रिम्मी दीदी को शादी में चोदा 01

Bhai Bahan Ki Chudai : हेलो दोस्तों सभी गर्म चूतो ओर खड़े लण्डों का मेरी नई गरम कहानी के किस्से में स्वागत है, कहानी का मज़ा लीजिए खुदको हिलाकर व सहलाकर खुशी दीजिए, ओर मुझे ज़रूर बताए आपको कहानी कैसी लगी।


ये कामुक हादसा धीरे धीरे पनपा मेरी बड़ी दीदी और मेरे बीच कभी इतनी गर्मी बढ़ जाएगी मैने कभी सोचा भी नहीं था।


में उस समय नोएडा सेक्टर 62 में रहता था। वहीं मेरी पढ़ाई चल रही थी और कुछ दिन पहले ही मेरे पेपर खत्म हुए थे।


मेरे दिन बहुत बोरियत में बीत रहे थे कि एक शाम मुझे घर से फोन आया। घर वालों ने बताया कि मेरे किसी रिश्तेदार के घर शादी है तो सब लोगों के साथ मुझे भी गांव जाना पड़ेगा।


मुझे गांव हमेशा से पसंद रहा है वहां का खुलापन बड़े शहरों के मुकाबले कहीं ज़्यादा बेधड़क होता है। शहर की औरते चूदाई के लिए मर्दों को तरसाती रहती है। वहीं गांव औरतें बस आदमी के अंदर की मर्दानगी को परखने की इच्छा रखती है।


मैने गांव की औरतों में चूदाई का जोश शहर की औरते से ज़्यादा पाया है।


मैं बस तुरंत सामान बांध कर घर के लिए निकल गया , कुछ घंटों के सफर के बाद में जैसे ही बस से अपने गांव के ज़मीन पर उतरा तो मेरा लन्ड सलामी देने लगा।


मेरे सामने 2 औरते खेतों में धान काट रही थी। एक तो उनके ब्लाउज़ काफी गहरे थे दूसरा उस ब्लाउज़ के ऊपरी बटन भी खुले पड़े थे।


दोनों के मस्त काले दूध तपती धूप में पसीने से चमक रहे थे। दोनों ही औरते चालीस से ऊपर की उमर की होंगी।


दोनों औरतों की साड़ी घुटनों तक थी वो मेहनत अपने जिस्म को थका रही थी। अगर मुझे मार खाने का डर न होता तो ज़रूर उनको वही लेटकर चूदाई के लिए बात करता।


अपने दिल को तसल्ली देने के लिए में उनकी तरफ बढ़ा ओर उनसे अंदर गांव तक जाने के लिए सवारी की बारे में पूछा। जब तक मैने उनसे बात की तब तक वो मेरी नज़रों को घूर रही थी कि में आंखों से उनके अध नंगे चूचों को छू रहा हूं।


उन दोनों ने मेरी पेंट के उभर को देखकर एक दूसरे को आंखे दिखाई इधर उधर के गुज़रते गांव वाले बिना रुके उनको ऐसे देख के गुज़रे जा रहे थे कि रोज़ की बात हो कुछ नया नहीं इस नज़ारे में। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


मैने अपने आप से बोला : "स्वागत ऐसा हुआ है तो आगे किया होगा?"


में बस अपनी आंखों उनके जिस्म का जलपान कर के अपने घर आ गया। हमारा गांव में लगभग 500 ग़ज़ ज़मीन में घर ओर खेत है जिनमें परिवार रहता है ओर कुछ औरते आकर खेत में काम करती है फिर रात को वहीं खी सो लेती है।


उन लोगों के पति या बेटा शहर में नौकरियों पर है, बचपन से ही में बाहर से शर्मिला मगर अंदर से कामुक तबियत वाला रहा हूं।


घर पर आते है माँ बाबा ने मेरा स्वागत किया उन्होंने बताया हमें शाम तक शादी समारोह में निकलना है वहां मेरी रमणिका दीदी भी आएंगी ।


में अपने कमरे में गया, चाय नाश्ता किया और आराम करने लगा। लेटे लेटे में रमणिका यानी मेरी रिम्मी दीदी के बारे ने सोचने लगा था।


अभी मेरी उमर 25 साल हो गई है, लेकिन जब में 16 साल का था तब एक दिन ट्यूब वेल पर में ओर रिम्मी दीदी साथ में नहा रहे थे तब उनकी उमर 28 थी वो मुझे बच्चा ही समझती थी।


हम नहाते हुए एक दूसरे पर पानी मार रहे थे तभी पीछे से दो कुत्ते लड़ते हुए भागे। वो रिम्मी दीदी के बिल्कुल पीछे से निकले और इतनी तेज़ भौंकते हुए गए कि दीदी बुरी तरह डर गई।


डर से वो मेरी तरफ लपकी ओर मुझसे चिपक गई हमारी लंबाई तब बराबर थी । उनकी सांसे घबराहट से बहुत तेज़ हो गई थी।


इस हड़बड़ी में हम दोनों ने ध्यान ही नहीं दिया के हम इतने करीब खड़े थे कि मेरा लन्ड उनकी चूत को छू रहा था। भरी धूप में उनके पीले रंग के सूट व सफेद सलवार में उनके जिस्म हर अंग चमक रहा था।


हमारी लंबाई ऐसी थी के उनके होंठ और मेरे होठ में बस दो इंच का फैसला होगा ,मैने उनको शांत करने के लिए उनके कंधे पकड़े फिर उनकी आंखों में झांकने लगा।


उनकी बड़ी ओर गोरी चटकीली आंखे साफ शीशे की तरह चमक रही थी। मुझे उनकी ब्रा की गोलाई आसानी से दिखाई पड़ रही थी। नीचे इस बात का भी पता चल रहा था कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी है।


हम दोनों कुछ देर भी खड़े रहे , एक दूसरे की सांसों को महसूस करते रहे। दीदी ने अपने होठों पर से पानी को दबाकर साफ किया। इतने में एक ट्रैक्टर पीछे से गुज़रे जिसकी आवाज़ ने हमें अलग कर दिया।


उस दिन से मुझे दीदी नज़रों में अपने लिए जज़्बात बदले बदले दिखे, सच कहूं तो मेरे अंदर भी बार बार उनके करीब आने के ख्याल बनने लगे थे।


कभी कभी जब वो हमारे घर आती ओर मेरे पास बैठी होती, अगर हमारे आसपास कोई नहीं होता था तो वो मेरी जांघ सहलाने लगती थी।


में सोचता था कि ये शायद गुदगुदी कर रही होंगी। परन्तु मेरी ये गलत फहमी कुछ समय बाद दूर हो गई।


हुआ कुछ ऐसा था कि मुझे उनके घर समान देने जाना था, जब में उनके घर पहुंचा ओर दरवाज़ा बजाया।


तब दरवाज़ा दीदी की मम्मी ने खोला, में अंदर गया तो देखा दीदी उल्टी लेटी है मुझे देखकर बस उन्होंने हाथ मोडे फिर अपने जिस्म को ऊपर उठा लिया उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी । उनके बूब्स नंगे निप्पल तक साफ दिख रहे थे। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


आंटी मेरे लिए चाय बनाने चली गई, मेरी तरफ दीदी ने शरारती मुस्कान देते हुए कहा " क्यों हीरो, कुछ देने आए हो या कुछ लेने आए हो " ये कहते हुए उन्होंने अपने बूब्स की तरफ इशारा किया।


मैने गले अटका पानी निगला ओर हल्का फंदा लगा, पीछे से आंटी चाय ले आई। उनके आते ही दीदी सीधी बैठ गई और खुदको दुपट्टे से ढक लिया।


मेरे मन में उत्तेजना जागी में भी हिचकता हुआ उनके पास ही जाकर बैठ गया, दीदी ने मेरे से चाय का कप लिया और एक घूंट मार ली।


आंटी के जाते ही वो मेरे बराबर में बैठ गई फिर मेरे लन्ड से थोड़ी दूरी पर उंगली घूमने लगी। मेरा दिमाग सुन सा हो गया, मैने भी उनकी जांघ पर चूत से थोड़ी दूर हाथ रख दिया।


वो मेरे उंगली घुमा रही थी में उनके हाथ फिरा रहा था सहलाते सहलाते मैने अपना हाथ उनकी नीली कुर्ती के अंदर चूत करीब कर दिया। 


दीदी मेरी टांग दबा रहा थी, हम एक दूसरे को महसूस कर रहे थे कि आंटी आ गई। आंटी का आना मुझे कबाब में हड्डी जैसा लगा।


लाइफ में अगर इस तरह की हड्डियां न मिले तो एक जिस्म न जाने कितने जिस्मों से रगड़ जाय।


आंटी ने मुझे एक थैला दिया और में उसे लेकर घर आ गया। उसके बाद से बस हल्की हल्की छेड़ कहानियां हमारे बीच पनपने लगी।


कभी में उनके पीछे किसी बहाने से जाकर लन्ड छुआ देता, कभी वो किसी बहाने मेरे पीछे पीठ से अपने बूब्स दबा देती।


हमने कभी इस बारे में कोई बात नहीं की न अपने जज़्बात आपस में बाटे शायद अगर हम इस बारे में कुछ बोलते तो फिर कभी एक दूसरे को नहीं छूते न करीब होते।


मैने भी कभी बहुत जल्दबाज़ी नहीं की, कुछ साल बाद में पढ़ाई के लिए नोएडा आ गया। नोएडा आकर थोड़ा हसी मज़ाक दीदी के साथ मैने शुरू करा उनकी प्राइवेसी में लेकर सेक्सी स्टेटस लगाना उसके रिएक्शन देखने में मज़ा आता था।


इन ख्यालों में खोते हुए कब में सो गया समझ ही नहीं आया, शाम को मम्मी ने चलने को बोला और सब शादी में पहुंचे।


जब हम शादी के घर पहुंचे तो, तो मेरे फोन पर रिम्मी दीदी का मैसेज आया हुआ था " क्यों हीरो, कुछ देने आए हो या कुछ लेने आए हो?"


मैने रिप्लाई करा " जब मिलेगी तब पता चल जाएगा ओर अपनी एक आंख दबा दी" ।


जब मैने घर में अंदर पहुंचा तो दीदी भी बैठी थी बहुत समय बाद में उनको देख रहा था, वो पूरी बदल चुकी थी। उनकी चूची कच्ची अमिया की जगह पका आम बन गई थी। मुझे उनके आम इतने बड़े लगे जैसे मीठा ख़रबूज़ा हो।


वो इठलाती हुई आई और मुझे प्यार से गले लगा लिया। मैने उनके जिस्म भीनी भीनी खुश्बू को अपनी सांसों में बसते हुए महसूस किया।


उन्होंने आधी आस्तीनों वाला लँचा पहना था, सुर्ख लाल लांचे में वो मेरे अंदर की आग भड़का रही थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर बांध लिए। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


मेरी लंबाई उनसे थोड़ी ज़्यादा हो गई । वो अपने हाथ नीचे ले गई मेरे पीछे दीवार होने का उन्होंने नाजायज़ फायदा उठाया और मेरी गांड़ दबा दी।


मुझे आंख मारती ही वापस वो अपनी जगह बैठ गई। उनके बालों का आज उन्होंने जुड़ा बंधा था पुरानी फिल्मों की हीरोइन जैसा लुक आरा था उनका। 


उनके रूप को माहौल में बिछी रंगीन लाइटें और अधिक निखार रही थी। मेरी हालत उन्हें देख देख कर खराब हो रही थी इसलिए में बाहर खेतों की तरफ चला गया।


थोड़ी देर में दीदी का मैसेज आया " कहा है हीरो, अभी से डर गए किया ? आजाओ मेरी मदद कर दो थोड़ी। "


में खुशी खुशी उनके पास गया। वहां देखा तो सब फोटो लेने में लगे थे। दीदी को देखकर में उनके पीछे पहुंचा, उन्होंने मुझे कुछ तोहफे पकड़ा दिए। 


घर में औरतों की भीड़ बहुत ज़्यादा थी आदमियों में सिर्फ गिने चुने लोग थे जो किसी न किसी काम में मदद कर रहे थे। में ये देखने की कोशिश में था कि सब सिर्फ मदद ही के रहे है , या मेरी ओर दीदी की तरह सबने जज़्बातों का छुपा रिश्ता बनाया हुआ है।


में तोहफे नीचे से पकड़ा हुआ था दीदी के बड़े बड़े बूब्स मेरे हाथ के बिल्कुल करीब थे। वो अपने फोन पर किसी से बाते कर के अच्छी ज़िम्मेदार लड़की होने वाली तारीफे लपेट रही थी।


मेरे मन में शरारत आई, मैने उनके बूब्स से अपने हाथ घिसने शुरू करे में अपनी कमर राइट लेफ्ट घुमाने लगा इधर उधर देखने के बहाने उनके बूब्स सहलाने लगा।


दीदी मुझे तिरछी निगाहों से देखकर अपने निचले होठ काटने लगी। उनके मुस्कान से झांकते मोती जैसे दांत इतने प्यारे लग रहे थे मन कर रहा था उनको वही चूम लूं।


मैने एक कदम आगे बढ़ाया इस बात को पक्का करा के किसी की नज़र कही हम पर तो नहीं है मगर वहां सब अपने मेही मस्त थे। दूर खड़ी एक लड़की के पीछे एक लड़का गांड़ पर लन्ड मिला रहा था।


अपनी उंगली से दीदी के दूध पर जोर लगाया वो मुझे आंखों से चूमने लगी। मुझे उनके साथ अपने बिना शब्दों के जिस रिश्ते में रहना अच्छा लगा रहा था।


" रिम्मी दीदी , चलिए चलकर रख देते है भरी हो रहा है ये " तीखी मुस्कान दीदी को देते हुए मैने कहा, वो भी हाथ से हसी छुपा कर चलने के लिए मान गई। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


हमें जाता देख एक आंटी बोलती हुई मुझे सुनाई दी " कितने अच्छे बच्चे, जब से आय है काम में लगे है " दीदियों ओर में ये सुनकर मुस्कुराए और अपने काम को सम्पत करने चल दिए।


कमरे में पहुंचकर मैने अपने हाथ से लाल पीले तोहफे रखे और जैसे ही पलटे तो दीदी मुझे हाथ बांधे कातिल निगाहों से ताड़ रही थी।


ज़ुबान से कोई बात न मैने की कोई बात न उन होने की हम बस आंखों ओर सांसों से एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैने उनके करीब गया, जब मेरा सीना उनके सीने से चिपक गया तब मैने अपने कदम रोके।


मैने उनकी कमर में हाथ बांध कर आपके होठों के करीब करा उसके कपड़े मुझे मक्खन जैसे लगे जिनसे फिसल कर मेरे हाथ उनकी गांड़ को पहुंच गए।


उन्होंने मेरी कमर पर अपने हाथ बांधे फिर सहलाते हुए पीठ तक ले गई। में कुछ कहने ही वाला था के मेरे होठों पर उन होने उंगली रखदी, मुझे अपनी नशीली काजल भरी आंखों से कुछ न बोलने का इशारा किया।


आगे की कहानी :-  रिम्मी दीदी को शादी में चोदा 02 


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