सहेली की चुदाई के लिए की कॉल बॉय का जुगाड़!

Bhabhi Sex With Call Boy : किस तरह मैने अपनी दोस्त रीमा की चुदाई का इंतज़ाम एक कॉल बॉय से करवाया! और उन्होंने सबसे पहले मज़ा सिनेमा हॉल में लिया! ये उस कॉल बॉय के लिए भी पहला काम था पढ़िए और अपनी Antarvasna को शांत कीजिए।


कैसे हो आप? मेरा नाम रोज़ी है, आम तौर पर हाशमी आप लोगो को कहानी सुनाता है, लेकिन ये कहानी आज मैं सुनाऊंगी मैं कौन हूं


ये बात पुराने पाठक अच्छे से जानते है और जो नहीं जानते उनको में अपना प्यार भरा परिचय दे देती हूं।


मेरा नाम रोज़ी है मैं उत्तर प्रदेश के रामपुर से 25 किलोमीटर दूर रहती हूं, दिखने में एक अच्छी कामुक औरत हूं।


मेरे पति मुझे छोड़ कर अपनी प्रेमिका के साथ भाग गए, लेकिन मेरी सांस ने मुझे माँ जैसा प्यार दिया और मेरे पति की प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दी, मेरे लिए वो माँ समान ही है और हम अब साथ रहते है।


मैं चाहे कितनी भी अच्छी इंसान बनू लेकिन हूं तो औरत ही, मेरी जिस्मानी ज़रूरत व मानसिक तनाव के चलते मेरे सम्बन्ध हाशमी से बन गए हाशमी की वजह से मेरा साइज बढ़ गया वरना पहले मेरा साइज 36, 24, 36 था।


ये सब कैसे हुआ ये जानने के लिए GaramKahani.com पर भाभी ने लन्ड चूसकर मज़ा दिया वाली कहानी पढ़े।


ये कहानी हाशमी की है जब मेरी एक सहेली के टूटते घर को बचाने के लिए मैने हाशमी को अपनी सहेली के पास कॉल बॉय बनाकर भेजा था और उसकी चुदाई कराई थी


तो समय न गवाते हुए कहानी शुरू करती हूं।


एक रात मेरे पास मेरी स्कूल की सहेली रीमा का फोन आया वो बहुत रो रही थी। 


मैने घबराते हुए उससे पूछा “ बहन क्या बात है?”


तो उसने बताया की उसका पति सीधा है मैने पूछा सीधे से किया मतलब?


तो वो बोली “उसके पति को बिल्कुल समझ नहीं की पत्नी के करीब कैसे आते है, वो बस आता है लन्ड डालकर पानी छोड़ता है फिर हट जाता है।”


वो रोना बंद नहीं कर रही थी तो मैने उसे समझाने के लिए अपने घर बुला लिया।


अगली सुबह 11 बजे वो मेरे पास आ गई, वो रो रही थी उसके गाल पर थप्पड़ के निशान थे मैने उसको पूछा के ये सब कैसे हुआ।


रीमा ने बताया की उसके रिश्तेदारों ने अमीर घर का लालच देकर उसके मम्मी पापा को शादी के लिए मना लिया और घर वालों की बात मान कर उसने शादी कर ली।


लेकिन लड़का बहुत सीधा है आसानी से किसी की भी बातों में आ जाता है उसका परिवार भी कुछ खास पढ़ा लिखा नहीं है। उसने B.A कर लिए तो खुद को तीस मार खान समझता है।


घर वाले उसकी सरकारी नौकरी का इंतज़ार कर रहे है, वो मुझे बुरी तरह चोदता है मारता है पीटता है।


उसकी बाते सुनकर मैने उसे कहा तलाक लेले, मगर उसने मना कर दिया उसका कहना था कि उसका खुद का परिवार आर्थिक तौर पर ऐसा नहीं है कि मेरा ख्याल रखले।


मेरे रिश्तेदार मुझे नौकरी नहीं करने देंगे क्योंकि ससुराल में पैसे की कमी नहीं है आखिर शादी तो उसी लालच में हुई थी।


मैने उससे थोड़ा साफ साफ पूछा कि वो क्या चाहती है?


तब उसने बोला “मैं बस अपनी लाइफ में किसी ऐसे को चाहती हूं जो मुझे कुछ पल अपनेपन का सुख दे, मेरा रोना सुने, मुझे सहलाए मुझे वो प्यार दे जो एक औरत चाहती है।”


मैं उसकी परेशानी समझ गई ये परेशानी बस एक औरत ही समझ सकती है।


मैने उसे उस दिन अपने घर ही रुकने को बोला, वो मेरी सांस से घुल मिल गई मेरी सासू मोम सच में बहुत अच्छी है बस उनको बेटा नालायक मिला।


मेरी सहेली काफी खूबसूरत है उसकी आँखें भूरी और चमकीली है नर्म रेशमी से बाल गोरा व लम्बा चेहरा उसके गले से उठती हड्डी उसके चेहरे हो कामुक बना देती थी।


वो हमेशा हील पहनती जिसमें वह बहुत सेक्सी लगती उसका फिगर मेरा जैसा ही था।


दोपहर को हाशमी का मैसेज मेरे फोन पर आया कि उसको पैसे की ज़रूरत है हमारे बीच में दोस्तो वाली उधारी चलती रहती थी।


तभी मेरा माथा ठनक गया, मैने रीमा को बुलाया उसको अपने साथ कमरे में ले गई।


फिर उसको बोली “एक काम करले मेरे पास एक लड़का है उसे पैसे की ज़रूरत है अगर तू उसकी ज़रूरत पूरी कर सके तो वो तेरे दिल को अच्छे से संभाल लेगा।”


उसने मुझसे मना कर दिया कि वो ऐसा कुछ नहीं करेगी उसे सच्चा प्यार चाहिए मैने उसे चपत लगा कर कहा “सच्चे प्यार वाले के साथ तू घर नहीं बसा सकेगी तब क्या करेगी जब वो तुझसे प्यार का बदला मांगेगा।”


उसने सोचने के लिए समय मांगा उस रात वो मेरे पास ही सोई सोते हुए बीच रात को मेरी आँख खुली रोज़ इस समय आम तौर पर मैं हाशमी के लोड़े की सवारी करती हूं लेकिन उस रात मेरे साथ रीमा थी।


वो मेरे बगल में लेटी थी मेरी चूत में बेचनी होने लगी, रीमा मेरी नाइटी पहने हुए थी मगर उसने पैंटी नहीं पहनी थी।


मुझसे रहा नहीं गया उस रात मैने उसके पूरे जिस्म को चूमकर स्वाद लिया और उसकी चूत को चूसते हुए अपना तकिया बनाकर चूत पर गाल रखकर सो गई।


मुझे मालूम था वो मान जाएगी इसलिए मैने पहले ही हाशमी को सारी बात बता दी थी, मुझे हाशमी पर भरोसा था क्यों की उससे चुदाते हुए मुझे 1 साल से ज़्यादा हो चुका था।


हाशमी औरतों के दिल को अच्छे से समझता था उनकी ज़रूरत चाहे जज़्बाती हो या जिस्मानी हाशमी दोनों पूरी कर पाता था।


उसको मुझे मनाने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो आसानी से मान जाता, एक मस्त माल औरत को चोदने मिले साथ में पैसे भी मिले तो कौन सा मर्द मना करेगा।


लेकिन हर मर्द दिल के दर्द को कम नहीं कर सकता ये बात मैने हाशमी से मिलकर जानी।


अगली दोपहर हम तीनों ने मिलने का प्लान बनाया हम बाहर मूवी देखने गए।


रीमा ने बोला कि उसे पहले हाशमी से मिलकर देखना है कि वो इस लायक है भी के नहीं जैसे मैने बताया उसके बारे में।


हम लोग मूवी देखने मॉल पहुंचे।


कुछ देर में हाशमी भी आ गया, आज वो किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था फॉर्मल सफेद लाइन वाली शर्ट उसपर नीली जींस और फॉर्मल ब्लैक जूते उसमें से चॉकलेट की बहुत ग़ज़ब की खुशबू आ रही थी।


मुझे उसे देखते ही गुस्सा आया के कुत्ता मेरे लिए तो कभी ऐसे तैयार नहीं हुआ।


उसने हमारे पास आकर बहुत इज़्ज़त के साथ हाथ मिलाया फिर हमें आगे जाने का बोलकर टिकट लेने लगा।


कुछ देर में हम तीनों अपनी अपनी सीट्स पर बैठे थे, उस दिन स्त्री मूवी लगी हुई थी।


मैं बीच में थी और रीमा व हाशमी मेरे बराबर में बैठे थे।


मैने बात को आगे बढ़ाया “रीमा ये है हाशमी और हाशमी ये है रीमा, इसे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है तो मैं अभी के लिए यहां से हट रही हूं, तुम दोनों आपस में बातें करो और इंटरवल में बताना कैसा रहा।” 


फिर मैं वहां से उठकर आगे की सीट पर जाने लगी मैने सोचा कि ऐसी जगह बैठती हूं जहां से मैं इन दोनों को देख पाऊं। 


जाते जाते मैने हाशमी को कहा “हाशमी मेरी दोस्त का ख्याल रखना ये कोई गलत लड़की नहीं है बस हालात से मजबूर है।” 


हाशमी ने ओके वाला इशारा करते हुए आँखें बंद कर के खोली जिससे मुझे संतुष्टि मिली।


मैं उन दोनों को अकेला छोड़ कर आ गई थोड़ा सा उनपर नज़र रखने के बाद मेरा ध्यान मूवी की तरफ हो गया।


स्त्री मूवी सच में अच्छी थी इंटरवल से बस पंद्रह मिनट पहले मुझे ध्यान आया की मैं हाशमी और रीमा के साथ आई थी।


मुझे बस टेंशन थी की कही रीमा का मूड न खराब हो जाए लेकिन हाशमी पर भरोसा था वो कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा जिससे रीमा नाराज़ होती।


मैने पलट देखा तो मेरी उम्मीद टूट गई, रीमा हाशमी की गोद में बैठी थी दोनों एक दूसरे के मस्ती से होठ चूस रहे थे हाशमी का हाथ रीमा की सलवार के अंदर से गांड़ सहला रहा था।


रीमा 36 की गांड़ वो ऐसे दबा रह था जैसे कोई गुब्बारा हो, रीमा लगातार हाशमी के बालों से खेले जा रही थी वो इतनी बेताब थी के उसने हाशमी की पेंट खोलने शुरू कर दी।


मैने सोचा भाड़ में गई स्त्री पीछे कामसूत्र को एंजॉय करा जाए।


रीमा ने अपनी सलवार खोलकर नीचे करी उसने अपनी वी शेप पैंटी को एक तरफ खींचा उसकी सांसे हाफ रही थी उसकी आआह! हम्मम !


उफ्फफ! हुह्म्म; की आवाज़ मुझ तक आ रही थी। उसने मेरी चूत भी गीली करदी, हाशमी का लन्ड उसकी चूत में जाने ही वाला था कि इंटरवल हो गया।


रीमा कूद कर अपनी सीट पर बैठी और कपड़े ठीक करने लगी, हाशमी ने भी अपने मस्त लन्ड को अंदर कर के पैंट बंद करी। ये Antarvasna Call Boy Sex Story की कहानी आप GaramKahani.com पर पढ़ रहे है।


दोनों की नज़रे मुझसे मिली तो उन्होंने अपने मुंह नीचे कर लिए, मैं उठी और वापस जाकर उनके बीच में बैठ गई।


हाशमी से तो मुझे उम्मीद थी वो एक मर्द की तरह एक माल औरत को देखने के बाद चुदाई के लिए ऊपर चढ़ने में देरी नहीं करेगा लेकिन हैरत की बात थी के तू कैसे इतनी आसानी से खुल गई।” 


मैने हैरानी से रीमा को पूछा।


उसने बताना शुरू करा - यार जब तू यहां से गई तो हाशमी उठकर तेरी सीट पर आ गया था।


उसने मुझसे हल्की मुस्कान के साथ पूछा कि “आप रोज़ी जी को कैसे जानती हो।” 


मैने बताया “रोज़ी मेरी स्कूल की सहेली है मैं अपनी ज़िंदगी से जुड़ी हर बात बताती हूं उसे।” 


फिर मैने हाशमी से सीधा पूछ लिया “पहले कितनी लड़कियों को call boy service दी है आपने?”


लेकिन हाशमी ने अजीब शक्ल बनाते हुए कहा “मैं कॉल बॉय नहीं हूं रोज़ी जी ने मुझसे बोला के रीमा मेरी सहेली है उसका दिल बहुत परेशान है अपना दर्द बांटने के लिए उसके पास कोई नहीं है तो तुम उसकी मदद कर दो।”


मैं हाशमी की बात से खुश थी के वो मेरे जिस्म की हवस में नहीं आया मेरे पास रहकर वो सच में मेरी बाते सुनना चाहता था हालांकि मेरे पास बताने के लिए कुछ नया नहीं था।


हमारे बीच यू ही हंसी मज़ाक होती रही हमने आधे घंटे मूवी एंजॉय करी।


लेकिन जैसे ही डरावना सीन आया तो मैने घबराकर हाशमी का हाथ पकड़ लिया, मुझे ऐसी फिल्में पसंद नहीं मुझे बहुत डर लगता है इन चीज़ों से।


मुझे थोड़ी कंपकपी महसूस हुई ए सी काफी तेज़ था हाशमी ने मुझे देखकर मेरे कंधे पर हाथ रखलिया और अपने करीब कर लिया।


उसने अपना दूसरा हाथ मेरे हाथों पर रखा और मुझे सहलाने लगा, मुझे उसका ऐसा करना बहुत अच्छा लगा।


उसके करीब होने पर मुझे गर्मी मिलने लगी, वो मुझे बहुत प्यार से सहला रहा था। ये Family - Bhabhi ki chudai ki kahani आप garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


कुछ देर गुज़री और हमारी आँखें मिलने लगी, उसने बहुत नाज़ुकता से मेरे माथे को चूमा मुझे सच में उस पल में प्यार का एहसास हुआ ये पल में हमेशा से जीना चाहती थी लेकिन अपनी शादी शुदा ज़िंदगी से मुझे ये पल नहीं मिला।


हम एक दूसरे को देखते रहे, धीरे धीरे वो मेरे करीब आने लगा मेरे कंधे से नीचे मुझे पकड़ कर उसने अपने करीब लिया और मैं भी खींचती चली गई।


धीरे धीरे कर के मेरी गर्मी बढ़ती गई, मेरी गर्म सांसों से हाशमी के चेहरे पर बाल उड़ते मुझे अच्छे लगे।


मेरी सांसे तेज़ होने लगी हाशमी की गर्म सांसे मेरे होठों को छूने लगी और देखते देखते मेरे लाल होठों पर हाशमी ने अपने होठ रख दिए।


हाशमी के होठ थोड़े मोटे थे मुझे उनको चूसने में मज़ा आ रहा था, उसने मुझे जैसे इज़्ज़त के साथ चूमा वैसी इज़्ज़त मेरी शादी ने मुझे कभी नहीं दी।


फिर वो अपना एक हाथ मेरे 36 के चूंचे पर ले गया, बहुत आराम से हाशमी ने मेरी चूंची को भींचा मेरी हल्की सी आआह! निकल गई।


हाशमी ने मुझे जोश दिला दिया में उठी और उसकी गोद में चढ़ कर बैठ गई, मैं उसकी सांसे अपने मुंह में महसूस कर रही थी उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रह थे।


वो मेरे निचले होठ चूमता मैं उसके ऊपर के होठ को चूमती वो मेरी नाक को चूमता मैं उकसे गाल को चूमती।


वो धीरे धीरे अपने हाथ मेरी ब्रा के अंदर ले जाने लगा, मैं उस समय पूरी सिहर गई, मेरा दिल किसी इंजन की तरह दौड़ रहा था।


मुझे अपनी चूत में कुछ गिला पान महसूस हुआ, हाशमी तब मेरे चूचों में जाकर निप्पल मसलने लगा जिससे मैं पूरी बेचैन हो गई।


उसकी हरकतों कि वजह से मेरी आआह! हम्मम !


उफ्फफ! हुह्म्म; की आवाज़ निकालने लगी थी मगर आसपास लोग थे इसलिए बहुत मुश्किल से मैने खुदको रोका।


हाशमी मेरी 36 वाली को गांड़ बिल्कुल गुब्बारे की तरह दबा रहा था।


फिर आखिर कार जब मेरा खुद पर से काबू खत्म हो गया तो मैने अपनी सलवार उतारली मैने सोचा जो होगा देखा जाएगा।


मैने उसकी पेंट खोली 6.5 इंच का लन्ड बाहर निकाला अपने थूक से उसे थोड़ा चिकना करा मैं बस लन्ड लेने ही वाली थी के इंटरवल हो गया। 


मैं घबरा गई एक एक कर के सारी लाइट्स जलती देखी तो बस अपनी सीट पर कूदी और कपड़े ठीक कर लिए।


मैने रीमा को रोका उसकी बातों से मेरी चूत अधिक गीली होने लगी थी मैने हाशमी को खा जाने वाली नज़रों से देखा वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था।


मगर मुझे उसपर प्यार भी आया उसने मेरी सहेली की मदद करी थी लेकिन पूरी मदद अभी बाकी थी।


इंटरवल के बाद मुझे वहां से हटने का मन नहीं हुआ हाशमी और रीमा ने मुझे इशारा करा के मैं चली जाऊं मगर मुझे उनको तरसता देखने में मज़ा आ रहा था।


जब मूवी खत्म हुई तो हम घर आए, जैसे GaramKahani.com के पाठक जानते है कि हाशमी और मेरा आधी रात का समय फिक्स है।


वहीं समय हम तीनों ने मिलने के लिए तय कर लिया अब आधी रात को क्या हुआ कैसे हुआ ये जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार करे और पड़ते रहे हमारी कहानियां।


इस कहानी का अगला भाग - "सहेली की चुदाई के लिए की कॉल बॉय का जुगाड़ 02"


यहां तक कि कहानी कैसी लगी मुझे hashmilion5@gmail.com पर मेल कर के और नीचे कमेंट कर के ज़रूर बताए।


Share This Story :  


यह कहानी आपको कैसी लगी?

❤️ Love 0
😍 Wow 0
😂 Funny 0
😢 Sad 0
😡 Angry 0
👏 Clap 0

💬 Leave a Comment :-

📝 Comments :

No comments yet. Be the first to comment!