सम्मू के लन्ड से चुदी शुभी की बुर हुई तहस नहस 02

Antarvasna Sex Story : प्यारे बुर चोदने वाली साथियों, शुभी की बुर का तुम्हारे खड़े लन्ड को सैल्यूट है। मुझे मालूम है कि आप लोग मेरी बुर को चोदने के लिए बेताब है, किसी भी हाल में मेरी बुर को चोदना, और चाटना चाहते हैं।


मेरी चूची के रस को निचोड़ना चाहते हैं! मेरी बुर को नए नए तरीके से चोद कर मेरी बुर को वड़ापाव से भी ज़्यादा फुला देना चाहते हैं!


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जैसा कि आप लोगो ने मेरे पिछले भाग "सम्मू के लन्ड से चुदी शुभी की बुर हुई तहस नहस" में पढ़ा कि सम्मू जब दूसरे शहर जाने लगते है तब किस तरह से  मेरी बुर को चोदते है।


अब आगे पढ़ें इस भाग में आगे क्या हुआ :-


जैसे ही सम्मू ने अपना लन्ड मेरे मुंह मे और पेला बस मैंने तुरन्त सम्मू का लन्ड मुंह में गटक लिया और सम्मू मेरा मुंह चोदने लगे।


बस मैं भी सम्मू के लन्ड पर अपने दांत गड़ा दिए।


सम्मू मस्ती में चीखे  आह,,,,,,, मेरी रानी शुभी sssss आहह


मैंने फिर से सम्मू का लन्ड अपने दांतों से काटने लगी लेकिन बजाय सम्मू अपना लन्ड मेरे मुंह से निकालने के 


बोले और थोड़ा तेज़ से काटो!


मगर आप लोग खुद ही सोचो जब मुंह मे बड़ा सा लन्ड हो तो कोई इतनी तेज कैसे काट पायेगा?


मैं दोनो तरफ के दांतों से बरी बारी सम्मू का लन्ड काटने लगी और सम्मू खूब मज़े लेने लगे।


कोई वही 5 मिनट की मुंह की चुदाई के बाद , और मेरे द्वारा लन्ड पर दांत काटने के बाद सम्मू अब कंट्रोल में नही थे


(कभी आप लो भी ट्राई करिएगा लन्ड को मुंह मे डालकर पत्नी से लन्ड पर दांत काटने को कहिए , देखिए फिर लन्ड पर दांत काटने से कितना मज़ा आता है मर्द को, लन्ड पर दांत साइड वाले दांतो से काटना होता है, आगे के दांतों से नही)


अब वो जल्दी जल्दी मेरे मुंह को अपने मोटे कट लन्ड से चोदने लगे सम्मू को अब ये भी नही होश था की वो बुर नही , मुंह चोद रहें हैं। कहाँ बुर की गहराई, और कहाँ मुंह की!


जोश में सम्मू अपना लन्ड पूरा जड़ तक मेरे मुंह मे खोंस देते जिससे लन्ड हलक से भी टकराकर  नीचे तक चला जा रहा था और मैं ऑक्क़ ऑक्क़ कर रही थी मेरा मुंह जैसे फटा जा रहा था शीशों में चारो तरफ देखने पर नज़ारा बड़ा खूबसूरत था। यह Desi Sex XXX Kahani आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


खैर 


ज़ालिम मर्द ने अपने लन्ड को मेरे मुंह से निकाला तो सम्मू के लन्ड का गाढ़ा पानी और मेरे मुंह का पानी मिक्स  होकर  मेरे मुंह और चूची पर गिर रहे थे, जैसे गरम पानी की बारिश हो रही हो!


अब ज़ालिम सम्मू ने अपने हाथों से मेरी बुर को थपथपाना शुरू किया  मैं तो जैसे जोश के मारे मरी जा रही थी सम्मू के हाथों से बुर को थपथपाना जैसे मैं मस्ती के समुंदर में गोते लगाने लगी।


और इतनी आग बुर में लग गई कि क्या बताऊँ! सच मे ऐसा सिर्फ महसूस किया जा सकता है बताया नही जा सकता।


(आप लोग भी कभी अपनी पत्नी पर आज़मा कर देखना पत्नी को बहुत मज़ा आएगा और मारे मस्ती के बेहोश न हो जाये  ऐसा भी हो सकता है।)


सम्मू के हाथों से बुर थपथपाने से अब आग बाहर निकलने वाली थी, मुझे लग रहा था कि जैसे मैं झड़ने वाली हूँ! लेकिन नही नही ऐसा नही था, ये अहसास तो और अलग था।


जैसे खूब ज़ोर से पेशाब लगी हो और पेशाब करने लगो और फिर चुदाई हो रही हो और बुर चुदते चुदते झड़ने का टाइम होता है वो इन दोनों का मिश्रण था।


मुझे ये नही समझ मे आ रहा था कि ये कैसा अहसास है? मैं हाथ से बुर थपथपाने को झेल नही पाई और चुल्ल चुल्ल  पेशाब की धार निकलती जो सम्मू के पेट पर पड़ती हुई सम्मू के लन्ड को चैलेंज कर रही थी।


मैं अपनी मोटी भारी चूतड़ उठाकर, पटकने लगी जैसे मैं झड़ रही हूँ


आहह क्या अहसास दिया सम्मू ने क्या सौगात दी थी सम्मू ने विदाई की, लेकिन एक खास बात और जब पेशाब लगती है और करने लगो तो पूरा पेशाब निकल जाता है लेकिन यहां ऐसा नही था।


चुल्ल चुल्ल करके पेशाब निकलता और बंद हो जाता फिर सम्मू बुर को थपथपाते तब फिर वही झड़ने वाले मिक्स मज़े के साथ फिर वैसा ही होता।


मेरे बदन पर सिर्फ पसीने का पानी ही पानी था, जैसे वो पसीना न होकर बाथरूम से नहाकर निकली हुई कोई औरत हो!


पसीने से सारा बदन भीगकर सराबोर हो गया था, चादर भी गीली हो गई थी पता नही वो पेशाब था या कुछ और सम्मू भी तर बतर हो रहे थे।


मेरे बुर से निकली मज़े वाली धार से सम्मू का लन्ड जैसे और फूलकर मोटा और लम्बा हो गया था, लेकिन ज़ालिम ने तो जैसे आज मुझे चुदाई के लिए मार ही देना था।


अब क्या करते सम्मू कि जब बुर थपथपाते और मैं उछलने लगती गाँड़ को ज़ोर ज़ोर से पटकती बस उसी समय सम्मू अपने लन्ड का टोपा बुर में डाल देते।


अब ये तो आग में जलाने जैसा था, जैसे ही मेरा पेशाब निकलने वाला होता बस लन्ड का टोपा बुर में होने की वजह से पेशाब नही निकलता और सम्मू उसी वक़्त लन्ड को एक धक्का देते।


लन्ड बुर में भरे पानी मे डूबता हुआ जब अंदर जाता तो बुर में जैसे कोई बड़ा सा मोटा से कोई भारी भरकम  हथियार घुस जाता था ऐसे लगता था।


और छर्र छर्र पेशाब निकल कर सम्मू के जांघों को भिगोता हुआ बिस्तर गीला कर रहा था, लन्ड जब अंदर जाता तो जैसे अंदर की सारी चीज़ें फ़टी जा रही हों, लेकिन मज़ा बहुत आ रहा था। यह Antarvasna Hindi Sex Story आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


रूम में हल्की A C चलने पर भी ये हाल था कि पसीना बंद नही हो रहा था, जहां से पसीना बहाना शुरू होता तो वहां से फिर बहता ही रहता था।


जैसे पानी से नहा रहे हों उसके बाद सम्मू फिर लन्ड को मेरी बुर से निकाल लेते और फिर बुर को थपथपाना शुरू कर देते।


ऐसा सम्मू ने कई बार किया, अब मैं चुदने के लिए बेक़रार थी! बेहाल थी!


उधर सम्मू का लन्ड जो कि बहुत देर से खड़ा था और बुर को चोद नही पाया था, तो वो भी बुर का पानी पी पीकर  मोटा हो गया था लम्बाई कमसे कम एक डेढ़ इंच बढ़ गई थी।


मैं भी हैरान थी लन्ड को देखकर मुझे लग रहा था कि सम्मू के ऐसा करने से  मेरी बुर का मुंह अब खुलने और बंद होने लगा था।


जैसे जब घोड़ा घोड़ी कोचोदता है और जब घोड़ा अपना लन्ड निकाल लेता है तब घोड़ी की बुर खुलती और सिकुड़ती है वैसा है मुझे लग रहा था कि मेरी बुर भी खुल और सिकुड़ रही है।


( ये घोड़े घोड़ी की चुदाई को हमने उस वक़्त देखा था जब कॉलेज जा रही थी, तब रास्ते मे एक घोड़ा , नई घोड़ी को चोद रहा था और घोड़ी अपना मुंह खोले हुए थी।


फिर जैसे ही घोड़े ने अपना लन्ड घोड़ी की बुर से बाहर निकाला,तो घोड़े के लन्ड से ढेर सा पानी निकला। और घोड़ी की बुर खुलने और बंद होने लगी , मुझे ये देखकर ताज्जुब हुआ था कि इतना बड़ा लन्ड कैसे घुस जाता है ,और ये घोड़ी कुछ चिल्लाई भी नही )


बदन का तापमान बढ़ता जा रहा था, ये अहसास सिर्फ इस तरह से चुदने वाली औरत , या चोदने वाला मर्द ही बता सकता है, मेरी भी बुर लन्ड न पाने से और फूल गई थी।


लंड से निकलता गाढ़ा पानी बदन पर और पानी बढ़ा रहा था


फिर सम्मू ने मेरे दोनो पैर खोल दिये और वही लम्बा कपड़ा लेकर  मेरे हाथों में बंधे कपड़े में गांठ मारकर और लम्बा कर दिया। लेकिन मेरे हाथ नही खोले और हाथ वाले कपड़े को सीलिंग फैन में बांध दिए थे।


चादर से बंधे हाथ जो हवा में ऊपर उठे थे, जिसकी वजह से दोनो गोल गोल चुचियाँ और तन गई थी और उन चुचियों का निप्पल्स दीवाल में लगे शीशे को तोड़कर बाहर निकल जाना चाहती थी।


हम लोगों का जो बुर  चुदाई का रूम है वो एकदम अलग है, क्योंकि नीचे सिर्फ बेड को छोड़कर बाकी पूरे फर्श पर शीशा लगा हुआ है, ऐसे ही छत में पूरे शीशा लगा हुआ है और दीवाल में भी चारो तरफ शीशा लगा हुआ है।


जिससे चुदाई करने और मस्ती में चीखने चिल्लाने का , लन्ड का , बुर का चूची का, फेस का हर एंगल दिखता है जो भी एक्शन रिएक्शन होता है वो भी दिखता है, यानी मज़ा खूब आता है!


जब एक दूसरे को शीशे में नँगा देखो लन्ड तना हुआ , फंफनाता हुआ लन्ड बुर की फांक , बुर का छेद गाँड़ , गाँड़ का छेद, तनी हुई चूची!


तो बस दिल करता है कि बुर चुदाती ही रहो , और अपनी बुर को और सामने वाले के दहाड़ते लन्ड को देखो आंख से, फिर शीशे में तो पूछो ही मत, बुढ्ढों का भी सो चुका, लन्ड भनभना कर खड़ा हो जाये और यही कहे मुझे बुर चाहिए।


अपनी तनी हुई चूची की वजह से मैं सम्मू का लन्ड आंखों से डायरेक्ट नही देख पा रही थी, जिधर भी देखो अपनी चुदती बुर का मंज़र नज़र आ रहा था।


हर तरफ के शीशों में मैं और सम्मू नँगे बदन के साथ सम्मू अपने लन्ड से बुर को चोदते , या चूची के निप्पल्स को चूसते , चूची दबाते मुंह चोदते , बुर चाटते , दांत काटते नज़र आ रहे थे।


और मेरा बंधा हुआ हाथ भी ऊपर ही था, इसीलिए जैसे ही मैं सम्मू के बड़े टोपे वाले लन्ड पर बैठी तो नीचे डारेक्ट लन्ड न दिखने से बुर का भोजन गाँड़ को मिल गया। यह Antarvasana Chudai ki Kahani आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


मैंने तो बुर को अच्छे से सेट किया था, सम्मू के लन्ड पर लेकिन सम्मू का लन्ड झटका मारने की वजह से गाँड़ पर सेट हो गया था।


तब तक मैं लन्ड पर बैठ चुकी थी और लन्ड के टोपे पर लन्ड का निकला हुआ गाढ़ा चिकना पानी होने की वजह से  लन्ड का टोपा गाँड़ फाड़ता हुआ पूरा टोपा गाँड़ में समा गया था, शायद लेकिन नही, नही ऐसा नही था!


ऊपर से मैं बैठी और नीचे से सम्मू ने अपने लन्ड पर जब बुर का स्पर्श पाया तो सम्मू ने नीचे से भी लन्ड को  ऊपर यानी मेरे और सम्मू के ख्याल से बुर में लेकिन लन्ड फुदकने से निशाना चूक गया।


और लन्ड आधा गाँड़ में घुस गया था, इसीलिए मैं इतनी तेज चीखी थी, शीशे में देखा तो सम्मू का आधा लन्ड मेरी बड़ी बड़ी चूतड़ों के बीच गाँड़ में घुस कर गाँड़ मारने पर तुल गया था।


और मेरा मकसद इस वक़्त सिर्फ अपनी बुर में फैली हुई ज्वाला आग के शोलों को


शांत करना था, इसलिए मैं जितनी तेजी से सम्मू के लन्ड पर बैठी थी, उतनी ही तेज़ी से लन्ड से उठ भी गई, फिर लन्ड गाँड़ में बिना कोई, परमिशन या वार्निंग के घुसा था तो दर्द ज़्यादा होना लाजिमी था।


सम्मू सामने वाले शीशे में गाँड़ में घुसे लन्ड को देखकर मुस्कुराए


प्लीज सम्मू सही से सेट करो अपने शेर को! मेरी बुर में लगी हुई आग की भट्ठी को बुझा दे वरना मैं खूब ज़ोर से चिल्लाऊंगी तो मोहल्ले का कोई न कोई आदमी आएगा ही और मैं उसी से चुदा लूँगी! 


सम्मू हंसे और बोले चिल्लाओ मेरी जान शुभी कॉलोनी का कोई नही आएगा यहां!


हाँ ये ठीक है कि दरवाज़ा खुला है, बाहर का भी और देखो उधर इस कमरे का भी लेकिन आएगा कोई नही और अगर आ भी गया तो चुदाई होते देखकर चला जायेगा।


मैं तो आज लन्ड फुला फुला कर तुम्हारी बुर चोदने वाला हूँ, और तुम्हारी इन तनी हुई छातियों का सारा रस निचोड़ निचोड़कर इन चुचों को भी सिकोड़ दूँगा मेरी जान शुभी!


आज तुम मेरे इस लन्ड को अपने बुर का पानी पिला पिलाकर इसे मोटा करोगी और ये अभी जब तक ये तुम्हारी बुर चोदने को नही पायेगा, तो ये अकड़ अकड़ कर और लम्बा होगा उसके बाद ही तुम्हारी बुर को चोदूँगा।


और वैसे भी आज आखिरी रात है कल सुबह 10 बजे तक मैं अपने उस शहर चला जाऊंगा जहां मुझे नियुक्त किया गया है और फिर तभी आऊंगा जब कोई अच्छा सा घर ढूंढ लूंगा।


तभी आकर तुमको ले चलूँगा अब ये देखो कितने दिन या महीनों में होता है, इसलिए आज रात भर सिर्फ और सिर्फ अपना टोपा फुला कर तुम्हारी बुर चोदूँगा।


फिर तुम्हारी इन बड़ी उभरी हुई चूतड़ों के बीच छुपी हुई गाँड़ को भी मारूंगा। आज तुम्हारी इतनी चुदाई करूँगा की अगले 2-3 हफ्ते तक तुम्हे बुर चुदाने की ख्वाहिश न जगे।


चाहे कल तुम बीमार ही हो जाओ डॉक्टर से इलाज करवा लेना लेकिन आज मैं रुकने वाला नही हूँ, क्योंकि आज लन्ड भी सारी रात खड़ा ही रहेगा चुदाई चाहे जितनी करूँ! चाहे जितनी बार झडूँ! लेकिन लन्ड को खड़ा ही पाओगी!


सम्मू की बाते बहुत..


कहानी का अगला पार्ट : सम्मू के लन्ड से चुदी शुभी की बुर हुई तहस नहस 03 


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