प्यासी माँ ने बारिश में बेटे से चुदवाया! Hindi Sex Story

Hindi Sex Story : कैसे एक प्यासी माँ ने अपने जवान बेटे के 7 इंच लंबे लंड का इंतजाम बारिश के दौरान खेते में अपने चुत के लिए किया पढिए इस Antarvasna Sex Story में


कैसे हो मेरे प्यारे वासना में भड़कते जिस्मों, मैं फिर हाजिर हूँ आपकी वासना को भड़काने वाली एक नई कहानी लेकर! इस कहानी मैं आप पढ़ेंगे कि कैसे एक बेटे ने अपनी माँ को चोदकर अपना बनाया!


समय न गवाते हुए कहानी शुरू करते है, ये कहानी है कुछ ऐसे छुपे रिश्ते की है जो अपने आप ही एक माँ बेटे के बीच बन जाते है।


आज दिन है 6 अक्टूबर 2025 जब मैं ये कहानी लिख रहा हूं, इस कहानी का पता मुझे दो दिन पहले चला है।


हमारे गांव कामगनी में सब औरते रात को बैठी बाते कर रही थी। मेरी माँ, भाभी, बड़ी माँ और पड़ोस की 7 से 8 औरते अपने अपने मर्दों के लौड़े पर सवारी लेकर रोज़ अपनी पंचायत जोड़ती थी। 


तब एक औरत जिनका नाम रेनू था, उमर 65 रही होगी, तो उन्होंने अपनी कहानी बतानी शुरू की और बोली:- 


ये कहानी आज से 40 साल पुरानी है, मैं तब ब्याह कर के इस गांव में नई नई आई थी और अपने गांव की उस समय सबसे मस्त मादक दिखने वाली औरत थी।


मेरे चूंचे मस्त कसे हुए थें। उन दिनों नुकीले ब्लाउस चला करते थे और ब्रा का माहौल नहीं था, गांव में मेरी ये दूसरी शादी थी पहले वाला आदमी एक रण्डी को लेकर शहर भाग गया था।


मेरे दूसरे आदमी प्रफुल ने मुझसे शादी की हालांकि मेरे जिस्म को पहले वाले पति ने खूब निचोड़ा था। उसी की कृपा से मैं इतनी कामुक दिखती थी।


मेरी लंबाई 5 फुट 5 इंच थी, रंग गांव के हिसाब से बेहतरीन गोरा, मस्त मटके जैसी 40 की गांड़ हर समय बल खाती 36 की नंगी कमर, मैं हमेशा साड़ी पहनती लेकिन इस गांव में कोई अच्छा दर्जी न होने की वजह कभी चूंचे ढक नहीं पाई ।


मेरे निप्पल के नुकीले पन तक मेरा ब्लाउस मुझे छुपा पता बाकी 38 के नंगे खुले चूंचे गांव के हर छोटे बड़े मर्द को ललचाते थे। 


जब मैं अपने दूसरे पति के साथ यहां आई तो पता चला की मेरा एक रवि नाम का बेटा भी था, वो लगभग मेरी ही उमर का था। लेकिन था साला एक नंबर का ठरकी, यहां आने के दो महीनो में ही उसने मुझे बहाने से अपना लौड़ा दिखा दिया था।


शादी के एक हफ्ते में ये राज़ मेरे पति ने खोला कि रवि की माँ के मरने के बाद उसने नसबंदी करा ली लेकिन इलाज ठीक से न होने की वजह से अब उसका लन्ड किसी काम का नहीं बचा था।


तब मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, मैं वो औरत थी जिसने 2 साल तक 6 इंच के मोटे देसी लोड़े को झेल रखा था।


एक बार जब लोड़े या चूत का मज़ा किसी को मिल जाए तो जिस्म की आग उसके बिना शांत नहीं हो सकती।


गांव में मर्द कम थे सब ज़्यादा तर शहर में काम करते थे, एक दिन की बात है सावन लग चुका था काले बदल तैयार थे, सुबह का समय था मेरा आदमी खेत पर जा चुका था।


मैं अपने बेटे रवि को उठाने गई ये मेरा रोज़ का काम था, इस बार जब उसको आवाज़ लगाती पीछे तबेले में पहुंची तो एक 7 इंच का लंबा 4 इंच का मोटा देसी लौड़ा उसकी लूंगी में खड़ा था।


उसकी लूंगी घुटनों से पेट पर पहुंची हुई थी, मैं पिछले चार महीनों से बंजर जमीन जैसी थी। मेरे कदम रुक गए कुछ देर ऐसे ही अपने बेटे के मस्त खड़े लन्ड को देखकर आँखें सेकती रही फिर धीरे धीरे मेरे कदमों ने आगे बढ़ना शुरू करा।


मैने पहली बार अपने बेटे के जिस्म को इस नज़र से देखा गांव का 25 साल मर्दाना जिस्म चौड़ा सीना उसके सीने पर मर्दाने बाल थे। नुकीले नक्शे वाला चेहरा उसके औरतों के जैसे गुलाबी होंठ थे।


मैने उंगली से उसके लोड़े को छुआ तो जिस्म में बिजली दौड़ गई, मन कर रहा था अभी चूत खोलकर इसपर बैठ जाऊं। ये Maa Bete Ki Chudai Ki Kahani आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


मेरी जीभ उसे चखने के लिए लपलपा ने लगी।


मैने मुठ्ठी में उस मोटे नाग को पकड़ा अपनी नर्म हथेली में लेकर उसका सुपाड़ा सहलाया, फिर पलट कर वापस दरवाज़े पर खड़ी हो गई।


नीचे कुछ बर्तन रखे थे मैने जानकर उन्हें धकेला, एकदम तेज़ खन खनाहट हुई तो वो झट से उठा और मेरे अरमानों को जलाते उस लोड़े को ढककर खेत पर जाने को तैयार होने लगा। मैने उसको चाय पानी दिया।


रवि ठरकी किस्म का था। वो हमेशा ही मुझसे चिपकने की कोशिश करता लेकिन मैं दूर रहा करती मगर उस सुबह से सब बदल गया था।


जब कभी हम दरवाज़े में एक साथ गुज़रते तो वो अपने मादक लोड़े को मेरी गांड़ में दबा देता में भी कुछ नहीं बोलती।


अब मैने घर के अंदर बदन ढकना बंद कर दिया था, सिर्फ पेटीकोट और नुकीले ब्लाउस में रहती पल्लू या साड़ी अब कुछ नहीं लेती थी।


वो घर में खाने बैठता तो उसके सामने मैं पेटीकोट चढ़ा कर बैठती कुछ देने झुकती तो उसे चूचों की गहराई का पूरा नज़ारा कराती।


पूरा समय बस चुदाई की आग में तड़पते हुए मेरे दिन रात गुज़रने लगे। एक शाम में खेत पर अपने बेटे के साथ थी, मेरा आदमी घर जा चुका था।


हम माँ बेटे काम समेट रहे थे कि तभी ज़ोर की बरसात शुरू हो गई, हम दोनों ने जल्दी जल्दी खेत पर तिरपाल बंधा इतने में हम पूरे भीग गए फिर एक बरगद के पेड़ के सहारे खड़े हो गए।


बारिश बहुत ज़ोर की थी बिजली की कड़क से मुझे डर लगने लगा, मैने अपने बेटे के जिस्म से खुदको सटा लिया।


वो साला आपदा को अवसर समझने लगा, अपना एक हाथ नीचे मेरी गांड़ पर ले गया, बिजली खतरनाक तरह से चमक रही थी। मैने गांड़ को उसके हाथ पर दबा दिया, मम्मम् मेरी आह निकल गई।


वो बोला “माँ तबियत खराब है क्या?”


मैने हां में सर हिला दिया और कहा “मुझे बहुत ठंड लग रही है"। आसपास अंधेरा छा गया था ठंडी बारिश की बूंदों में हमारे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी।


मेरा खुद पर से काबू जाने लगा, मैं ठंड के बहाने उससे चिपक गई। उस समय मैं गहरे गले वाले ब्लाउस में थी उसका कपड़ा इतना पतला था कि बारिश में भीगने से मेरे मोटे काले निप्पल उभर गए।


पैंटी तो कभी पहनी ही नहीं मैने और पेटीकोट के अंदर उन दिनों चूत हमेशा गीली रहती थी। मेरी हालत उस समय ऐसी होती की रास्ता चलता कोई मुझे दबोच कर चोदने लगे तो शायद में विरोध न करूं।


मैने उसकी तरफ नज़रे उठाई उसने मेरी आँखों मैं आँखें डाली, मेरे सामने तगड़ा मर्द था जिसके पास 7 इंच का मोटा पाइप था जिससे आज मुझे अपनी चूत की ज़मीन पर सिंचाई करानी थी।


उसके सामने एक गोरी मादक औरत थी माथे पर बिंदी चमकीले लाल होठ नर्म मुलायम गाल, दोनों के जिस्म हवस की गर्म आग में बारिश के पानी में भीग रहे थे।


हौले से मैने अपने चूचों को उसके सीने पर रगड़ा, वो बोला “माँ तू ठीक तो है।”


मैने उसकी बात को अनसुना कर दिया फिर उसके चेहरे को सहलाया।


हमारे होठों की नज़दीकिया बढ़ने लगी माँ बेटे का रिश्ता गहरा होने लगा, कुछ ही पलो में उसने आगे बढ़कर मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए।


हमममम! युउम्मम! हमममम!


बारिश की हवाओं में हमारी चूमने की आवाज़ आने लगी। युउम्मम! हमममम! आह!


बारिश थोड़ी हल्की हुई लेकिन हमारी गर्मी आसमान को पहुंच गई, उसने नीचे से मेरे चूंचे दबोच लिए, मैं पागलों की तरह उसके होठों को चूस रही थी वो बारिश में भीगे मेरे होठों से रस निचोड़ रहा था।


मैने अपने हाथ को उसकी लूंगी में डाल दिया और उसके लोड़े का मुआयना करने लगी, अपनी मुट्ठी में दबाकर मैने उसे मसलना शुरू किया।


वो मेरी गर्दन को चूमने लगा “आगाह! हिन्मम! मेरे बच्चे तू नहीं जानता में कब से तड़प रही हूं।”


मेरी बात सुनकर वो बोला “मैं जनता हूं री, इसलिए उस दिन तेरे आने से पहले लूंगी उठाकर लेटा था ताकि तू देखले तेरी प्यास का इलाज घर में ही है”।


मैं थोड़ा चौकी और खुशी से उसको बाहों में भर लिया, बे साख्ता मैं उसे चूमने लगी फिर नीचे घुटनों पर आ गई।


एक नज़र मैने उसे देखा उसने मेरे नर्म और गर्म होठों पर अपनी उंगली फेरी, फिर मैने उसकी लूंगी खींच दी ।


वाह! मेरे सामने खूबसूरत देसी लौड़ा फन फना रहा था।


रवि बेटे ने मेरे बाल पकड़े फिर लोड़े को मेरे गाल पर मसला, उसकी टोपी गीली थी। मैने पहले उसे सुंघा उस लोड़े की खुशबू ने मेरी आग भड़कादी।


मैने उसे टोपी से लेकर अंडों तक चूमा बारिश अब रुक चुकी थी सिर्फ हल्की बूंदे बाकी थी, रात का समय था हमे किसी का डर नहीं था।


मैने अपने बेटे का लौड़ा चूसना शुरू कर दिया, साले का लौड़ा मेरे हलक तक जा रहा था, उसकी आह! आगाह! ओह ! हमममम! अआह की आवाज़ें मुझे अच्छी लग रही थी। मैने पूरे जोश से उसको चूसना शुरू किया।


पूरे 10 मिनट उसका लौड़ा मेरे मुंह में घूमता रहा मगर टस से मस न हुआ।


लेकिन रवि पूरा उतावला हो चुका था उसने मुझे पीछे धक्का दिया और भूखे शेर की तरह मुझ पर टूट पड़ा, साले ने मेरा ब्लाउस फाड़कर निप्पल मुंह में भर लिए।


मैने डांटते हुए बोला “मैं कही भाग रही हूं क्या, कुत्ते फाड़ क्यों दिया ब्लाउस तूने"।


उसने पूरी ताकत से अपने दांत मेरी चूंची में गाड़े की मेरी अआआह! निकल गई


फिर वो बोला “चुप हो जा री! आज तेरी सारी गर्मी निकालता हूं!” ये xxx Antarvasna Desi Sex Story आप garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


उसने मेरे मोटे मोटे निप्पल चूसे और अपने लोड़े को चूत के दरवाज़े पर लगाया। मैं उसको अपनी चूत आराम से दे रही थी लेकिन मुझे पता थी इसके इरादे मुझे दर्द देने के है।


मैने अपनी टांगे उसकी कमर पर बांधी। साले ने मेरा पेटीकोट भी फड़ा, मुझे ये चीज़ बुरी लगी लेकिन मेरे दिमाग पर चुदाई चढ़ी हुई थी।


उसने एक भारी धक्का मेरी चूत पर लगाया, उसका आधा लन्ड एक झटके के साथ अंदर उतर गया।


अआह! अआह! हमममम माँ!


मेरे मुंह से आवाज़ आई, उसने मेरे हाथ पकड़े और चुदाई शुरू करदी।


आह ! हम! आह! अआह!


ओह! आगाह! आह!


उसने मेरे चूंचे बुरी तरह रौंद डाले, मैं पागल होने लगी उसकी कमर पकड़ कर गांड़ को लन्ड पर धकेलने लगी।


आगाह! ससईस! आगाह!


बेटा अआह, आराम से साले आह! मैं कही भाग नहीं जा रही, आज फाड़ देगा तू मेरी। अआह आअआआअह!


मेरी आवाज़ें निकलती तो वो और ज़्यादा मुझे दबोचता वो पूरी तेज़ी से मेरी चूत बजा रहा था।


हम्मम! आगाह! माँ! आगाह


हमारी सिसकारियां आपस में मिल गई, उसका 7 इंच का नाग मुझे पेट तक महसूस हो रहा था।


करीब आधा घंटा ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरी चूत ने अपना रस छोड़ दिया मेरे बेटे रवि ने अपनी माँ की चूत में पानी निकाला।


महीनो के बाद मुझे चरमसुख का एहसास मिला।


उस दिन से मैने उसके नाम अपनी चूत कर दी, मैं लगभग रोज़ उसको उठाने तबेले जाती और लन्ड लेकर अपनी प्यास शांत करती।


जब तक रेनू आंटी ने अपनी कहानी खत्म की तब तक, सभी औरतों की उंगली अपनी अपनी चूत में घूम चुकी थी।


मेरी उमर तब 10 साल थी, लेकिन आज समझ आता है उन बातों का मतलब।


आपको ये Maa Bete Ki Hindi Sex Story कैसी लगी कॉमेंट करके ज़रूर बताए। साथ में मेरे इस कहानी में प्रतिक्रिया रिएक्शन बटन के जरिए जरूर दें!


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