही सोचकर अपने लंड को दबाये बैठा था कि काश एक बार आपके जिस्म से सट जाऊँ और यही सोचकर मैंने आपके ऊपर अपनी टांगे रख दी।”


वो आगे बोला- जब आपने मेरी टांग को हटाते हुए मुझे डांटा. लेकिन उस डांट में वो सख्ती नहीं थी।


तो एक चांस मेरा और बन रहा था और दूसरी बार मेरा चांस बन गया. बल्कि आपने तो मुझे मौका दिया कि मैं आपकी गांड का मजा ले सकूँ।


वो कैसे?” मैंने पूछा।


अरे दीदी, अब आप भी इतनी भोली तो नहीं हो। आपने अपने पैर सिकोड़ कर और गांड को मेरी तरफ उठाकर!”


मैंने अपने दांत चबा लिये। साला हरामी ही नहीं, दिमाग भी लगा लेता है।


अच्छा दीदी … अब ये सब छोड़ो और अब अपने इस जिस्म के खूबसूरती के नंगे दर्शन करा दो ना!”


मुझे अब कोई आपत्ति नहीं थी।


लेकिन मैं बोली- तूने मुझे सुबह नंगी देखा तो था।


हाँ दीदी, छिपकर देखना का अपना एक अलग मजा है और सामने देखने का एक अलग मजा है। प्लीज दिखाओ ना!”


मैं बिना कुछ बोले बिस्तर पर खड़ी हुयी और अपनी ब्रा और पैन्टी को उतारने लगी।
अभी भी दीपू ने अपने लंड को दबाया हुआ था।


तुम अपने लंड को क्यों दबाये रहते हो”
साले में खुजली ज्यादा ही हो रही है।”


मेरे जिस्म को नंगा देखते ही वो घुटने के बल बैठ गया और अपने हाथों को मुँह में रखते हुए मुझे आंखें फाड़-फाड़ के देख रहा था।


मैं बैठने लगी तो बोला- नहीं दीदी, ऐसे ही खड़ी रहो!
कहकर वो मेरे पैर को चूमने लगा उसके बाद मेरी टांगों को बारी-बारी चूमते हुए सीधा हुआ जा रहा था.


फिर मेरी चूत को चूमता हुआ मेरे पीछे की टांग को चाटते हुए मेरे कूल्हे को चूमने के बाद कूल्हे को फैलाकर गांड में जीभ चला दी।


मैं तो गनगना चुकी थी, मेरी चूत से भी रस टपकने लगा था।


फिर वो चूत की तरफ आया और चूत में जीभ फिराते हुए मेरी नाभि को चूमते हुए मेरी चूचियों को बारी-बारी चूसते हुए अब मेरे होंठों को चूमा।


वो फिर मेरे गालों को चूमते हुए एक बार पीछे आकर मेरी पीठ को चूमते हुए एक बार फिर मेरी गांड को चाटने लगा।


मैं बोली- मेरे प्यारे भाई, मेरे पास चटवाने को चूत भी है, केवल गांड के पीछे ही क्यों पड़ा है?


दीदी, तुम्हारी गांड ने मुझे जो कल रात से नशा दिया है, वो अभी उतरा ही नहीं!”


अच्छा चल आ … अब तू सीधा खड़ा हो जा, मैं भी तुझे प्यार करती हूं।”


वो सीधा खड़ा हो गया और मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसके निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.


उसके वीर्य का स्वाद मुँह में आ रहा था।


वैसे भी मैं कुमार का वीर्य पीती ही हूँ इसलिये मुझे फर्क नहीं पड़ा।


मैं उसके पीछे यह सोचकर गयी कि जब दीपू मेरी गांड चाटकर मुझे मजा दे रहा है तो मैं भी उसको गांड चटाई का मजा दे दूं।


उसके कूल्हे को बारी बारी से काटते हुए कूल्हे को फैला दिया और जीभ की टिप को गांड में लगा दिया।
शीईई ईईई … दीदी क्या मस्त हो तुम!”


थोड़ी देर तक मैंने उसकी गांड में जीभ चलाते हुए उसे मजा दिया।


अब दीपू बोला- दीदी, अब मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है। उसके कहने पर मैं सीधी लेट गयी।


मेरी बगल में बैठते हुए मेरी चूचियों पर हौले से अपनी उंगलियो को चलाते हुए बोला- दीदी, पहले मूत लो तो चूत चाटने का मजा आयेगा।


मेरे मूतने से चूत चाटने का क्या मतलब है?” मैं बोली।
दीदी- मूतो ना प्लीज!


अच्छा तो तू मुझे मूतते हुए भी देखना चाहता है।”
हाँ दीदी, तुमको मूतते हुए देखना भी चाहता हूं और पेशाब लगी हुयी तुम्हारी चूत को चाटना भी चाहता हूँ।”


मैं उठती हुई बोली- तू इतना गंदा सीखा कहाँ से है?
बस अन्तर्वासना की कहानी पढ़-पढ़ कर!”


और बाथरूम में आकर चूत को उसके सामने करके मैं मूतने बैठ गयी।


दीपू बड़े ध्यान से मुझे मूतते हुए देख रहा था.


फिर अचानक उसने मेरी चूत के उपर हाथ रख दिया।
उसका पूरा हाथ मेरे पेशाब से गीला हो गया।


मैं कुमार के सामने भी मूतती हूँ लेकिन उसने कभी ऐसा नहीं किया।
यह मेरा पहला अनुभव था।


मैं खड़ी होती हुई बोली- तू सच बता … तूने इससे पहले किसी लड़की को नहीं चोदा है?


अपना हाथ चाटते हुए बोला- दीदी, आप विश्वास करो … तुम ही पहली लड़की हो जिसके साथ मैं ऐसा कर रहा हूँ।


मैं कहानी पढ़कर मुठ भी मारता हूँ लेकिन कभी अपने वीर्य को भी नहीं चाटा। पर पता नहीं आज मैं यह कैसे कर पा रहा हूँ और मुझे बड़ा मजा भी आ रहा है।


चल फिर मुझे अपनी गोदी में उठा और बिस्तर पर पटक … और मेरी चूत को चाटकर चोद!”
अपनी बांहें उसकी तरफ फैलाते हुए मैंने कहा- उसने मुझे झट से गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया।


मैंने अपनी टांगें फैला दी वो मुँह मेरी चूत में लगाकर चाटने लगा।
मेरे कहने पर वो 69 की पोजिशन में आ गया।


अब वो मेरी चूत चाट रहा था और मैं आइसक्रीम का गोला समझ कर उसके लंड को चूस रही थी।
कभी वो मेरे भगनासा को चूसता तो कभी अपने दाँतों से काटता!


मैं उसके लंड को कभी पूरा अपने मुँह के अन्दर लेती तो कभी उसके सुपारे से निकलती लेस पर जीभ फेरती।


थोड़ी देर बाद मैंने उसके कूल्हे पर चुटकी काटते हुए कहा- चल दीपू … अब तूने बहुत चूत और गांड चाट लिया अब अपने लंड का कमाल दिखा!


इतना सुनते ही वो मेरी टांगों के बीच आ गया और चूत से लंड को रगड़ते हुए लंड को अन्दर डालने की कोशिश करता रहा.


फिर थोड़ी देर बाद मैंने ही उसके लंड को पकड़कर मेरी चूत के मुहाने पर सेट किया और उसके लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया।


एक बार उसका लंड अन्दर गया कि उसने घोड़े जैसी रफ्तार पकड़ लिया।
दीपू बहुत तेज-तेज धक्के मार रहा था और मेरे मुँह से आह-ओह के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।


चूत ने पानी छोड़ दिया और दीपू अभी भी धक्के मारता रहा।
फच-फच की आवाज और मेरी आह ओह की आवाज से कमरा गूंज रहा था।


फिर उसने धक्का लगा छोड़ दिया और एक बार फिर 69 की पोजिशन में आकर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और खुद मेरी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा.


इधर उसके लंड ने भी अपना रस छोड़ दिया जिससे मेरा मुँह भर गया जो धीरे-धीरे मेरे गले में उतरता चला गया।


उस रात दीपू ने मुझे तीन राउन्ड चोदा। उसने मेरे जिस्म को चरम सुख दिया जो विगत कई दिन से पतिदेव के लंड के लिये तरस रही थी।


तो दोस्तों कैसे लगी यह ब्रदर सिस्टर की सेक्स स्टोरी? मुझे कॉमेंट करके बताएं।


धन्यवाद 


आपकी कामिनी 


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