पड़ोसन भाभी ने लन्ड चूसकर मज़ा दिया 01

Padosi Bhabhi Ki Antarvasna Chudai : जाने इस कहानी में की कैसे मैंने अपनी पड़ोसन भाभी के यहाँ उनके देवरानी के जन्मदिन पर भाभी को लंड चूसा कर ढेर सारी मजे किए और चुदाई!


क्या हाल है? जवानी में तपते जिस्म वालो ओर वालियों? मैं हाशमी लायन, हाज़िर हूं, फिर से आपके जज़्बात को भड़काने के लिए एक वासना में भड़कती हुई भाभी की चुदाई कहानी लेकर।


ये बात कुछ ज़्यादा पुरानी नहीं है, अचानक एक दिन हमारे सामने वाले घर में बहुत लड़ने झगड़ने की आवाज़ आने लगी। में अपने काम में की वजह से घर व मोहल्ले में कम ही रह पता हूं। 


मैने अपनी माँ से पूछा तो वो बोली कि सामने वाले घर में जो भैया रहते थे वो पिछले महीने घर छोड़ कर चले गए थे।


वो किसी ओर लड़की से प्यार करते थे, तो उन्होंने उसी से भाग कर शादी करली और अपने इस घर में अपनी बीवी को छोड़ गए। 


उनकी बीवी का कोई परिवार नहीं था रिश्तेदारों ने मिलकर शादी करवाई थी, उनकी साँस उन्हें अपनी बेटी की तरह मानती थी तो बेटे से मुंह मोड़कर बहु को अपना लिया और सब उसके नाम कर दिया। 


आज उनकी बहु की लड़ाई अपने देवर की बीवी से हो रही थी।


जब से भैया गए है तब से देवर ओर देवरानी, भाभी को घर से निकाल कर जायदाद के अकेले मालिक बनने की कोशिश में लगे है।


ये सब सुनकर मुझे उनसे हमदर्दी होने लगी। 


मैने उनको कभी कभार बस छत पर कपड़े सुखाते देखा था, जब कभी में छुट्टी के समय छत पर रहता, तो भाभी रोज़ ही दिख जाया करती थी।


मोहल्ले में सब उनको प्यार से रोज़ी कहते थे, मैने कभी उनको भाभी या दीदी या दूसरे किसी रिश्ते से नहीं बुलाया। वैसे तो हमारी कभी कोई खास बात नहीं हुई थी लेकिन जब भी हुई मैने उनको रोज़ी जी ही कहा।


जिस समय वो कपड़े सुखाते तो मेरी नज़र उनकी गदराई 38 वाली साइज की चोड़ी गांड़ पर अटक जाती।


उनकी सलवार उनके पीछे दरार में फसती देखता तो मुझे उस सलवार से जलन महसूस होती। दिल में यही सोचता कि काश इस दरार में मैं फंसा होता।


आज मेरी छुट्टी थी, माँ रोज़ी जी की कहानी सुनकर मैं पतंग उड़ाने छत पर चला गया।


कुछ देर में जब आवाज़ें हल्की हुई तो रोज़ी जी छत पर आ गई शायद वो रो रही थी उन पर मेरा ध्यान इस तरह रुक की पतंग का ख्याल न रहा।


वो उल्टी हवा में बहती ही रोज़ी जी के सर को लगती हुई उनकी रस्सी पर अटक गई। 


मैने माफी मांगने वाला चेहरा बनकर उनसे पतंग को कन्नी देने के लिए कहा , उन्होंने अपनी आंखे साफ की पतंग उठाकर एक कदम पीछे हटी और कन्नी देते हुए कूदी। 


जैसे ही वो कूदने लगी तो उनके सीने से दुपट्टा हट गया , मेरी नज़र उनके भरी दूधो के बीच लकीर में फंस कर रह गई। में पतंग को खींचना ही भूल गया और पतंग वही गिर गई, उन्होंने मेरी नज़रों को कसकर पकड़ा।


 लेकिन कुछ पल ऐसे ही खड़ी रही, रोज़ी जी ने कुछ पल मुझे उनके अप्सरा जैसे जिस्म को निहारने दिया। 


मैने अपने गले में रुके पानी को निगला, ओर पतंग को कन्नी देने का इशारा दिया। उन्होंने इस बार पतंग कुछ ऐसे उठाई के मुझे उनके सीने की गहरी वादी के दर्शन हो गए। उनकी नज़रे मेरी नज़रों को पकड़े पड़ी थी। 


उन्होंने कन्नी दी, कन्नी देते हुए उनके दूध ऊपर नीचे कूदे जिससे पतंग ओर मेरा लन्ड दोनों खड़े हो गए। वो मुझे देखते देखते , रस्सी पर पड़े कपड़े उतार ने लगी। उन्होंने अभी तक अपना दुपट्टा वापस नहीं लिया था। 


खुले सीने के साथ ही चलते हुए वो मेरी छत के पास दीवार पर आ गई।


हमारी छत पूरी मिली हुई तो नहीं थी मगर इतनी नीची ओर इतनी करीब थी के जब में उनके पास जाकर खड़ा हुआ, तो मुझे ब्रा में फंसे दूध साफ नज़र आ रहे थे। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


उन्होंने भी एक नज़र , अपने दूध को देखा फिर मुझसे बोली " ठीक है न ?"


मैने हिचकते हुए पूछा "क्या ठीक है?"


उन्होंने अपने निचले होठ को काटते हुए कहा "मेरे कन्नी देने का तरीका?"


मैने बहुत बढ़िया कहना चाह रहा था, लेकिन मेरी ज़ुबान फिसल गई और मेरे मुंह से निकल गया - "बहुत बड़े हैं!"


मेरी बात सुनकर रोज़ी जी ओर मुझसे बोली मुझे जॉब बता दो कोई , मैने सब से सुना है आपके पास जॉब्स आती रहती है।


मैने बोल दिया "ओके ! कोई अच्छी आती है तो बता दूंगा।" 


उन्होंने मुझसे मेरा नंबर लिया और वो गांड़ मटकाती हुई चली गई।


उसी रात को उनका मैसेज आया, दिन से लेकर शाम के बीच मुझे ये बात पता चल गई थी के रोज़ी जी को भैया से अलग हुई काफी समय गुज़र गया है।


उनके घर में बस साँस, देवर ओर देवरानी रहते है। वो बाहर कही ज़्यादा आती जाती भी नहीं है। इससे मैने अंदाज़ा लगा लिया कि इनको लन्ड की सख्त ज़रूरत है इसलिए मुझे अदाएं दिखा रही है।


मैसेज पर बाते करते करते उन्होंने मुझसे सिगरेट के शोक के बारे में पूछ लिया।


उनका पीने का मन हो रहा था। हम करीब रात में 2 बजे बाते कर रह थे। बस कुछ गली में कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी बाकी पूरा माहौल शांत था।


मैने मजाक में कह दिया के पास होती तो ला देता इस समय कैसे पियोगी?


उन्होंने पूछा, क्या में अभी इंतज़ाम कर सकता हूं?


मैने कभी हां कह दी । उनकी तरफ से मैसेज आ गया, " आधे घंटे में छत पर मिलते है फिर।" 


मेरे होश उड़ गए मैने जल्दी सिगरेट निकाली! यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


दिन भर रोज़ी जी मद मस्त जिस्म के बारे में सोचने की वजह से मेरे लन्ड हालात बहुत खराब हो चुकी थी। में बाथरूम गया और एक बार मुट्ठी मार की मुझे डर था कही उनके सामने इरादे पानी की तरह साफ न हो जाए।


कुछ देर में , मैं छत पर पहुंचा मैने एक चॉकलेट वाला परफ्यूम लगा लिया। मेरे जाने के कुछ पल बाद ही रोज़ी जी भी आ गई। उनको देख कर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।


चंद की चांदनी में उनका रूप किसी परी जैसा लग रहा था। एक आरपार दिखने वाली नाइटी पहने रोज़ी जी अपने बाल बिखेरती हुई मेरी तरफ चल कर आ रही थी।


उनकी नाइटी वैसे तो काली थी लेकिन चंद भी उनके रूप को देख कर शरारत के मूड में आ चुका था। उसकी रोशनी में रोज़ी जी के दूध कामुक लग रहे थी उनकी पैंटी नाइटी से झलक दिखा रही थी।


उनको गोल मोटे होठ, मेरी प्यास बड़ा रहे थे। वो मेरे पास आई मुझसे सिगरेट ली, उन्होंने सिगरेट के अगले हिस्से को जुबान से नरमी के साथ चाटा फिर उंगलियों में पकड़ कर मुंह में लिया।


मैने गनीमत जान कर मुट्ठी मार कर आया था वरना उनकी नशीली निगाहों ने जी तड़पाने के अंदाज़ में मुझे ये अदा दिखाई थी । सच कहता हूं में उसी समय बह जाता।


पूरी सिगरेट पीने तक उनके मुंह से एक लफ्ज़ भी नहीं निकला उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की।


वो सिगरेट खींचती जाती, ओर इधर से उधर टहलती जाती , वो चारों तरफ घूमते घूमते पूरे मोहल्ले के अंधेरे और उस अंधेरे में सुकून का मज़ा ले रही थी। 


उनके बाल हल्की हवा में कभी लेह राते तो कभी इठलाते, इधर से उधर जाते हुए वो मुझे अपने जिस्म का कोई न कोई हिस्सा ज़रूर दिखा देती।


जब वो मुझे उनके गुड़िया जैसे नाजुक गडराए जिस्म को ताड़ते हुए पकड़ती तो एक कंटीली मुस्कान से अपने माथे से बाल साफ करते अपने हाथ को बल खिला देती। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


सिगरेट खत्म होने को आई थी , तो उन्होंने पलट कर अपने दूध को ब्रा में कसा मेरी तरफ उनकी पीठ थी में अंधेरे की वजह से समझ नहीं पाया कि वो किया कर रही है।


लेकिन फिर उन्होंने अपनी ब्रा उतार कर रस्सी पर डाल दी , फिर एकदम उन्होंने चेहरा मेरी तरफ करा, वो मेरी तरफ पलती। उनकी मैसे मुझे चंद की रोशनी की मदद से ऐसा नज़ारा दिखा जिस शायद दुनिया में किसी ने नहीं देखा होगा।


वो मेरी तरफ धीमे कदमों से चलती हुई आई। ओर सिगरेट के आखरी टुकड़े को सुल गया , फिर धुआं मेरे मुंह पर छोड़ दिया। वो मेरे सामने अध नंगी खड़ी थी।


मैने हाथ आगे बढ़ाकर उन्हें छूना चाहा मगर उन्होंने मेरे हाथ अपनी उंगलियों में बांध लिए।


उन्होंने ना मेरा गर्दन हिलाई और आंखों से इंतज़ार करने के इशारा किया।


वो बोली "बहुत रात हो गई है आराम से सो जाओ जाकर, और ध्यान रखना मेरे कीमती कपड़े कोई चोरी न करले!"


वो मुस्कुराई , उन्होंने अपने होठ काटे, फिर सिगरेट को जुबान से थोड़ा चाटा उसे चूमा और मेरे होठों पर लगा दिया। 


रोज़ी जी पलट कर वापस नीचे जाने लगी, उन्हें अपने ब्रा वही छोड़ी और ओर मुझे देखकर बोली "सिगरेट सेहत के लिए हानिकारक होती है " फिर अपने होठ ज़ुबान से साफ करती हुई चली गई। 


मेरा लन्ड मेरे बस में नहीं रहा था। मैं उनके जाने के बाद भी काफी देर उनकी दी हुई बुझी सिगरेट से उनके होठों के स्वाद को चखता रहा।


मुझसे रहा नहीं गया, में तुरंत उनकी छत पर गया उनकी ब्रा उठाई , ओर ज़ीने पर आकर ब्रा महसूस करते करते मुट्ठी मारने लगा। तभी मुझे किसी के हट! हट! की आवाज़ आने लगी। मेरे ब्रा वही छोड़ी ओर अपने कमरे में आ गया।


अगले दिन जब में काम से वापस आया तो, मम्मी बोली रोज़ी के यहां रात को खाना खा लेना जाकर, उसकी देवरानी का जन्मदिन है तो बुलाया है सबको।


मैं भी खुश हो गया, बे सबरी से उनके घर जाने के लिए इंतज़ार करने लगा। रात को जब समय आया ओर में उनके घर गया तो रोज़ी जी को देखकर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। 


आज वो ग़ज़ब माल लग रही थी, उन्होंने अपने जिस्म को कसने वाला सूट पहना था, उनकी गांड़ कुर्ते में से चुपके चुपके झाक रही थी।


उनका गोरा रंग, कसा हुआ सीने मेरी नज़रों को ललचा रहा था। मुझे देखते ही उन्होंने बैठने को बोला और कहा की केक काटने के बाद मज़े करेंगे चले मत जाना आप।


मज़े करेंगे कहते हुए उनकी आंखों में हवस का लाल रंग दिखाई पड़ रहा था। वो मुझे देखती हुई किचेन में चली गई, तभी मेरे फोन पर उनका मैसेज आया।


उन्होंने मुझे अपनी ब्रा में एक तस्वीर भेजी थी, जिसने उन्होंने वही ब्रा पहनी थी जिसके अंदर मैने पिछली रात अपने लन्ड का पानी छोड़ दिया था। नीचे उन्होंने लिखकर भेजा , ये ब्रा आज बहुत ठंडक दे रही है मेरे दिल को।


कहानी का अगला भाग जल्द ही : पड़ोसन भाभी ने लन्ड चूसकर मज़ा दिया 02


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