बड़ी चूंचे वाली कामवाली की मजबूरी से चूत चुदाई का मज़ा!

Desi Sex Story : पढे कैसे एक मजबूर कामुक कामवाली को मैंने अपने घर में काम पर रखा और उसने काम के साथ साथ मेरे लंड का ख्याल भी अच्छी तरीके से रखा!


हेलो दोस्तों आपको आज मैं जो चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं वो मेरे मोहल्ले के घर का किस्सा है। 


वहां एक परिवार रहता था जिसमें चार सदस्य थे, वहां के लड़के से मेरी जान पहचान थी। लड़के का नाम रविश था वो अपने माँ, बाप और बहन के साथ रहता था, अच्छा खासा ठीक ठाक घराना था उनका।


रविश मुझे अभी कुछ दिन पहले मिला था हमने काफी बाते की तो उसने मुझे अपनी चुदाई की एक दिलचस्प कहानी बताई, तो वही मैं आप लोगो से आज बाटूंगा।


रविश 25 की उमर का ठीक तक दिखने वाला था है, 5.6 फुटी लंबाई और कद व सेहत के लिहाज़ से अच्छा दिखता है।


हम काफी समय बाद फुटबॉल मैच खेल रहे थे खेलने के बाद कुछ देर बैठे तो वो उसने मुझे अपनी चुदाई की मादक कहानी बतानी शुरू करते हुए वो बोला:


अभी 6 महीने पहले की बात है यार, तुम तो जानते हो मेरे पापा सरकारी नौकरी में है तो पैसे की कोई परेशानी नहीं है, मैं भी पुलिस की तैयारी कर रहा हूं।


एक शाम हमारे घर की घंटी बजी माँ ने दरवाज़ा खोला था, मैं लेटा हुआ TV देख रहा था, मुझे आवाज़ आई कि माँ किसी को बोल रही थी “जाओ! जाओ! ज़रूरत नहीं है।” 


मैने जाकर देखा तो एक औरत नीली साड़ी पहने हुए खड़ी थी, उसका मेरी माँ के मुकाबले बस आधा ब्लाउस था जिनसे मस्त गोल मोल काले चूंचे बाहर झाक रहे थे।


खुला हुआ उसका गला था और पल्लू उसने सर पर ले रखा था , ऐसा लगता था के वो बस इसी घर पर आकर खास रुकी हो।


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साड़ी में उसकी गांड़ छुपी हुई थी लेकिन 38 का साइज़ तो फिर भी होगा ही।


उसने मुझे देखकर बोला, “बाबू साब मदद करो, मैं बहुत परेशान हूं। मेरे घर वाले ने मुझे घर से निकाल दिया क्योंकि मैं दहेज नहीं दे पाई, मैं कोई मांगने वाली नहीं हूं मुझे अपने घर में कोई काम दे दो मैं सब कर लूंगी।”


उसकी बाते सुनकर माँ ने मना कर दिया की हमें जरूरत नहीं है। वो फिर भी नहीं मानी मेरी नज़रे उसके भारी भरकम चूंचे दबा रही थी जिसका उसे एहसास हो गया था। 


उसने मेरी नज़रे पकड़ी और मुझसे आँखें मिलाती हुई बोली “बाबू साब मैं कुछ भी कर सकती हूं, माँ जी से कहिए न मुझे न ठुक राए।”


मैं उसका इशारा समझ गया मैने उससे नाम पूछा तो वो बड़ी प्यारी आवाज़ निकालते हुए बोली “मैं प्रीति हूं, संबल की रहने वाली हूं यहां काम की तलाश में आई थी क्योंकि वहां अगर किसी ने मुझे इस हाल में देखा तो बवाल हो जाएगा।”


मैने माँ को थोड़ा मनाया तो उन्होंने प्रीति को रखने के लिए हां बोल दिया।


माँ उसको घर में आने का बोलकर अंदर चली गई, प्रीति के साथ एक बड़ा सा तांबे का बक्सा था जिसमें उसका ज़रूरत का सामान रखा था शायद , मैने वो बक्सा उठाया और आधे दरवाज़े से कमर टिका कर खड़ा हो गया।


वो अपनी हरी काली नशे से भरी नज़रे मुझसे मिलाते हुए अंदर आई, मुझसे अपने गांड़ को रगड़ते हुए वो अंदर चली गई, मैने एक सुकून भरी सईससस अपने मुंह से निकाली जो उसने भी सुनी और फिर अंदर आ गया।


प्रीति सांवले रंग की मस्त कामुक औरत थी, उसके पतले होठ सफेद मोती जैसे दांत बहुत खूबसूरत थे और आज से वो मेरे घर की नौकरानी बन गई थी साथ ही मेरे लन्ड की रानी भी बनने वाली थी।


मैने प्रीति को माँ से बात करते देखा और किचेन में दोनों के पास खड़ा हो गया, माँ उसको घर का काम समझाने लगी मैं माँ के पीछे खड़ा हुआ उसके जिस्म को अपनी नज़रों से मसल रहा था। 


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प्रीति जानती थी की उसे घर के साथ साथ मेरा भी ख्याल रखना होगा और शायद वो तैयार भी थी क्योंकि वो बार बार मेरे लन्ड की तरफ आँखें डालकर अपने होठ दबा रही थी।


माँ ने मुझे कमरे में जाने को बोल दिया, मैं भी बेमन से कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा लेकिन दिमाग और लन्ड में तो प्रीति ही घूम रही थी।


करीब रात को 7 बजे के समय जब में किताब उठाए बैड पर बैठा पढ़ाई कर रहा था, तो प्रीति अंदर आई उसने मेरी माँ की एक नाइटी पहन रखी थी।


उस नाइटी में से मस्त मोटे चूंचे मुझे ललचा रहे थे, वो अंदर आकर बोली “बाबू साब खाना तैयार है, आकर खा लीजिए।”


मैं उठकर बैठा और उसे निहार ने लगा, उसका गदराया सांवला बदन महक रहा था बाल गिले थे देखकर लग रहा था के वो अभी नहाकर आई है।


मेरे उठने से तकिया नीचे गिर गया, मैने उसे उठाने को बोला तो वो मेरे करीब शर्माते हुए आई फिर नीचे तकिया उठाने झुकी तो उसकी मस्त काले निप्पल वाली चूचियां मुझे दिखने लगी।


मैं उसकी चूचियां ताड़ रहा था तो उसने अपनी आँखो से मेरी नज़रों को पकड़ लिया, फिर धीरे धीरे गांड़ उठाते हुए वो खड़ी हुई उसने अपनी ज़बान से सूखे होठ गिले करे।


मैने तकिया लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो उसने आगे बढ़कर तकिया मेरे खड़े लन्ड पर रखा और हाथ से लन्ड दबा दिया।


लन्ड दबाते हुए वो बोली “बाबू साब आपको भूख लगी होगी खा लीजिए”।


उसकी बातों में ऐसी वासना थी की मेरे हाथ अपने आप उसके चूंचे की तरफ बढ़ने लगे, उसने एक कदम पीछे लेते हुए कहा “बाबू साब पहले खाना खा लीजिए”।


मैं मुस्कुराया और अपना लन्ड सहलाते हुए उसके सामने खड़ा हो गया, उसने पहले मेरे मोटे 8 इंच के लन्ड को देखा फिर मुझे देखकर मुस्कुराई।


वो पलटी और कुछ सेकंड मेरे लन्ड से लगाकर अपनी गांड़ को सहलाने के बाद बाहर चली गई, मेरे लन्ड ने थोड़ा सा अपना रस निकाल दिया और मैं बाहर सब के साथ खाने बैठा।


प्रीति मेरे इधर उधर घूमती हुए सबको खाना दे रही थी, वो मेरी माँ की उमर की होगी लेकिन उमर कुछ भी हो 40 से ज़्यादा की वो किसी हाल में नहीं लग रही थी।


सब लोगों ने एक एक कर के खाना निपटाया और अपने कमरों में जाने लगे, जब सब चले गए तो मैने उसे बैठकर खाने को बोला वो मेरे सामने बैठकर खाना खाने लगी।


मैने अपना पैर उसके पैर पर सहलाया, उसे एक हिचकी लगी और वो मेरी तरफ देखकर खाना खाने लगी।


वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, मैं धीरे धीरे कर के अपने पैर को उसकी नाइटी में ले गया धीरे धीरे कर के मैं उसकी मोटी जांघों तक पहुंचा और चूत के पास से सहलाने लगा।


मेरे लन्ड कड़क हो चुका था, उसने भी अपना भारी पाऊं मेरे लन्ड पर रख दिया उसके पैर का वज़न लन्ड पर अच्छा दबाओ बनाए हुए था ।


वो पैंटी नहीं पहनी थी, मैं पैर के अंगूठे से उसकी चूत सहलाने लगा उसकी सांसे तेज़ होती हुई उसकी चूचियां से पता चल रही थीं।


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उसने कुर्सी करीब कर के, दोनों पैर लन्ड पर दबा दिए और अपनी चूत को भी अधिक खोल लिया।


वो मेरी मुठ मार रही थी और मैं अंगूठे से उसे चोद रहा था।


जब तक वो और मैं खाना खाते रहे हमने एक दूसरे की पैरों से ही चुदाई की और खाना खत्म होते होते हम झड़ गए।


हमने खाना खत्म किया, फिर वो मेरे करीब आकर बर्तन उठाने लगी। मैं खड़ा हुआ और पीछे से आकर उसके चूंचे दबाए फिर अपने कमरे की तरफ चल दिया।


जब पीछे मुड़ कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा थी मैं भी जवाब में मुस्कुरा दिया।


अपने कमरे में आकर मुझे चुदाई के बाद थकान महसूस हुई तो मैं सो गया फिर करीब रात के 2 बजे मेरी आँख खुली तो उठा।


मैं पानी पीने के लिए किचेन में गया तो प्रीति नीचे बिस्तर बिछाए सो रही थी, उसकी नाइटी जांघों से ऊपर हो गई थी किनारे पर से उसकी एक चूंची बाहर निकल रही थी। 


देखकर लग रहा था के जैसे ये अभी अभी चुद कर लेटी हो।


उसकी हालत देखकर मुझसे रहा नहीं गया मेरा लन्ड का तनाव बढ़ने लगा।


मैं भी उसके बराबर में लेट गया, उसके अंदर से वहीं खुशबू आ रही थी जो मेरी बहन के परफ्यूम से आती है। 


इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी के किसी काम वाली ने मेरे घर के लोगों का सामान इस्तमाल किया हो।


मैं अपनी एक टांग उसके ऊपर रखकर लेट गया, और उसकी खुली चूंची चूसने लगा।


उसकी मस्त काली चूंची चॉकलेट जैसी लग रही थी, हल्का हल्का दूध भी उसमें से आ रहा था, मुझे तो मिल्क शेक का मज़ा मिल रहा था।


उसके दूसरे चूंचे को मैने मुठ्ठी में भींचा और दबाने लगा, वो आगाह! अआआह! हमममम! 


की आवाज़ों से कर्रा ने लगी।


उसने अपनी आँखें खोली और मुझे देखकर बोली “आह! बाबू साब , आप! मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी!


मैं उसके चूंचे चूसते हुए फिर गले को चूमने लगा, उसने अपनी एक टांग उठाई और मेरे कमर पर बांध ली।


मैं अपना लन्ड उसकी चूत पर घिसने लगा, वो मस्त मादक सिसकारिया ले रही थी।


उसके गले को चूमते चूमते उसके गालों पर आ गया वो अपने हाथ के नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने वासना भरी आवाज़ में बोला “बाबू साब, आपका बहुत शुक्रिया जो अपने मुझे यहां रहने दिया।”


मैने उसको चूंची पर प्यार से काटा और अपना कच्छा निकाल दिया मैने अपने 8 इंच के लोड़े को आज़ाद किया।


जवाब में कह दिया “कोई बात नहीं री, तू इतनी प्यारी माल है कि कोई भी तुझे रख लेता।”


कहते कहते हमारे होठ आपस में मिल गए, मस्ती से हम दोनों एक दूसरे के होठ चूस रहे थे उसके होठ बहुत मीठे थे उसकी लाली बहुत अलग थी।


उसके काले होठ एक दम चॉकलेट जैसे थे, मेरा तो छोड़ने का मन नहीं था।


फिर उसने अपनी ज़बान मेरे मुंह में डाली मैं अपने हाथ से उसके निप्पल नोचने लगा उनसे निकलता हल्का हल्का दूध मेरी उंगलियों पर जम रहा था।


मैं मज़ा लेकर उसकी ज़बान चूस रहा था, इतने में मैने अपने हाथ को लन्ड पर पहुंचाया और उसकी चूत को खोला फिर लन्ड को उसकी चूत पर रखकर एक मस्त धक्का लगाया और आधा लन्ड चूत को चीरता हुआ अंदर उतर गया।


उसने चीखना चाहा मगर मैने मुंह पर हाथ रख लिया उसकी चीख अपने हाथ से दबाकर मैने गले को चूमना शुरू किया।


थोड़े से धक्के लगाकर मैने जब देखा के अब प्रीति को आराम हो गया है तो हाथ हटाकर होठ चूसना शुरू कर दिए।


ऊपर से मैं मस्ती से धक्के की रफ्तार बढ़ाने लगा उधर नीचे से वो गांड़ उठा उठा कर अपना जोश दिखाने लगी।


दबी दबी आवाज़ में हमारी आह! हमममम! आह


ओह ! बाबू साब आगाह! आराम से ओह! अच्छा लगा रहा है।


मैं भी जोश में अपनी राफ्तार को और ज़्यादा बढ़ा रहा था हमारी आगाह! हम ओऊहह्ह्ह! की आवाज़ एक साथ निकल रही थी।


अआआह! हमममम! प्रीति ओहद्ह!


बाबू साअब आआह! और तेज़ आआह ज़ोर से आह!


हमममम प्रीति मेरी जान आगाह!


एक दूसरे को कामसुख के चरम तक पहुंचाते हुए हम तेज़ी से धक्का पेल चुदाई कर रहे थे। करीब बीस मिनट उसे चोदने के बाद मैं झड़ने को हुआ ।


वो भी समझ गई और आगाह! ओह ! बाबू साब बस 2 मिनट ओर आआह! ओह ।


हमममम! आह ! उफ्फफ हम्मम! 


बोलती हुई चुदाई करते करते झड़ गई।


कुछ देर मैं ऐसे ही लेटा रहा फिर उसके चूंचे पर प्यार से काटकर अपने कमरे आ गया। वो मुझे जाने नहीं दे रही थी लेकिन थोड़ा समझाने के बाद वो मान गई।


फिर तो मेरे दोस्त और उस नौकरानी की चुदाई मौका देख कर हर रोज होने लग गई।


एक बार तो मेरे दोस्त के लंड से चुदने के कारण वो प्रेग्नेंट भी हो गई थी, जिसे मेरे दोस्त ने संभाल लिया।  ये कहानी भी उसने मुझे बताई थी जिसे आप लोगों के साथ कभी और गरम कहानी डॉट कॉम के माध्यम से बताऊँगा!


कॉमेंट में बताए साहेबान कैसी लगी आपको मेरी दोस्त की नौकरानी की चुदाई की कहानी। साथ ही आप नीचे कॉमेंट करके भी बता सकते है अगर आपको कोई स्पिसिफिक थीम में sex stories चाहिए तो!


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