वकील मैडम को उन्हीं के चैंबर में दबा कर चोदा!

पढ़िए ये Hindi Sex Story और जानिए कैसे एक वकील को स्कूटी सिखाने के बहाने मुझे चुदाई का मौका मिला और इस Antarvasna चुदाई का किस्सा उनके ही चैंबर में ही बन गया!


क्या हाल है भाइयों और प्यारी प्यारी चूतों, मैं हूं मोहित और आज मैं आपको अपनी एक XXX कहानी सुनाऊंगा।


ये तब की बात है जब मेरी साइकोलॉजी की ट्यूशन क्लास चलती थी। मैं रोज़ सुबह 7 बजे उठकर कोचिंग जाता था।


उन्हीं दिनों एक प्यारी सी लड़की ने हमारी कोचिंग में एडमिशन लिया। मैंने जब उसे देखा तो बस देखता ही रह गया। वो हमेशा क्लास में आकर मेरे आगे की सीट पर बैठती थी।


वो एक काला वकीलों वाला कोट पहनकर आती थी। उसके कपड़ों से ही समझ आ जाता था कि ये लड़की वकालत की पढ़ाई कर रही है।


उसके बालों से बहुत अच्छी महक आती थी। उस लड़की का नाम मोनिका था। मोनिका की लंबाई 5 फुट 6 इंच थी, रंग चांद की तरह गोरा, लेकिन जैसे चांद पर दाग होता है, वैसा ही एक दाग मोनिका के गाल पर भी था।


वो मुझे सामने से आती दिखती तो बहुत सुंदर लगती। उसकी चूंची 28 की, कमर 26 की और गांड़ 30 की थी। वो शायद ब्रा नहीं पहनती थी, इसलिए उसके सीने पर नुकीले निप्पल साफ चमकते थे।


ये फ्रेंड सेक्स स्टोरी आप Garamkahani पर पढ़ रहे हो। मोनिका अपने होठों पर गहरे मेहरून रंग की लिपस्टिक लगाती थी।


उसके होठ थोड़े चौड़े थे, मगर वो उसे बेहद कामुक बना देते थे।


क्लास में आते और जाते समय कभी-कभी हमारी नज़रें मिलतीं तो मेरा मन करता कि उसके होठ पकड़कर चूस लूं।


 मैं उससे बात करना चाहता था, मगर हमेशा डर लगता क्योंकि मैं एक साधारण सा लड़का हूं। मोनिका और मेरी लंबाई बराबर होगी।


 कद-काठी में तो मैं अपनी 23 की उम्र वाले लड़कों जैसा था और मोनिका की उम्र 25 साल थी। एक दिन की बात है जब मुझे पहली बार मोनिका से बात करने का मौका मिला।


 हुआ कुछ ऐसा कि मैं कोचिंग से बाहर निकला तो अगले चौराहे पर मैंने देखा कि मोनिका रिक्शे का इंतज़ार कर रही है।


 सुबह 8 बजे का समय था, तब सवारी मिलनी मुश्किल थी। मैंने अपनी थोड़ी हिम्मत बनाई, मैं एक इलेक्ट्रिक स्कूटी पर था।


मैं धीरे-धीरे करके मोनिका के पास पहुंचा। वो उस दिन सफेद पैंट-शर्ट और अपने काले कोट में थी। उसके कदमों के पास मैंने स्कूटी रोकी, फिर बहुत नरमी से उसको पूछा, “आपको कहीं छोड़ दूं मैं?”


मोनिका ने इधर-उधर देखा, फिर बोली, “आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी न?”


अब सब जानते हैं कि इस तरह के मौके पर परेशानी का तो सवाल ही नहीं हो सकता, तो मैंने बहाना बनाया,


मुझे भी आगे ही जाना है, आपको जहां रुकना हो वहीं मुझे बता देना।


 मोनिका ने एक पल सोचा, फिर मेरे पीछे आकर बैठ गई। मैंने अपनी गाड़ी चलानी शुरू की। मैं बहुत अच्छे तरीके से गाड़ी चला रहा था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि पहला ही मौका खराब हो जाए।


 हमारी गाड़ी आराम से चल रही थी, न वो कुछ बोली न मैं कुछ बोला।


उसी समय रास्ते में एक गड्ढा आया, जिसके झटके से मोनिका की चूंची मेरी पीठ में दब गई। उसकी उंह्ह! की आवाज़ निकली, मुझे उसके निप्पल महसूस हुए। मैंने मोनिका को पूछा, “कहां जाना है आपको?”


वो बोली, “मुझे कचहरी जाना है।उस दिन मुझे कोई खास काम नहीं था, इसलिए मैंने उसको बोल दिया किठीक है, मैं छोड़ दूंगा आपको।


फिर आराम-आराम से गाड़ी को कचहरी तक उसके चैंबर पर पहुंचाया। जब हम वहां पहुंचे तो मोनिका ने मुझे अपना चैंबर दिखाया।


उसका चैंबर बस एक छोटा सा कमरा था। मोनिका ने मुझे चाय पिलाई, फिर मैं वहां से लौट आया। आते समय मैंने उसका नंबर मांग लिया, उसने भी बिना हिचकिचाए नंबर दे दिया।


फिर अगले दिन मैं अपने समय पर कोचिंग गया। मेरी नज़रें मोनिका को ढूंढ रही थीं। उस दिन वो थोड़ा देरी से आई। मोनिका ने वही कपड़े पहने थे जो कल पहने थे।


जब हमारी कोचिंग से छुट्टी हुई तो वो दुबारा मुझे उसी जगह खड़ी दिखी, लेकिन आज न जाने क्यों मैं उसके पास से होकर गुज़रा लेकिन रुका नहीं और थोड़ी ही देर में मैं अपने घर पर था।


अपने कमरे में जाते हुए मैंने मोबाइल देखा तो उसमें मोनिका की तरफ से 2 स्माइली मैसेज आए थे।


मैंने पूछा, “क्या हुआ?” मोनिका का तुरंत रिप्लाई आया, “आज आप रुके नहीं।


मुझे थोड़ा बुरा लगा तो मैंने बोल दिया, “मुझे थोड़ा काम था इसलिए मैं नहीं रुक पाया।उसका जवाब आया, “अच्छा, आप मुझे स्कूटी सिखा दोगे?”


मैंने थोड़ा सोचा फिर जवाब दिया, “जी सिखा दूंगा, कोई दिक्कत नहीं मुझे।


वो बोली, “कल फिर हम कचहरी के पीछे चलेंगे, वो रास्ता खाली रहता है।


 हमारी बात खत्म हुई और मैं अगले दिन का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा।


अगले दिन मैं अच्छे से तैयार हुआ और परफ्यूम लगाकर, मोनिका को स्कूटी सिखाने के सुहाने सपने लिए कोचिंग गया। मोनिका अपने रोज़ के समय पर आई।


वो लगभग एक ही यूनिफॉर्म पहनती थी। जब कोचिंग खत्म हुई तो मैंने उसे चौराहे से स्कूटी पर बैठाया और हम दोनों वही खाली रास्ते पर पहुंचे।


 मैं स्कूटी पर पीछे बैठा, वो मेरे आगे आकर बैठी। हमने धीरे-धीरे स्कूटी चलानी शुरू की। मोनिका अच्छे से गाड़ी चला पा रही थी, लेकिन मेरे दिमाग में शरारत सूझी।


मैंने एकदम से रफ्तार बढ़ाई फिर ब्रेक लगाकर गाड़ी झुका दी। मोनिका लगभग गिरने वाली थी, उसे बचाने के बहाने से मैंने उसकी चूंची पकड़ ली। उफ्फ! उसकी छोटी चूंची काफी सख्त थी।


मैंने जल्दी से कहा, “चोट तो नहीं लगी आपको?” वो भी तुरंत बोल पड़ी, “हाथ हटाओ अपना जल्दी।


 मैंने उसकी चूंची छोड़ दी लेकिन मन ही मन काफी खुश था। फिर हमने दो राउंड मारे और मैं उसे कचहरी छोड़कर घर आ गया।


 अगले दिन फिर से वही सब हुआ, मगर धीरे-धीरे हमारी नज़दीकियां बढ़ने लगीं। मैं जानकर एक-दो बार उसका बैलेंस खराब करता, फिर हैंडल संभालने के बहाने मोनिका के हाथ पर हाथ रख लेता।


मैं उसको बहुत अच्छे से ख्याल रखते हुए स्कूटी सिखाता। हमें गाड़ी चलाते हुए 5 दिन हो गए थे, अब मोनिका पैर ऊपर करके गाड़ी चला लेती थी, फिर भी मैं हैंडल संभालता।


मैं धीरे-धीरे उसके हाथ सहलाता, उसे मेरा ऐसा करना अच्छा लगता था। एक बार मैंने अपने चेहरे को उसके कंधे पर रखा। वो कंधे ऊपर करके मुझे हटा दिया, लेकिन मैंने फिर से वापस रख दिया।


एक-दो बार ऐसा हुआ, आखिरकार उसने मुझे अपना चेहरा उसके कंधे पर रखने दिया। फिर मेरी और हिम्मत बढ़ गई। मैंने मोनिका के कंधे को चूम लिया।


उसने बनावटी गुस्से से बोला, “सीधे बैठो सीधे।फिर मैंने अपने हाथ उसके हाथों पर जमा लिए, लेकिन वो कुछ नहीं बोली।


मोनिका का फोकस रास्ते पर था और मेरा फोकस कंधे पर। मैंने फिर से उसके कंधे को चूमा, इस बार उसकी आआह! निकल गई। हम बीच सड़क पर भरी सुबह में चलती गाड़ी पर रोमांस कर रहे थे।


मैं मोनिका के कंधे को चूमकर उसके जिस्म को चख रहा था। उसकी गर्म सांसें तेज़ होने लगीं। फिर मैंने धीरे से अपना हाथ उसके पेट पर रखकर सहलाया।


फिर थोड़ा-थोड़ा करके मैं अपने हाथ को उसके चूंची की तरफ ले गया। मैंने बहुत आराम से उसकी चूंची दबाई।


मोनिका ने एक आह! के साथ स्कूटी रोकी, फिर वो अपनी काली आंखों में नशा भरती हुई बोली, “चलिए चैंबर में चलते हैं।


 मैंने अपने होठ काटे और उसको हां कह दिया। मैंने उसे थोड़ा खड़ा कराया, फिर अपने आपको आगे कराया और उसे बैठने को बोला।


मोनिका मेरी गोद में बैठकर स्कूटी चलाने लगी। मुझे उसकी मखमली गांड़ की नरमी व गर्मी लंड पर महसूस हो रही थी।


हम ऐसे ही जल्दी-जल्दी उसके चैंबर तक पहुंचे। हमें डर था कि कोई देख न ले, लेकिन सुबह का समय था इसलिए कोई नहीं था।


मोनिका मेरी गोद में बैठे-बैठे स्कूटी लेकर चैंबर पहुंची। मैंने भी कोई शरारत नहीं की और उसे ठीक से उसकी मंजिल तक ले गया। ये Antarvasna XXX Hindi Sex Kahani आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे हैं।


जब मोनिका मेरी गोद से उतरी तो मेरा लंड तन चुका था। इस बात का एहसास मोनिका को बिल्कुल नहीं था।


वो शर्माते हुए चैंबर खोलने लगी, फिर जल्दी से अंदर घुसी। मैं भी उसके पीछे-पीछे अंदर गया। मोनिका की सांसें भारी हो रही थीं।


 उसने मुझे कुर्सी पर बैठने को बोला, फिर अपने केबिन की साफ-सफाई करने लगी। वो झाड़ू उठाकर कूड़ा बाहर निकाल रही थी, उसकी प्यारी सी गांड़ मेरे मुंह की तरफ थी।


मेरा लंड उफान मार रहा था। जब मोनिका मेरे सामने से होकर गुज़री तो उसकी मीठी सी खुशबू ने मुझे बहका दिया।


मैं उठा और मोनिका को पीछे से दबोचकर दीवार पर सटाने लगा। वो थोड़ा डर गई, फिर मैंने उसे घुमाया और चेहरे को अपनी तरफ कराया।


उसने फूलती सांसों से मुझे कहा, “आप ये क्या कर रहे हो?” मैंने उसके नर्म गालों पर अपने चेहरे को सहलाते हुए कहा,


कुछ भी तो नहीं कर रहा मैं।मैंने उसके गाल को चूमा तो उसने नज़रें झुकाकर बोला, “जाओ, आपको देर हो रही है।


 मैंने उसकी कमर पर हाथ बांधे और अपने जिस्म से उसे दबा दिया। मेरा लंड उसकी चूत पर दब गया। जब मोनिका को इस बात का एहसास हुआ तो उसके मुंह से बहुत गर्म आअह्फ्फ! की आवाज़ निकली।


मैंने उसको पूछा, “मैं चला जाऊं?” वो बोली, “हां जाओ।मैं धीरे-धीरे अपने चेहरे को उसके करीब लाया। मैंने मोनिका के गाल को चूमा।


वो मुझे नाज़ुक सी ताकत के साथ पीछे धकेल रही थी। मगर मैं पूरी ताकत से उसे पकड़े हुए था। मैंने उसे बोला, “एक किस दो फिर चला जाऊंगा।


उसने मेरी आंखों में देखा फिर बोली, “पक्का वादा! चले जाओगे?” उसने अपने होठों को ऊपर उठाया, फिर उनको जीभ से थोड़ा गीला कराया और अपनी आंखें बंद करके चेहरा आगे कर दिया।


मैंने मोनिका के गाल पकड़े, फिर उसके होठों को जीभ से छुआ, फिर आराम से उसके होठों में अपने होठ दबा लिए। हमारे होठ मिल गए।


मैंने अपने हाथ गाल से नीचे उतारे और उसके चूचों के किनारे पर रखकर चूंची दबाई।


मोनिका को भी इससे थोड़ा जोश मिला। उसने मेरी पीठ पर हाथ फेरकर मुझे खींचा और होठ दबाकर कसकर चूमने लगी।


मैं उसके निचले होठों को अपने होठों से दबाता तो वो मेरे ऊपर के होठों को मुंह में लेकर दबाती। उसकी लिपस्टिक का स्वाद बहुत अच्छा था।


मैंने उसे थोड़ा अधिक जकड़ में लिया। उसके होठों को मैंने पूरे 10 मिनट चूसा, लेकिन मेरा अब वहां से जाने का इरादा खत्म हो गया था। दोस्तों, हर वादा निभाने के लिए नहीं होता।


मैं थोड़ा झुका, फिर उसकी गांड़ को दबाते हुए मोनिका को गोद में लेकर बहुत प्यार से टेबल पर बैठा दिया। मोनिका भी मुझसे लिए वादे को भूल चुकी थी। वो मेरे सर को अपनी तरफ खींचकर चूम रही थी।


मैंने उसकी पैंट खोली और पैरों की तरफ नीचे होकर बैठ गया। मोनिका की चूत पर हल्के-हल्के बाल थे।


आगे की कहानी : "वकील मैडम को उन्हीं के चैंबर में दबा कर चोदा 02"


Share This Story :  


यह कहानी आपको कैसी लगी?

❤️ Love 0
😍 Wow 0
😂 Funny 0
😢 Sad 0
😡 Angry 0
👏 Clap 0

💬 Leave a Comment :-

📝 Comments :

No comments yet. Be the first to comment!