मैं चुद गई मेरे ममेरे भाई से शादी के बाद 01

Bhai Bahan Ki Chudai : कहानी मेरे ममेरे भाई के साथ चुदाई की है, वो मामा मामी के साथ मेरे घर कुछ दिन रुका था तभी हमारी वासना से यह जबरदस्त चुदाई का खेल हो गया । 


हाय दोस्तो,


मैं गरमकहानी डॉट कॉम की एक नियमित पाठिका हूँ।


मुझे इस साइट में अन्तर्वासना सेक्स की कहानियाँ पढ़ने में बड़ा मजा आता है क्योंकि मेरी चूत की चूल जो है वो बिना खुजली मिटाये नहीं जाती है।


इसलिए मैं इन एरोटिक कहानियाँ पढ़कर उत्तेजित होते हुए अपनी चूत में उंगली करके उस चूल को मिटाती हूँ।


ना ना … इस पोर्न सिस्टर ब्रदर सेक्स कहानी को पढ़कर आप लोग यह मत सोचियेगा कि मैं आप लोगों से चुदने को तैयार हूं और आप लोग मुझे चोदने के लिये रिक्वेस्ट भेजना शुरू कर दें।


मुझे मेरा पति ही मस्त चोदता है।
अरे वो एक आर्मी वाला है। उसका नाम कुमार है। जब भी वो आता है, मेरी मस्त चुदाई करता है। मेरी चूत और गांड की एक एक रग ढीली कर देता है।


मैं तो बस आप लोगों के साथ अपने साथ हुई एक घटना को शेयर करना चाहती हूँ इसलिये मैं इस कहानी को लिखने बैठ गयी।


ओह सॉरी, मैं तो अपना परिचय देना ही भूल गयी।


तो दोस्तो, मेरा नाम कामिनी है। मेरा फिगर 34C-30-34 है।


मेरा पति मुझे टाईट स्लेक्स और टॉप में देखना पसंद करता है।
जब तक वो टाईट स्लेक्स में मेरी चूत और गांड की फांको के दरार को नहीं देख लेता, मानता ही नहीं।


और मैं अपने पति से इतना प्यार करती हूं कि वो मुझे जैसे देखना चाहे मैं वैसे ही रहती हूँ।
हम दोनों बिस्तर पर पूरी रात नंगे ही रहते हैं।


मैंने कई बार कहा कि चुदाई के बाद मैं कपड़े पहन लूं, तो यह कहते हुए मना कर देता है- पता नहीं मेरा लंड कब तुम्हारी चूत में जाना चा-हे!


चलिए ये तो बात रही मेरी और मेरे पति की।
अब मैं बात बताती हूँ जो घटना मेरे साथ घटी।


हुआ यूँ कि एक बार मेरे दूर के मामा-मामी जम्मू घूमने के लिये आये तो मेरे यहाँ ही रूक गये।
उनके साथ उनका जवान होता बेटा दीपू भी था।


इतेफॉक से उस समय मेरे पति ड्यूटी पर थे।


मेरा फ्लैट टू रूम सेट है। एक रूम में मामा-मामी को शिफ्ट कर दिया और दीपू, मामी का बेटा, को मैंने ड्राइंगरूम में सोने की व्यवस्था कर दी।


दिन के समय उसने कोई आपत्ति नहीं की. लेकिन जैसे ही रात को खाना खाने के बाद सोने का समय आया, तो वो जल्दी से मेरे बेड पर चढ़कर लेट गया।
यहाँ देखने वाली बात यह है कि वो पूरे दिन मेरे आगे पीछे घूमता रहा।


मैंने उसे मेरे कमरे से निकलने के लिये बोला, तो बहुत बहाने बाजी करते हुए मुझसे रिक्वेस्ट करने लगा- दीदी, मुझे यहीं सोने दो, बाहर सोफे पर मुझे नींद नहीं आयेगी।
मैं बड़ी असंमजस में पड़ गयी।


एक तो वो जवान होता लड़का और दूसरा मेरी आदत इतनी खराब हो गयी थी कि अब कपड़े पहनने के बाद नींद नहीं आती.
जब पति आते हैं तो चुदाई का भरपूर मजा आता है।


लेकिन जब वो नहीं होते है तो अपने हाथों को दोनों जांघों के बीच फंसाकर चूत से खेलती रहती हूँ, इसी खेला खेली में नींद आ जाती है।


लेकिन दीपू जिद करने लगा.
तो मैं क्या करती, तो मैंने उसे अपने ही बेड पर सुला लिया।


मैं भी कुर्ती पजामी में लेट गयी.
पर नींद मेरी आँखों से गायब थी।


इस बीच मैंने करवट बदल ली और मेरी गांड दीपू की तरफ थी.


मैं धीरे-धीरे अपनी चूत के साथ खेल रही थी।


यही कोई आधा घण्टा बीता होगा कि मेरी कमर पर दीपू ने अपने पैर को चढ़ा लिया और हाथ को मेरी पेट पर टिका दिया।
मैं झुंझला गयी और झटके से उसको धकेलते हुए डाँट लगाने लगी- क्या हो रहा है?


दीपू सकपका गया और सॉरी बोलते हुए मुझसे दूर हो गया।


एक बार फिर मैं सीधी लेट गयी और अपने विचारो में उलझ गयी।
मुझे याद आया कि कुमार भी तो इसी तरह मेरे उपर अपनी टांग को चढ़ा लेता है और लंड को गांड की दरार से रगड़ता है।


इसी बीच मेरी नजर दीपू पर पड़ गयी जो मेरी तरफ मुँह करके सोने का नाटक कर रहा था।
मैंने पल भर उसे देखा और एक बार फिर करवट लेकर मैंने अपना पिछवाड़ा दीपू की तरफ कर दिया।


मेरे दिमाग में खुरापात चल रही थी; आँखों से नींद कोसों दूर थी। यौन उन्माद के आनन्द में मैं डूब जाना चाहती थी.
काफी समय बीत गया तो मैं बेचैन होने लगी।


मैं दीपू को देखने के लिये पलटने ही वाली थी कि तभी उसका पैर मेरे ऊपर आ चुका था।
एक गुदगुदी सी मेरे मन में मचने लगी।


मैं सांस रोककर उसकी हरकतें समझना चाह रही थी।


धीरे से वो मुझसे और सट गया और उसने एक हाथ मेरी चूची पर रख दिया और कुछ सेकंड के अंतराल पर हल्के से मेरी चूची को दबा देता.
जैसे ही मेरे जिस्म में हरकत होती, वैसे ही वो हल्का सा खुद को मुझसे अलग कर लेता।


ऐसा कुछ देर चलता रहा और मैंने अपने आन्न्द के लिये अपने जिस्म को स्थिर कर लिया।


अब उसका हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था और उंगलियाँ मेरी गांड की दरार को भेदने के लिये मचल रही थी।


फिर वह अपने लंड को मेरे चूतड़ पर रगड़ने लगा।


कुछ देर तक वो लंड को मेरे चूतड़ से रगड़ता ही रहा. फिर अचानक उसने अपना पैर मेरे ऊपर से हटा लिया।
मुझे लगा कि उसका माल निकल गया.


पर 2-3 मिनट इंतजार करने के बाद भी मुझे उसके रस का गीलापन अपनी गांड पर महसूस नहीं हुआ।
लेकिन अगले ही पल मुझे लगा कि वो अपनी जीभ मेरी गांड पर चला रहा था।


वाओ … बहुत बड़ा हरामी निकला ये दीपू तो!
कमीना अपनी बहन की गांड चाटने का मजा ले रहा है।


मैंने भी मजा लेने के लिये और उसकी सुविधा के लिये अपने एक पैर को सीधा किया और दूसरे पैर के घुटने को अपनी छाती तक इस तरह मोड़ लिया कि वो अच्छे से अपनी जीभ मेरी गांड पर चला सके।


मेरी हलचल की वजह से दीपू थोड़ा हड़बड़ा गया होगा लेकिन थोड़ी देर बाद ही वो एक बार फिर चूतड़ों की दरार पर जीभ चलाता रहा। और हल्के हाथ से कूल्हे को सहला भी रहा था। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।


कुछ देर बाद उसने अपने पैरों को एक बार फिर मेरी कमर के ऊपर टिका दिया और लंड को गांड के आसपास रगड़ने लगा।
कोई 2-3 मिनट बीते होंगे कि मेरी सलवार चिपचिपाने लगी।


अभी भी मैं उसी तरह लेटी रही क्योंकि मेरे हिलने से सारा मामला गड़बड़ हो सकता था।


कोई आधे घंटे बाद मैंने करवट ली, देखा तो दीपू दूसरी तरफ करवट करके सो रहा था।


फिर मैं उस जगह को छूने लगी, जहाँ उस हरामी दीपू ने अपने लंड का लावा छोड़ा था. मैंने उंगलियों में उसके रस को लिया और सूंघ कर उसको अपनी जीभ पर लगाया।
लंड के रस को मुंह में लेना मेरे लिये आम बात थी क्योंकि कुमार भी चोदने के बाद अपना रस पिलाता था और मेरी चूत के रस को चाट जाता था।


अब मेरे दिमाग में एक खुरापात आयी, मैंने कैमरा निकाला और उसको सेट करके चालू कर दिया।
मैं उसकी हरकत देखना चाह रही थी।


कैमरा सेट करने के बाद मैं वापिस लेट गयी.
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गयी।


सुबह उसी ने जगाया।
एक अल्हड़ सी अंगड़ाई लेते हुए मैंने उसे देखा।


चाय का प्याला लिये हुए वो मुझे घूरे जा रहा था।
उसकी नजर मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर टिकी थी।


मैंने चुटकी बजायी और उससे पूछा- दीपू, क्या देख रहा है?
कुछ नहीं दीदी!” कहते हुए वो मुझे चाय का प्याला पकड़ा कर तेजी से कमरे से निकल गया।


उसकी यह नजर मुझे अन्दर तक भेद गयी।
रात की उसकी हरकत से मुझे समझ में आ गया था कि हरामी जब से आया था, मेरे आगे-पीछे क्यों घूम रहा था. साला मेरी चूचियों, चूत की कल्पना में खोया हुआ था।


मैंने चाय खत्म की और बाथरूम में घुस गयी।


नहा धोकर मैं जब निकली तो मैंने दीपू को तेजी से मेरे कमरे के बाहर जाते हुए देखा।
उस समय मैं तौलिया लपेटे हुयी थी।


मैं मुस्कुराई.
वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए देख रहा था.


अब मैंने जानबूझकर कमरे का दरवाजा नहीं बन्द किया। मैं उसको अपना नंगा जिस्म दिखाना चाहती थी ताकि वो और उत्तेजित हो।


मैं इस तरह खड़ी थी कि मेरी नजर दरवाजे को अच्छे से देख सके।


अनुमान के अनुसार मैंने दीपू को पर्दे के पीछे से झांकते हुए देखा.
उसकी नजर एक गिद्ध की तरह मुझ पर ही टिकी थी कि कब मैं अपने जिस्म से टॉवेल को हटाऊँ और वो मेरे गोरे-गोरे जिस्म को देख सके।


मैं रिझाने के लिये टेबल पर बैठ गयी और अपने बाल को सुलझाने लगी।
वो शायद अपने ख्यालो में नंगा देख रहा था तभी तो अपने कैपरी के ऊपर से ही लंड को मसले जा रहा था।


मैं अपने मन में खुश हो रही थी।
उसको और तड़पाने के लिये मैंने तौलिया खोल दिया।


मेरे चूचियाँ तो आजाद हो गयी पर नीचे का हिस्सा अभी भी छुपा हुआ था।
उसकी नजर में एक चमक सी आ गयी थी। उसे उम्मीद हो चुकी थी कि वो मुझे पूरी नंगी देख लेगा।


मैंने अपना समय लेते हुए बालों को सुलझाया और फिर एक झटके से खड़ी हुयी और तौलिया मुझसे अलग हो गया।


मैं इठलाती हुयी दीपू को अपने नंगे जिस्म का दर्शन करा रही थी.
वो बेचारा समझ रहा था कि वो मुझे चुपके से देख रहा था।


उसको तड़पाते हुए मैंने बहुत ही इत्मीनान से अपने कपड़े पहनने शुरू किया।


उसके बाद मैंने सबके लिये नाश्ता लगा दिया।


उसके बाद मामा-मामी घूमने जाने के लिये तैयार होने लगे।


मैं भी अपने कमरे में आ गयी.
मैं तो तैयार थी, बस मैंने अपना लेपटॉप उठाया और बेड पर बैठकर दीपू की हरकत देखने के लिये वीडियो देखने लगी।


ज्यादा कुछ नहीं था। पूरी रात वो मुझसे चिपककर ही सोया, पर सुबह जब मैं नहाने गयी तो वो मुझे होल से झांककर देख रहा था।
कुछ खास था नहीं … तो मैंने लेपटॉप बन्द कर दिया।


तभी दीपू तेजी से कमरे में घुसा और मेरे बाथरूम में घुस गया।


मैं मुस्कुराई, मैंने अपनी पैन्टी और ब्रा को वहीं छोड़ दिया था।


बस देखना बाकी था कि वो क्या करता है।


मैंने होल से झांकना शुरू किया।
ये क्या?
साला मेरी पैन्टी और ब्रा को बारी-बारी से सूंघते हुए मूठ मारे जा रहा था।


फिर उसने पैन्टी को अपने लंड पर लपेट लिया और फिर सरका मारने लगा.


उसके बाद एक बार फिर वो पैन्टी को सूंघ रहा था और बाद उस पैन्टी से अपनी गांड साफ करने लगा और फिर सूंघने लगा।


अब जाकर मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी। वो बड़ा और हैवी था।


फिरमैंने देखा कि वो मेरी पैन्टी को वो किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था।
छी: … क्या कर रहा है … पैन्टी चाट रहा है।


एक बार फिर वो पैन्टी और ब्रा को उलट-पलट कर बड़े ध्यान से देखने लगा।


उसके बाद उसने मेरे दोनों अन्डर गार्मेन्टस को बारी-बारी से पहना और फिर शीशे में अपने आपको घूम-घूम कर इस प्रकार देखने लगा जैसे कोई नई नवेली दुल्हन सजने के बाद खुद को देखती है।


उसकी इस हरकत को देखकर लगा कि ये लड़का कहीं पागल तो नहीं है।


इधर मामा-मामी की आवाज आने लगी थी।


मैंने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया और उसको बाहर आने के लिये बोला।


उसके बाद हम सब घूमने के लिये निकल गये।


रात को आते-आते काफी देर हो गयी थी इसलिये डिनर बाहर ही कर आये थे।


मामा-मामी सोने के लिये चल दिये और दीपू फिर से मेरे कमरे में घुस गया।
मैं बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली- तू बाहर जाकर सो!


पर साले का लंड देखकर मैं भी पगला गयी थी; नये खून और नयी जवानी का लड़का था।
वैसे भी पतिदेव को ड्यूटी पर गये हुए कई दिन बीत गये थे, मेरी चूत भी खुजला रही थी।


क्यों क्या हुआ दीदी?”
कुछ नहीं … बस ऐसे ही!”


प्लीज दीदी मुझे बाहर सोफे पर नींद नहीं आयेगी।”
और अगर तू यहां लेटा तो मुझे नींद नहीं आयेगी।”
क्यों क्या हुआ दीदी? मैंने कुछ गलती कर दी?”


शायद उसको लगा कि कल रात वाली हरकत की वजह से मैं उसको मना कर रही हूँ।


नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं रात को गाऊन में सोती हूँ और तेरे सामने गाऊन में सोना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगेगा।”
बस इतनी सी बात आप गाऊन में सो जाओ, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।”


उसकी बातों से लगा कि साला मुझे चोदे बिना नहीं मानेगा।


तभी वो मेरी तंद्रा भंग करते हुए बोला- दीदी, इस पैन्ट-शर्ट में कल रात मुझे भी नींद नहीं आयी। अगर तुम कहो तो, मैं भी अन्डरवियर और बनियान में लेट जाऊँ।
हरामी मेरी चूत में अपना लंड डालकर ही मानेगा।


इससे पहले मैं कुछ बोलती, उसने अपने कपड़े उतारे लिये अब उसके जिस्म में अंडरवियर और बनियान था.


फिर मेरी तरफ देखते हुए बोला- दीदी तुम भी चेंज कर लो।
मैं दो मिनट तक उसे देखती रही कि वो अब बाहर जाये लेकिन बेशर्म बोला – अरे दीदी, तुमने अभी तक चेंज नहीं किया?


भो … गाली तो लगभग निकल ही गयी थी लेकिन अपने को काबू में करते हुए बोली – अरे तू पहले तो बाहर जा!
ओह हाँ!” सकपका गया और बाहर जाने के लिये कमरे से निकला ही था कि पलट कर वापिस आ गया।


क्या हुआ?” मैंने पूछा।


तो बोला- मम्मी बाहर हैं। अगर मुझे इस तरह देख लिया तो बहुत डांटेंगी।
कहते हुए उसने दरवाजा बन्द कर दिया।


तब ठीक है, जब तेरी मम्मी कमरे में चली जायेगी और तू बाहर जायेगा तब मैं चेंज करूंगी।”
अब आपकी मर्जी, मुझे तो नींद आ रही है, मैं तो चला सोने!”


कहते हुए वो पलंग पर लेट गया और और आंख भींचते हुए बोला- लो दीदी, अब बदल लो, मैंने अपनी आंखें बन्द कर ली हैं।


धत् … चल पलटी मार!” मैं जानबूझकर बोली क्योंकि सामने की तरफ ड्रेसिंग टेबिल थी, वो मुझे अच्छे से देख सकता था।


मैं उसको अपना जिस्म दिखाना चाह रही थी लेकिन ऐसे कि उसको मजा भी मिले और तड़पे भी!


ठीक है दीदी, अब जैसा तुम बोलो!”
हाँ चलो पलटो … और अपनी आंख बिल्कुल मत खोलना!”
ठीक है!” कहते हुए उसने करवट ले ली।


आज की रात मैंने चुदने का मन में ठान लिया था इसलिये उसको उसकाते हुए बोली- दीपू आंखें मत खोलना!
नहीं दीदी, बिल्कुल नहीं खोलूंगा।”


लेकिन दर्पण में वो मुझे बहुत उत्सकुता से देख रहा था और उसका हाथ उसके लंड के ऊपर था।


मैंने अपना टॉप उतारा और शीशे पर नजर गयी तो देखा कि उसकी आँखों में एक चमक थी।
उसके बाद मैंने बेलबॉटम को उतार दिया और फिर पैन्टी के अन्दर उंगली डालकर पैन्टी को एडजस्ट करने लगी।


वो तड़प तो गया होगा!
उसकी मुट्ठी जो उसके लंड को मसल रही थी।


फिर मैं घूम गयी और अलमारी से अपने गाउन को निकालने का उपक्रम कर रही थी ताकि वो मेरा पिछवाड़ा भी अच्छे से देख सके।


इत्मीनान से मैंने अपना गाउन निकाला और पहननते हुए शीशे की तरफ देखने लगी।


दीपू अपने लंड को बहुत तेज-तेज मुठ मार रहा था। हाथ की गति इतनी तेज थी कि लग रहा था कि दीपू चरम सुख पर पहुँच गया है।


मेरे पलंग में जाने से पहले ही वो अपने चरम सुख को पा चुका था।
दीपू शिथिल हो चुका था।


मैं उसके बगल में लेट गयी और बोली- दीपू, तू अब आंखें खोल सकता है।


साले की गांड फट रही थी।
मैंने उसे तेजी से झकझोरते हुआ पूछा- सो गया है क्या तू?
कहते हुए मैंने उसे पलट दिया।


दीपू अभी भी अपने लंड को पकड़े हुए था।
यह क्या, तुमने उसे क्यों पकड़ा हुआ है?”


कहकर मैंने उसकी कलाई पकड़ी और हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।


नहीं दीदी, नहीं दीदी!” कहकर वो और जोर से अपने लंड को पकड़ लिया।


ठीक है, अगर हाथ नहीं हटाते हो तो फिर तुम मेरे कमरे से बाहर निकलो।”


इतना कहना था कि उसने अपना हाथ हटा लिया।


उसके रस से उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी और उसकी हथेली में भी उसका सफेद वीर्य लगा हुआ था।


यह तुमने क्या किया है? तुम्हारी चड्डी गीली क्यों है और तुम्हारे हाथ में यह सफेद सफेद क्या है?” मैंने उसके रस को सूंघते हुए कहा।


फिर अपनी नाक को हटाते हुए बोली- तुम मुठ मार रहे थे। इसका मतलब तुमने मुझे नंगी देख लिया है।
नहीं …”


आगे कि स्टोरी  : मैं चुद गई मेरे ममेरे भाई से शादी के बाद 02


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