बस के सफर में मिली देसी गर्ल की चूत चुदाई का मौका

Chudai Ki Kahani :  जानिए इस अन्तर्वासना सेक्स कहानी में की कैसा रहा यह बस से चुदाई तक का सफर!


आज में आपको वो किस्सा बताने जा रहा हूं जिसे मेरे करीबी दोस्त रोहन ने मुझे बताया था ।


एक बस की यात्रा में मिली वो अनोखी मुलाकात


सांझ का समय था। दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर बस धीरे-धीरे सरक रही थी। बाहर बारिश की बूंदें खिड़की पर टपक रही थीं, और अंदर की हवा में एक अजीब सी शांति थी।


 मैं रोहन, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है अपनी रोजमर्रा की थकान से भरी जिंदगी में बस यूं ही बैठा था। मेरी बगल वाली सीट खाली थी, लेकिन जैसे ही बस अगले स्टॉप पर रुकी, एक लड़की चढ़ी। 


वो भीग रही थी, उसके बालों से पानी टपक रहा था, और उसकी आंखों में एक ऐसी चमक थी जो मुझे तुरंत आकर्षित कर गई। वो मेरी बगल में बैठ गई, अपनी बैग को गोद में रखकर।


"हाय," उसने मुस्कुराते हुए कहा। उसकी आवाज में एक गर्माहट थी, जैसे कोई पुरानी दोस्त हो। मैंने हैरानी से उसकी तरफ देखा।


"हाय," मैंने जवाब दिया। वो हंसी, "मैं जानती हूं, अजनबियों से बात नहीं करनी चाहिए, लेकिन ये बस इतनी बोरिंग है। मेरा नाम आरुषि है।"


"रोहन,"  कहा, और हमारी बातचीत शुरू हो गई। वो 25 साल की थी, एक ग्राफिक डिजाइनर, और उसकी जिंदगी में एक ऐसी आजादी थी जो मुझे अपनी कैद जैसी जिंदगी से ईर्ष्या करने पर मजबूर कर रही थी। 


वो नई चीजें जानने की उत्सुक थी, हर बात पर सवाल करती, और अपनी गलतियों को स्वीकार करने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाती। उसकी ईमानदारी मुझे प्रभावित कर रही थी।


जैसे-जैसे बस आगे बढ़ी, बातें गहराती गईं। 


हमने फिल्मों, किताबों और जिंदगी के बारे में बात की। अचानक वो रुक गई, और उसकी आंखों में एक गंभीरता आ गई। "तुम्हें पता है, लोग मुझे बैड गर्ल कहते हैं," उसने कहा, अपनी आंखें नीचे झुकाकर। 


मैं चौंक गया। "क्यों?" मैंने पूछा, लेकिन वो हंसी, "क्योंकि मैंने कुछ ऐसा किया था जो समाज की नजर में गलत है। लेकिन मैं तुम्हें बताती हूं, क्योंकि मैं ईमानदार हूं। और शायद तुम समझोगे।"


जब आरुषि ओर उसकी दोस्त सजल आपस में प्यार के दर्द की बात कर रहे थे।


तो सजल ने अपनी मम्मी से ये सवाल किया था तब उसकी मम्मी ने एक थप्पड़ लगा दिया, उस थप्पड़ ने दोनों की दोस्ती खत्म करा दी मगर यही सवाल जब आरुषि ने अपनी मम्मी को पूछा तो वो हसी उसके माथे को चूमा और कहा कि जब समय आएगा तो वो खुद समझ जाएगी। अभी उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


उसने अपनी कहानी शुरू की, और मैं मंत्रमुग्ध होकर सुनता रहा। ये कहानी थी उसकी जिज्ञासा की, उसकी गलतियों की, और उनसे सीखने की।


आरुषि की कहानी उसके टीनएज दिनों से शुरू होती है। वो 18 साल की थी, जब वो पहली बार कॉलेज में गई। गांव से आई एक सीधी-सादी लड़की, लेकिन उसके मन में दुनिया को जानने की एक तीव्र उत्सुकता थी। 


"मैं हमेशा सोचती थी कि प्यार क्यों दर्द देता है," उसने कहा। "फिल्मों में, किताबों में, हर जगह प्यार को इतना दर्दनाक दिखाया जाता है। मैं जानना चाहती थी कि वो दर्द क्या है, वो जज्बात क्या हैं जो लोगों को तोड़ देते हैं।"


उस समय उसकी जिंदगी में आया था विक्रम। वो उसका क्लासमेट था, 19 साल का, हैंडसम और कॉन्फिडेंट मगर बेवकूफ लड़का। वो दोनों दोस्त बने, और धीरे-धीरे बातें गहरी होने लगीं। आरुषि की जिज्ञासा उसे आगे बढ़ा रही थी।


 "मैंने कभी किसी से छुपाया नहीं," उसने कहा। "मैं ईमानदार हूं। मैंने विक्रम से कहा कि मैं जानना चाहती हूं कि प्यार में दर्द क्यों है, क्योंकि मैंने सुना है कि प्यार वो चीज़ है जिसमें वो दर्द और सुख दोनों देती है।"


एक शाम, कॉलेज के बाद, वो दोनों विक्रम के कमरे पर गए। विक्रम ने अपने किसी भैया से आरुषि का बताया सवाल पूछा तो उन्होंने ने जवाब में एक पेनड्राइव दे दी ओर कहा अकेले में देख लेना।


विक्रम कॉलेज के बाद आरुषि को बोला के उसके पास पेनड्राइव है जिसमें प्यार से मिलने वाले दर्द के बारे में जान करी है। आरुषि का दिल धड़क रहा था, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे रोक नहीं पाई।


न दानी में वो विक्रम के साथ चलदी । कमरे में जाकर विक्रम ने पेनड्राइव में एक चूदाई की फिल्म लगा दी।


आरुषि को ये सब देखकर शर्म आने लगी, उसे घबराहट हुई और उठकर जाने का इरादा बनाया मगर वो जानना चाहती थी कि वो अनुभव कैसा होता है।


जो लोगों को बैड गर्ल या बैड बॉय का टैग दे देता है। विक्रम ने आरुषि का हाथ पकड़ा आरुषि को थोड़ा अजीब लगा, विक्रम उससे थोड़ा सटकर बैठ गया। 


आरुषि को पसीने आने लगे। सामने फिल्म थी जिसमें लड़का लड़की के नंगे जिस्म को चख रहा था लड़की आह! ओह! की आवाज़ों में कसमसा रही थी। 


विक्रम ने गले से उतरते आरुषि के पसीने को चूमा फिर थोड़ा नीचे उतर कर गर्दन को चूमा फिर गाल पर हल्के से काटा।


आरुषि को उसके पर दर्द हुआ और जिज्ञासा और ज़्यादा बढ़ गई। विक्रम ने उनके होंठ के करीब चूमा , आरुषि की उफ्फ! करते हुए विक्रम को बाहों में लेने लगी।


सामने फिल्म में लड़का लड़की चूदाई में मग्न हो चुके थे इधर विक्रम और आरुषि चूदाई की आग में जलने लग गए थे। एक एक कर के विक्रम ने उसके कपड़े उतारे ।


आरुषि पर जवानी चढ़नी अभी शुरू हुई थी। उसके 28 के साइज के चूची अभी कच्ची थी। जब विक्रम उसे चूमता तो उसकी आह!


निकलती विक्रम ने फिल्म की तरह आरुषि के निप्पल पीना शुरू की उसका एक हाथ पेंट खोलने के लिए गया।


आरुषि को चूत की तरफ गर्मी ओर गिला पान महसूस हुआ मगर अब उसे ये दर्द अच्छा लगने लगा था। दोनों भी बिस्तर पर लेट गए। विक्रम उठकर उसके ऊपर बैठा एक एक कर के उसके सारे कड़पे जिस्म से अलग करे।


अब तक आरुषि भी उसका साथ देने लगी थी जितनी गर्मी बढ़ती जाती उतनी जिज्ञासा चरम पर आने लगती। आरुषि ने विक्रम के कपड़े निकाल दिए।


पहली बार आरुषि ने लन्ड का दीदार करा, उसने लन्ड को छुआ तो उसकी लंबाई बढ़ती गई 5.5 इंच तक आकर उसकी सख्ती किसी लोहे से कम नहीं रही। 


आरुषि ने सामने फिल्म को देखा तो लड़की लड़की की चूत में लन्ड धकाधक पेल रहा था। लड़की आह! मम्! आह ! याह! कर ये हुए दर्द से कर्रा रही थी। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


आरुषि ने अपनी चूत को देखा फिर सामने खड़े लन्ड को देखा , उसके चेहरे पर डर विक्रम को साफ नज़र आया। विक्रम ने उसकी हिम्मत बांधी।


विक्रम नीचे झुका एक हाथ उसने लन्ड पर लिया और चूत के दरवाज़े पर दस्तक दी। आरुषि के होठों को अपने होठों में दबाकर एक धक्का लगाया। आरुषि ने चीखने की कोशिश की मगर विक्रम ने अपनी ज़ुबान उसके मुंह में देकर उसकी आवाज़ बंद करदी।


कुछ देर धक्के लगाते हुए विक्रम ने देखा आरुषि बेहोश हो मगर अब तक विक्रम पर हवस चढ़ चुकी थी उसने धीरे धीरे धक्के लगाते हुए। आरुषि को उठाने की कोशिश की।


आह! आह! मम् ! आह माँ! कहते हुए आरुषि उठी।


उनको मज़ा आने लगा उसको दर्द मिलने लगा उसको सुख मिलने लगा। उसने अपने पैर हवा में उठाए। पूरी तरह से लन्ड को अंदर उतरने के लिए टांगे खोलने लगी।


विक्रम तेज़ी से उसे चोदने लगा। दोनों का ये पहला अनुभव था विक्रम बस कुछ ही समय में चरमसुख को पहचा। कुछ चार छै धक्कों में एक लंबी अआआह! के साथ विक्रम झड़ गया।


आरुषि ने उसे उठाना चाहा आरुषि को अभी ओर दर्द और सुख चाहिए था मगर विक्रम की हिम्मत खत्म हो गई थी।


आरुषि उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी मगर जब ज़ोर देकर वो उठा तो उसे पूरी चादर पर खून ही खून पाया। विक्रम डर गया आरुषि डर गई। इस खून का जिक्र न फिल्म में था न भैया ने बताया था न कभी किसी से सुना था।


विक्रम उठा और वहां से भाग गया। आरुषि डर गई उसने जल्दी से कपड़े ठीक किए और लंगड़ाते हुए अपने घर पहुंची।


घर पर तो उसने अपने खास महीनो वाला बहाना दे दिया, मगर एक दो दिन जब खून ज़्यादा निकला तो बात सब में फैल गई।


वो बोली"हमने किया," उसने धीरे से कहा, उसकी आंखें मेरी आंखों में झांक रही थीं। "ये कोई प्यार नहीं था, सिर्फ जिज्ञासा थी। लेकिन वो पल... वो मुझे समझ आ गया कि प्यार क्यों दर्द देता है। क्योंकि उसके बाद सब बदल गया।"


विक्रम ने अगले दिन से उसे इग्नोर करना शुरू कर दिया। आरुषि को दर्द हुआ, लेकिन वो समझ गई कि वो गलती थी। "मैं जिज्ञासु हूं," उसने कहा। "मैं जानती हूं कि मैंने गलत किया। 


जिज्ञासा अच्छी है, लेकिन उसे सही तरीके से संभालना चाहिए। मैंने स्वीकार किया अपनी गलती, और आगे बढ़ी। लेकिन समाज... वो मुझे बैड गर्ल कहता है। क्योंकि एक लड़की ने अपनी जिज्ञासा को गलत आजमाया।"


मैं सुनता रहा। उसकी बहादुरी मुझे प्रभावित कर रही थी। वो अपनी गलती को छुपा नहीं रही थी, बल्कि उसे स्वीकार कर रही थी। बस आगे बढ़ रही थी, और हमारी बातें और गहरी होती गईं।


"तुम डरते नहीं हो बताने से?" मैंने पूछा। वो हंसी, "नहीं, क्योंकि मैं बहादुर हूं। गलतियां इंसान को बनाती हैं।"


उस रात बस में हमने घंटों बात की। वो अपनी जिंदगी के और राज खोलती गई।


कैसे वो अपनी गलती से सीखी, कैसे वो अब नई चीजें सीखने में लगी है – किताबें पढ़ना, ट्रैवल करना, नए लोगों से मिलना। "मैं अब भी जिज्ञासु हूं," उसने कहा, "लेकिन अब समझदारी से।"


हमने बातें जारी रखीं। अब बातें पर्सनल हो गईं। वो मेरे बारे में जानना चाहती थी – मेरी जिंदगी, मेरे सपने। मैंने बताया कि मैं एक साधारण लड़का हूं, लेकिन उसकी कहानी ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।


"तुम्हारी तरह बहादुर बनना चाहता हूं," मैंने कहा। वो मुस्कुराई, और धीरे से मेरा हाथ पकड़ लिया। वो स्पर्श... वो रोमांटिक था।


रात गहराती गई। ढाबे पर कुछ लोग सो गए, लेकिन हम जागते रहे। आरुषि ने अपनी पास्ट की और डिटेल्स शेयर की। कैसे विक्रम के बाद उसने खुद को संभाला, कैसे उसने थेरपी ली, और अब वो एक मजबूत औरत है।


 "मैंने सीखा कि प्यार दर्द देता है क्योंकि हम उम्मीदें बांधते हैं," उसने कहा। "लेकिन सच्चा प्यार वो है जो आजाद करता है।"


मैं उसकी बातों में खो गया। उसकी ईमानदारी मुझे प्यार करने पर मजबूर कर रही थी। अचानक उसने कहा, "रोहन, क्या तुम्हें लगता है कि हम मिल सकते हैं?" मैंने हां कहा, और वो मेरे करीब आ गई। उस रात, ढाबे के पीछे एक छोटी सी जगह पर, हमने एक-दूसरे को किस किया।


 वो किस बोल्ड था, पैशनेट था, उसने मुझे लेटाया हमारी आँखें मिली कुछ ही पलो में हमारे बीच के होठों की दूरी खत्म हो गई।


हम एक दूसरे के होठों को चूसते रहे उसके मुंह से निकलता रस मेरे लिए रूह अफजा से ज़्यादा अच्छा था। मैने उसके होठ चूसे उसने मेरे होठ चाटे।


वो उठकर मेरे ऊपर बैठी, एक कातिल मुस्कान मुझे देती हुई बोली " अब दिखाती हूं लाइफ ने मुझे किया किया सिखाया है।"


उसने मेरे पेट को चूमा , फिर चूमते चूमते पेट से नीचे पहुंची, मैने उठना चाहा मगर हाथ से दबा कर उसने मुझे लेटा दिया वो दिखने में कमज़ोर थी मगर जिस कामुकता से उसने मुझे दबाया मेरे उठने की हिम्मत खत्म हो गई।


उसने मेरे निप्पल ऐसे चूसे जैसे वो लड़का हो और में लड़की, मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर उसने मुझे अपना गुलाम बना लिया। फिर वो घूमी अपने कपड़े उतारते हुए चूत को मेरे मुंह पर मसलने लगी। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


में इधर उसकी चूत चाट रहा था वो मेरे लन्ड को चूस रही थी। मैने उसे अपनी ज़ुबान से अंदर तक चोदा उसने मेरे लन्ड के छेद में अपनी ज़बान डाल कर चोद दिया।


उसकी गांड़ से अलग सी खुशबू आ रही थी में इस खास चीज़ का बारे में पूछा तो उसने बताया में हमेशा खुशबूदार रहन पसंद है में चाहती हुं मेरा अंग अंग महके।


वो मेरी तरफ फिर से पलटी मेरे बाल पकड़ कर उसने उठाया। हम दोनों पूरे नंगे थे। कोई देख लेता तो शामत आनी तय थी , मगर उसे बिल्कुल डर नहीं था ,वो बिंदास थी।


वो मेरे ऊपर बैठी उसने अपनी नंगी टांगे मेरे पीछे रखकर मोडी, मैने भी उसके पीछे टांगे लगाकर मॉडली। हम दोनों ने एक दूसरे को बैठे बैठे फंसा लिया। 


मैने उसका चेहरा पकड़ा और उसके रस भरे होठ अपने होठों से लगा लिए। करीब 10 मिनिट बिना रुके हमने एक दूसरे के रस से अपनी अपनी हवस की पिया को बुझाया , हम जितना बुझाते वो उतनी भड़कती।


रस से रस का जलपान करते करते मैने उसकी चूत को छुआ , छूते ही उसकी एक ससईससास हुह्हः सिसकारी निकली।


उसने मेरे होठ छोड़े मैने लन्ड को उसकी चूत पर लगाया वो थोड़ा उठी और लन्ड को अंदर ले गई। सीधे बैठे होने की वजह लन्ड सीधा अंदर तक उतर गया।


अआह अ आ! उसकी सांस अटकी। मैने धीमी रफ्तार में उसे चोदना शुरू किया । उसने मेरे चेहरे में अपने बूब्स दबाए और उछलने लगी।


आह ! आह! अआह! 


हम! आह! रोहन! आह!  करते रहो! रुकना नहीं! अआह!


परेशान मत हो बेबी!  में उस बुज़दिल जैसा नहीं!


उम्माह! उम्मं! उम्माह!


हमारी आवाज़ चारों तरफ घूमने लगी। मुझे लगा की कोई हमें देख रहा है, मगर अब में भी बहादुर हो गया था।


आह! अआह! 


उसकी जिज्ञासा अब प्यार में बदल रही थी। वो चरमसुख को पहुंचने वाली थी, उसकी आंखों में सुकून के आंसू मुझे दिखाई दिए।


बीस मिनट शानदार चूदाई के बाद हम दोनों साथ ही झड़ गए।


चंद निकल आया था , मैने चूत के पास देखा तो वह चमकता हुआ पानी था। खून की कोई बूंद नहीं थी।


आरुषि के चेहरे पर सुकून और दर्द की मिली जुली झलक थी।


उसकी आंखों में नशा और मोहब्बत देखकर मुझे उसके लिए अपने दिल में मोहब्बत महसूस हुई। मेरे दिल ने मुझसे कह दिया के ये चूदाई ओर ये रात आखरी नहीं होने वाली।


हम उठे कपड़े ठीक कर के बस की तरफ गए तो एक कोने से एक आदमी कर औरत की भी दर्द और सुकून भरी आहे सुनाई दे रही थी। जो कुछ समय पहले हम गुन गुना रहे थे।


में समझ गया हमारी वजह से किसी की रात रंगीन हो गई है।


सुबह बस चलने को तैयार हुई, और हम दिल्ली पहुंचे। लेकिन वो मुलाकात खत्म नहीं हुई। हमने नंबर्स एक्सचेंज किए, और अगले दिन मिले।


हमारी डेट्स शुरू हुईं – कभी पार्क में, कभी कैफे में। आरुषि की पर्सनैलिटी मुझे हर दिन आकर्षित करती। वो नई चीजें ट्राई करती – नया फूड, नई जगहें। "जिंदगी छोटी है, सब जानो," वो कहती।





एक शाम, हम एक रोमांटिक डिनर पर गए। वो रेड ड्रेस में आई, और उसकी आंखें चमक रही थीं। "रोहन, मैं तुम्हें अपनी पूरी कहानी बताना चाहती हूं," उसने कहा। "विक्रम के साथ जो हुआ, वो डिटेल में। क्योंकि मैं ईमानदार हूं।"


उसने बताया कि वो शाम कैसी थी। कैसे वो उत्सुक थी, कैसे उन्होंने बातें की, और फिर फिजिकल हुए। "वो मेरा पहला अनुभव था," उसने कहा। 


"मैंने सोचा था कि ये प्यार है, लेकिन ये सिर्फ बॉडी का आकर्षण था। दर्द तब हुआ जब वो मुझे छोड़ गया। लेकिन मैंने स्वीकार किया, और आगे बढ़ी।


मैंने उसका हाथ पकड़ा, "तुम बहादुर हो। तुम्हारी गलती तुम्हें डिफाइन नहीं करती।" वो मुस्कुराई, और हमारा रिश्ता गहरा हो गया। हमारी रातें अब पैशनेट हो गईं। 


आरुषि की जिज्ञासा हमारे चूदाई के लम्हों में झलकती। वो नई चीजें ट्राई करना चाहती, लेकिन अब प्यार के साथ। "प्यार दर्द नहीं देता अगर सच्चा हो," वो कहती।


कुछ महीने बीते। हमारा प्यार बढ़ता गया। लेकिन समाज की नजरें... लोग आरुषि के पास्ट के बारे में बातें करते। लेकिन वो डटी रही। "मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करती हूं," वो कहती। "और तुम मेरे साथ हो, ये काफी है।"


एक दिन, हमने शादी का फैसला किया। लेकिन इससे पहले, आरुषि ने कहा, "मैं तुम्हें सब बताना चाहती हूं। कोई राज नहीं।


" उसने अपनी जिंदगी की हर डिटेल शेयर की – अपनी जिज्ञासा, अपनी गलतियां, अपनी सीख। मैंने उसे गले लगाया, "तुम परफेक्ट हो।"


हमारी शादी एक छोटी सी सेरेमनी थी। लेकिन हमारी हनीमून... वो हवस से भरपूर और रोमांटिक था। गोवा के बीच पर, हमने रातें बिताईं।


आरुषि की जिज्ञासा हमें नए अनुभवों की ओर ले जाती। "प्यार इसी में है," वो कहती, और हम एक-दूसरे में खो जाते।


आज, दो साल बाद, हम खुश हैं। आरुषि अब भी जिज्ञासु है – नई किताबें पढ़ती, नई जगहें घूमती। उसकी ईमानदारी हमारे रिश्ते की नींव है। वो अपनी गलतियों को स्वीकार करती, और मैं उसकी बहादुरी से प्यार करता हूं।


ये कहानी है एक बस की मुलाकात की, जो प्यार में बदल गई। आरुषि ने साबित किया कि बैड गर्ल का टैग सिर्फ समाज का है, असली में वो एक बहादुर, ईमानदार और परिपक्व औरत है। और हमारा प्यार... वो अनंत है।


तो यह अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी कैसे लगी हमें जरूर बताए! साथ ही अगर आपकी स्टोरी भी हमें जरूर भेजे!


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