होली की ठंडाई आंटी ने चूत पर टपका कर पिलाई!

Antarvasna Desi Sex Story में पढ़े क्यों आंटी ने Holi में चूत पर टपका कर मुझे ठंडाई पिलाई! जब भांग का नशा मुझे चढ़ा तो चुदाई का ताबड़तोड़ किस्सा बन गया!


मैं 3 साल पहले की आप बीती बता रहा हूं जो मेरे साथ हुई थी। यह लड़के और सेक्सी सब्जी वाली की चुदाई की कहानी है।मेरा नाम हरीश है और मैं Garam Kahani की Free Sex Stories नियमित रूप से पढ़ता हूं। 


मेरी उम्र 23 साल है और मैं एक छोटे से टियर 2 शहर में रहता हूं,मेरे शहर का नाम है इंदौर और मेरा रेहान सहन का इलाज है इंदौर के पास वाला एक कस्बा।


जहां सब्जी मंडी रोज सुबह लगती है और लोग अपनी-अपनी दुकानें सजाते हैं। यहां की जिंदगी बड़ी साधारण है, लोग सुबह उठकर चाय की थड़ी पर बैठते हैं, गप्पें मारते हैं और शाम को घर लौट आते हैं। 


मैं बी.कॉम के फाइनल इयर में पढ़ाई कर रहा हूं, मेरा College शहर से थोड़ा बाहर है, तो में बस से जाता हूं। 


मेरा जिस्म ठीक-ठाक है, हाइट 5 फुट 10 इंच है , मैं ज्यादा जिम-विम नहीं जाता लेकिन क्रिकेट खेलता हूं अपने लोकल ग्राउंड पर। अब मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता देता हूं। मेरे घर में मेरी मम्मी, पापा, छोटा भाई और मैं ही हूं। 


मेरे पापा एक छोटी सी दुकान चलाते हैं किराने की, मेरी मम्मी घर संभालती हैं और छोटा भाई अभी 12वीं में है।हमारे घर में 2 कमरे हैं, एक छोटा सा बाथरूम और साथ में रसोई। 


घर पुराना है, दीवारें थोड़ी सी सीलन वाली, लेकिन मोहल्ले में सब ऐसे ही रहते हैं।एक कमरे में मम्मी-पापा सोते हैं और दूसरे में मैं और भाई। 


यहां की कॉलोनी में लोग आपस में बहुत घुले-मिले रहते हैं, त्यौहारों पर बड़ा धूमधाम होता है। होली तो यहां की जान है, पूरी गली रंगों से सराबोर हो जाती है, लोग गुजिया बनाते हैं, ठंडाई पीते हैं और शाम को भांग की गोली खाकर नाचते हैं।


ये Sabzi Wali Aunty Ki Chudai Ki Kahani मार्च महीने की है, तब होली आने वाली थी। आप इस Antarvasna Holi Sex Story को Garam Kahani पर पढ़ रहे है। हमारे कस्बे में होली बड़े जोर-शोर से मनाई जाती है। 


लोग सुबह से ही पिचकारी लेकर घूमते हैं, लड़के-लड़कियां मिलकर रंग लगाते हैं, कभी-कभी तो बहाने से लड़के अपनी पसंद की भाभियों और आंटियों की गांड़ के अंदर तक भी होली खेल जाते है। 


होली के एक दिन पहले की बात है, शाम को होलिका दहन था।


पूरी कॉलोनी वाले इकट्ठे हुए, लकड़ियां जलाकर पूजा की गई और सब फिर घर लौट आए। सबने हाथ-मुंह धोया और सोने की तैयारी की। मम्मी-पापा अपने रूम में चले गए, भाई पहले ही सो गया था। 


मैं भी थका हुआ था, लेकिन सुबह की सब्जी वाली की याद आ रही थी।अब मैं आपको उस सब्जी वाली के बारे में बताता हूं। उसका नाम रानी है, उम्र करीब 40-45 साल होगी। 


वो हमारे मोहल्ले में सब्जी की दुकान लगाती है, सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक।रानी का फिगर कमाल का है, देखकर किसी का भी मन डोल जाए। 


उसकी चूचियां 34 साइज की होंगी, गोल-मटोल, टाइट ब्लाउज में से ऐसे उभरी हुई के देखकर लगता है अभी ब्रा फट जाएंगी। 


कमर 28 इंच की, बिल्कुल पतली लेकिन मजबूत, जैसे घड़ी की सुई। और गांड तो 36 इंच की, चौड़ी और उभरी हुई, चलते वक्त ऐसे मटकती है कि पूरा बाजार देखता रह जाता है। 


उसका रंग थोड़ा सांवला लेकिन चमकदार है, जैसे देसी घी में नहाई हो। बाल लंबे, काले और हमेशा जूड़े में बंधे रहते हैं।


 वो रोज़ साड़ी पहनती है, नीचे से पेटीकोट और ऊपर ब्लाउज, लेकिन गर्मी में ब्लाउज का गला थोड़ा नीचे होता है, तो चूचियों की सेक्सी दरार दिख जाती है। 


हमारे कस्बे में ऐसी औरतें कम हैं, ज्यादातर घरेलू टाइप, लेकिन रानी थोड़ी बोल्ड है, वो ग्राहकों से हंस-हंसकर बात करती है, कभी-कभी कामुक मजाक भी कर लेती है। 


मैं रोज उससे सब्जी लेने जाता हूं, बहाने से उसकी चूचियों को घूरता रहता हूं। वो भी ये जानती है, लेकिन कुछ कहती नहीं, बस आंखों को मिलाकर मुस्कुरा देती है।


उस शाम होलिका दहन के बाद जब मैं बाथरूम जाने लगा।रात को सोते वक्त मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं सोच रहा था कि कल होली है, मैने सोचा रानी भी होली खेलती होगी अपनी दुकान के पास। हमारे कस्बे में होली में सब्जी मंडी बंद रहती है, 


लेकिन लोग आस-पास घूमते हैं। मैंने सोचा कि कल रानी को मसलकर रंग लगाने का बहाना मारूंगा। ये Aunty Sex Story आप Garam Kahani पर पढ़ रहे हो।अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठा, सुबह ही से होली की धूम थी।


मम्मी ने गुजिया बनाई, ठंडाई तैयार की। मैं और भाई गली में निकले, दोस्तों के साथ रंग खेलने लगे। हमारे कस्बे की गलियां संकरी हैं, मिट्टी की सड़कें, जगह-जगह पानी के गड्ढे। 


लड़के-लड़कियां मिलकर पिचकारी चलाते हैं, कभी कोई लड़की का टॉप गीला हो जाता है तो अंदर की ब्रा दिख जाती है, 


कोई लड़की ब्रा नहीं पहनी होती तो निप्पल ही चमक जाते है। मैंने भी कुछ सहेलियों को चूची के अंदर तक रंग लगाया, लेकिन मेरा मन रानी पर अटका था। 


मैने दोपहर तक होली खेली, फिर थककर घर आया। बदन पर रंग लगा हुआ था, गुलाल चिपका हुआ। मैंने सोचा कि नहाने से पहले रानी की दुकान के पास घूम आऊं, शायद कुछ नज़ारा मिल जाए।


दिल में रानी को बसाकर मैं घर से निकला, मंडी की तरफ गया। मंडी बंद थी, लेकिन कुछ लोग अभी भी रंग खेल रहे थे। मुझे तभी दूर से रानी दिखी। वो अपनी दुकान बंद करके घर जा रही थी, 


लेकिन रंगों से सराबोर थी उसकी चूंची व गांड़ पर हाथों के रंगीन निशान बता रहे थे के मंडी के गनडियों ने अपने हिस्से के मज़े लूट लिए है। 


उसकी साड़ी गीली हो गई थी, ब्लाउज चिपक गया था चूचियों पर निप्पल के निशान दिख रहे थे। उसकी 34 साइज की चूचियां ऐसे उभरी हुईं कि निप्पल तक का आकार साफ दिख रहा था। कमर की 28 इंच की पतली लकीर पर साड़ी लिपटी हुई, 


और 36 इंच की गांड मटकती हुई। वो सांवली लेकिन सेक्सी लग रही थी, जैसे कोई देसी माल। मैंने उसे देखा और चिल्लाया, "अरे रानी आंटी, होली मुबारक!"


वो मुड़ी, मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली, "हरीश भैया, तुम भी होली मुबारक। उसने अपनी चूंची पर इशारा कर के कहा “आओ रंग लगाओ।" 


हमारे कस्बे में ऐसे ही बोलते हैं, भैया-दीदी कहकर। मैं पास गया, हाथ में गुलाल लिया और उसके गाल पर प्यार से लगाया। 


लेकिन बहाने से हाथ नीचे सरका दिया, फिर उसकी चूचियों पर छुआ। वो हंसी, "अरे भैया, क्या कर रहे हो? यहां सब देख रहे हैं।" 


लेकिन उसने मेरा हाथ नहीं हटाया। मैंने देखा कि उसके आस-पास कोई नहीं था, मंडी खाली थी। मैंने कहा, "आंटी, थोड़ा और रंग लगाऊं?" वो शरमाई लेकिन मुझे रोकी रही।


फिर हम दोनों ने रंग खेलना शुरू किया। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा, आंटी की 28 इंच की पतली कमर को सहलाया।


 उसकी गांड 36 इंच की थी, मैंने पीछे से छुआ तो वो कसमसाई। "भैया, घर चलो न, यहां डर लगता है" वो बोली। 


मैंने सोचा मौका है, हमारे कस्बे में ऐसे मौके कम मिलते हैं। रानी का घर मंडी के पास ही था, वो बस एक छोटा सा कमरा था, जहां वो अकेली रहती थी। 


सुना था उसका पति गांव चला गया था, दोनों का तलाक हो गया था। मैं उसके साथ चला गया। हम उसके घर पहुंचे, वहीं छोटा सा कमरा, जहा एक बेड, रसोई का कोना और बाथरूम था।


कमरे की दीवारें पुरानी थी, प्लास्टर उखड़ा हुआ, लेकिन कमरा साफ-सुथरा था। वो बोली, "भैया, बैठो बैठो, ठंडाई पियोगे?" 


मैंने हां कहा। वो ठंडाई लाई, लेकिन मैंने देखा उसमें भांग मिली हुई थी, हमारे में होली में भांग आम है। हमने पी, और खूब मस्ती में बातें करने लगे। 


रानी की चूचियां गीले ब्लाउज में से चमक रही थीं, 34 इंच की, गोल, जैसे दो बड़े संतरे।मैंने कहा, "आंटी, तुम्हारा हुस्न कितना अच्छा है, 34-28-36 तो होगा न?" 


वो हंसी, "अरे भैया, तुम्हें कैसे पता? हां, वैसा ही है। लेकिन तुम ऐसे क्यों देख रहे हो?"मुझ पर भांग का असर होने लगा, मैं गर्म हो रहा था। मैं उसके पास जाकर बैठ गया अपना हाथ उसकी कमर पर रखा। उसकी कमर इतनी पतली कि पूरे हाथ में आ गई। 


वो मेरी बात नहीं मानी, लेकिन विरोध भी नहीं किया। मैंने उसके ब्लाउज पर हाथ फेरा, मोटी मोटी चूचियों को दबाया। ये Xxx Desi Sex की Antarvasna Chudai Ki Kahani आप Garam Kahani पर पढ़ रहे है।


वो सिसकारी, "उम्म्ह, आआह । भैया, क्या कर रहे हो? मैं सब्जी वाली हूं, तुम्हारा क्या?" लेकिन उसकी आंखें बंद हो गईं। मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया, देखा तो अंदर ब्रा नहीं थी, आंटी की पूरी चूचियां नंगी हो गईं। 


आंटी के निप्पल भूरे थे वो कड़े हो चुके थे। मैंने उन्हें मुंह में लिया, एक सुर में जोर से चूसा।रानी की सांस तेज हो गई, "अहह, उफ्फफ! हरीश, मजा आ रहा है।"


फिर मैंने उसकी साड़ी खोल दी, आंटी का पेटीकोट नीचे सरका दिया। उसकी चूत साफ थी, शायद शेव की हुई थी, सांवली लेकिन गुलाबी होंठ। 


उसकी चूत देखकर मुझे पता चला गुलाबी रंग लड़कियों का नहीं बल्कि लड़कों का ज़्यादा पसंदीदा होता है।


उनकी गांड 36 इंच की जो मैंने पीछे से दबाई। वो बोली, "आअआअहफ़! भैया, आज होली है, जो मन करे करो।" 


मैंने अपना लंड बाहर निकाला, मेरा लन्ड 7 इंच का मोटा सांप है। वो देखकर आंटी बोली, "वाह, कितना बड़ा है।" 


मैंने उसे बेड पर लिटाया, उनकी टांगें फैलाईं। आंटी चूत गीली हो चुकी थी,मैंने गीली चूत पर जीभ लगाई तो वो सिहर गई मैने वो काली गुलाबी चूत को खूब चाटा। 


रानी तड़पने लगी, "ओह, सईअस्स चाटो भैया, अच्छा लग रहा है।"फिर मैंने लंड चूत पर रगड़ा, आंटी अब भड़कने लगी “आआह! उम्मम! डालो आह डालना उन्होंन्ह! मैने चूत में लन्ड को धक्का दिया।


वो तड़पी "आह्ह! अआआह, दर्द हो रहा है," वो चीखी, लेकिन मैं नहीं रुका। लन्ड चूत के अंदर गया, आंटी की चूत टाइट थी। मैंने और तेज़ धक्के लगाए, में धक्के लगाता रहा वो आह्ह! अआआह हम्मम आआह !


आह्ह! अआआह हम्मम, 


हम्मम आआह !


आह्ह! अआआह हम्मम, करते हुए सिसक रही थी।उनको मैने पूरे 30 मिनट तक चोदा। रानी की मस्त चूचियां उछल रही थीं, मोटी गांड हिल रही थी। आखिर में मैंने वीर्य चूत के अंदर छोड़ दिया। उस रात हमने दो बार सेक्स किया।


उसके बाद रानी ने मुझे गले लगा लिया, हम दोनों काफी देर नंगे लेटे रहे।मैंने उसकी चूचियों को फिर से सहलाया, आंटी की चूचियां इतनी मुलायम थी के मेरा हाथ फिसल रहा था। 


रानी बोली, "भैया, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, मेरी चूत फैल गई।"उसने मुझे बताया हमारे कस्बे में ऐसी बातें छुप-छुपकर होती हैं, लेकिन होली में सब माफ होता है। 


मैंने कहा, " तुम्हारा जिस्म देखकर तो कोई भी पागल हो जाए। 34 की चूचियां, 28 की कमर, 36 की गांड, जैसे बॉलीवुड की कोई हीरोइन।"


फिर हमने ठंडाई और पी, आंटी ने चूत पर टपका कर मुझे ठंडाई पिलाई, भांग का नशा मुझे जोर से चढ़ा। रानी ने मेरे लन्ड को हाथ में लिया, उन्होंने प्यार से मुझे सहलाया। "भैया, चूसूं?" वो बोली। 


मैंने हां कहा, वो लन्ड मुंह में ले ली, फिर मस्ती से चूसी। पहली बार किसी सब्जी वाली से ऐसा मजा मिला। उसके बाद मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा, उसकी गांड पीछे से दबाई।


मैने जोर शोर से धक्के लगाए, पूरे कमरे में पच-पच आवाज आई। रानी सिसकारियां ले रही थी, "फाड़ दो मेरी चूत, हरीश।"


करीब 2 घंटे हमने चुदाई भाई होली खेली, फिर मैं घर लौटा। अगले दिन उसकी चाल ढीली थी, लेकिन उसे देखकर मजा आया। उसके बाद मैं रानी से कई बार मिला।


तो दोस्तों ये Aunty Ki Antarvasna Chudai Ki Kahani आपको कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताएं!


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