पड़ोसन भाभी ने लन्ड चूसकर मज़ा दिया 02

कहानी का पहला भाग : पड़ोसन भाभी ने लन्ड चूसकर मज़ा दिया 01



मज़े करेंगे कहते हुए उनकी आंखों में हवस का लाल रंग दिखाई पड़ रहा था। वो मुझे देखती हुई किचेन में चली गई, तभी मेरे फोन पर उनका मैसेज आया।


उन्होंने मुझे अपनी ब्रा में एक तस्वीर भेजी थी, जिसने उन्होंने वही ब्रा पहनी थी जिसके अंदर मैने पिछली रात अपने लन्ड का पानी छोड़ दिया था। नीचे उन्होंने लिखकर भेजा , ये ब्रा आज बहुत ठंडक दे रही है मेरे दिल को।



आगे की कहानी :-


मेरे लन्ड का तनाव और बढ़ गया। मैने नज़रे उठाई तो रोज़ी जी मेरी हालत पर हस रही थी।


मैने इरादा बना लिया के आज तो रोज़ी जी का स्वाद लेना ही है, में मौके की तलाश करने लगा।


पूरा घर मेहमानों से भरा पड़ा था, लेकिन सब उनकी देवरानी के रिश्तेदार थे तो रोज़ी जी पर कोई ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था उनकी सास भी मेहमानों से घिरी थी। 


कुछ ही देर में सबको केक काटने के लिए बुलाया गया, दीवार k एक तरफ केक रखा गया। रोज़ी जी भी वही सबसे पीछे खड़ी थी, में अंजन बनते हुए गया और लन्ड उनकी गांड़ पर सटा कर पीछे खड़ा हो गया।


उन्होंने मुड़ कर देखा, फिर इधर उधर नज़र घुमाई के कोई हमें देख तो नहीं रहा।


धीरे धीरे खिसकते खिसकते मैं ओर रोज़ी जी उस भीड़ के बीच में आ गए, मूड बनाने के लिए रोमांटिक गाने बज रहे थे लाइटें हल्की वाली सजावट के लिए लगा रखी थी।


जब केक काटने लगा तो लाइट बंद कर के मोमबत्ती जलाई गई। अंधेरे में मुझे भी मौका मिल गया।


मैं अपना हाथ उनके बूब्स पर ले गया उनके दुपट्टे के अंदर से उनके बूब दबाने लगा। उनकी लंबाई थोड़ी कम थी इसलिए आगे खड़े लोगों के पीछे वो छुप गई थी।


मैं उनके बूब्स के साइज का अंदाज़ा लेता हुआ उनकी गांड़ पर लन्ड घिस रहा था वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।


धीरे धीरे कर के वो अपना हाथ पीछे ले आई , अपनी उंगलियों वो मेरे लन्ड पर घुमाने लगी उसे दबाकर उन्होंने मोटाई का अंदाज़ा लिया।


मैं भी अपना एक बूब्स से नीचे सरकाते हुए गांड़ पर लाया, एक बार दबा कर फिर अपना हाथ उनकी जांघ सहलाने लगा। रोज़ी जी की सांसे तेज़ होती हुई मुझे महसूस हो रही थी।


वो उंगली से मेरी पेंट की जिप खोलने लगी। चेहरे को ऊपर की तरफ घुमाकर उन्होंने मुझे देखा उनकी बड़ी बड़ी खाई से ज़्यादा गहरी काली आंखे मुझे डूबा देना चाह रही थी। उन्होंने अपनी ज़ुबान को होठों पर फिराया।


वो मेरी तरफ पूरी पलटी ओर अपने जिस्म को मुझसे रगड़ते हुए, वहां से निकलने लगी।


मैने देखा उन्होंने कुछ सामान उठाया और उसे लेकर छत की तरफ जाने लगी, सीडीओ पर चढ़ते समय मुझे देखकर उन्होंने मदद के लिए बुलाने का बहाना करा। मैं जल्दी से उनके पीछे गया। 


सीडीओ पर चढ़ते हुए मैने छत की तरफ के दरवाज़े को हल्का बंद कर दिया।


बाहर से बर्थडे वाले गाने की आवाज़ आने लगी यानी हमारे पास 10 - 15 मिनिट थे बस फिर सब खाने के लिए जाने वाले थे।


मैने रोज़ी जी को बीच में ही पकड़ लिया बिना देर करते हुए में उनको होठों पर टूट पड़ा में अपने होश लगभग खो चुका था। मैने उनकी सलवार वही खोलनी चाही लेकिन उन्होंने मुझे धक्का दे दिया। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


वो ऊपर छत की तरफ चली गई मैने ध्यान दिया जो जानबूझ कर गांड़ हिला रही है। मैने भी उनके पीछे चला गया ऊपर जाते ही मैने उनको बाहों में ले लिया, बे तहाशा में उन्हें चूमने लगा वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। 


मैने उनका कुर्ता उतर फेंका उनके बूब्स के ऊपर काटना शुरू कर दिया , हल्की चांद की रोशनी में उनके गले पर मेरे काटे हुए के निशान चमक रहे थे।


रोज़ी जी की सांसे बहुत तेज़ हो चुकी थी हम दोनों की धड़कन इतनी तेज़ थी कि मुझे आवाज़ महसूस हो रही थी। 


में उनको चखने के लिए आगे बढ़ा उनको दरवाज़े से सटा कर खड़ा किया।


उनकी सलवार खोलने के लिए नाडा पकड़ा मगर उन्होंने मेरा हाथ हटवा दिया, मेरी बेचारगी पर मुस्कुराते हुए मेरे होठों को उन्होंने अपने मुंह में भर किया।


अपनी ज़ुबान मैने उनके मुंह में डालदी , बारी बारी हम एक दूसरे के स्वाद को चखने लगे कभी वो अपनी ज़ुबान मुझे चखाती कभी में अपनी ज़ुबान का स्वाद लेने उनके मुंह में उसे डाल देता। 


मेरी हालत खराब हो चुकी थी। मेरी गर्दन पर काट कर वो अपने होठ मेरे कान के पास लाई। मेरे कान को चूमकर वो बोली "मैं तुम्हारी हालत समझती हूं, लेकिन जो हम चाहते है आज नहीं हो पाएगा मगर मैं तुमको बेचैन नहीं छोड़ूंगी"।


मैने निराशा से उनको देखा उन्होंने मेरे चेहरे को हाथ में लिया अपने होठों को अपने थूक से उन्होंने गिला करा फिर अपने गिले गिले होठों को मेरे होठों पर रख दिया।


उस समय मुझे वो होठ और वो रस दूसरे किसी भी रस से ज़्यादा मीठा लगा। फिर वो नीचे बैठे मेरी जिप तो वो पहले ही खोल चुकी थी।


उन्होंने मेरी पेंट उतारी, अपनी ब्रा उतार कर मुझे दी उनके बाहरी भरकम बूब्स मेरे सामने बिल्कुल नंगे थे। मैने ब्रा को सुंघा तो पता चला उन्होंने आज ब्रा बिना धोए ही पहनी थी।


मेरा लन्ड ये जान कर फटने को हो गया कि रोज़ी जी इस ब्रा को पता नहीं कबसे पहनी हुई थी जिसपर मैने पिछली रात अपना माल डालकर भी फेक दिया था। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


रोज़ी जी ने, मेरे लन्ड को चूमा , मेरे लन्ड को नीचे से चाटते हुए वो टोपी पर आई फिर टोपी के छेद के अंदर अपनी ज़ुबान की को फिराया, ओर धीरे धीरे लन्ड को मुंह में ले लिया।


वो नज़ाकत के साथ मेरे लन्ड को चूस रही थी। चूसते चूसते वो मेरे अंडों को भी सहलाती ओर मेरी गांड़ भी दबाती उन्होंने मेरे एक हाथ अपने बूब पर रख वाया।


और तेज़ी से चूसना शुरू करा करीब 10 मिनिट लन्ड चुसाई के बाद में झड़ने की कगार पर आ गया। मैंने बोला " रोज़ी जी, मेरा निकलने वाला है " वो मुझे देखे जा रही थी और लगातार चूसे जा रही थी। 


मैने मन में गिना 3...2....1 आह! ओर पूरा माल रोज़ी जी के मुंह में झाड़ दिया।


उस दौरान मुझे इतना जोश आया कि मैने उनको बालों से पकड़ कर लन्ड पर दबा दिया, मेरा 6.5 इंच का पूरा लन्ड उनको हलक को छू गया।


लन्ड का पूरा पानी उनके हलक में निकल गया। जब में शांत हुआ तो लन्ड बाहर निकाला, रोज़ी जी घुटनों पर बैठकर मुंह से निकालते लन्ड के पानी को हाथ में लेने लगी।


फिर आप अपने अपने कपड़े ठीक कर के नीचे आ गए। आते हुए रोज़ी ने कुछ तोहफे उठा लिए ताकि कोई देखले तो बहाना बना सके।


मुझे शक था कि कोई उनकी बात नहीं मानेगा, लेकिन जब हम नीचे गए तो किसी को रोज़ी जी न होने पर कोई फरक नहीं पड़ा, मुझे ये देख कर उनसे हमदर्दी हुई।


मैने खाना खाया , हमारी नज़रे आखरी बार मिली और में घर आ गया। उनका मैसेज आया " बाकी काम जल्दी ही खत्म करेंगे , अगली बारी तुम्हारी है "।


दोस्तों कैसे लगी यह भाभी की अन्तर्वासना हिन्दी चुदाई कहानी मुझे कॉमेंट करके बताएं, ताकि इसके आगे की कहानी मै जल्द ही आप तक पहुंचा सकु!


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