सिनेमा हॉल में हुई माँ बेटे की चुदाई!

Antarvasana Hindi Sex Story : मेरी जिंदगी का एक किस्सा जिसमे मैने एक माँ बेटे की मस्त जोड़ी को सिनेमा हॉल में मूवी के बीच लाइव चुदाई करते देखा! 


हेलो मेरे प्रिय पाठक पाठिकाओं आपका स्वागत है Garam Kahani डॉट कॉम की कामुक दुनिया में, आज मैं आपको अपनी आँखो देखी एक कहानी सुनाने जा रहा हूं।


मैं एक बार काम से मनाली गया था वहां घूम लेने के बाद मुझे बोरियत होने लगी इसलिए सोचा मूवी देखी जाए।


रात में होटल से निकला और अपनी गाड़ी के पास आया तो देखा एक आंटी जी अपने बेटे के साथ कार में बैठ रही थी मैने कोई खास ध्यान नहीं दिया और फिल्म देखने सिनेमा हॉल चल दिया।


मैं जब बाइक के साथ चौराहे पर पहुंचा तो सिग्नल पर अपनी गाड़ी रोकी मेरे बराबर में वही नीली सुज़ुकी एर्टिगा आकर खड़ी हुई जो होटल पर दिखी थी।


उस कार में एक लड़का था बस, जिसकी उमर 20 - 22 साल रही होगी, वो ड्राइवर सीट पर था मैने ध्यान दिया उसकी सांसे बुरी तरह फूली हुई है वो बस आह! हाह! आह! की आहे भर रहा है।


मुझे आंटी यानी उसकी माँ नहीं दिख रही थी, अंधेरे में कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर सामने एक गाड़ी आकर खड़ी हुई और थोड़ा जाम लग गया सामने वाली गाड़ी की लाइट लड़के पर पड़ी।


मैने उस लड़के की तरफ देखा तो बाइक में हेलमेट के अंदर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। 


उस लड़के की सांसे फूल रही थी क्योंकि उसकी माँ उसका लन्ड मुंह में लिए मस्ती से चूस रही थी।


जब रास्ता साफ हुआ तो मैने अपनी गाड़ी आराम आराम से चलाई, वो लड़का गाड़ी बहुत अच्छे से संभाल रहा था उसका एक हाथ गाड़ी पर था और दूसरे हाथ से वो अपनी माँ के बालों को सहला रहा था।


ऐसा लग रहा था ये उनके लिए रोज़ की बात हो, कुछ देर में दोनों गाड़ियां सिनेमा हॉल पहुंच गई, मेरे लिए तो फिल्म रस्ते में ही चालू हो गई थी।


मैने गाड़ी पार्किंग में लगाई, मुझसे दो गाड़ी छोड़ कर उस लड़के ने गाड़ी पार्क करी, हमारे अलावा पार्किंग में कुछ और लोग भी थे।


पहले कार से वो लड़का अपनी पेंट ठीक करते हुए उतरा फिर उसने अपनी माँ के लिए दरवाज़ा खोला। उसकी माँ एक रुमाल से अपने होठ साफ करती हुई उतरी।


उतरते हुए वो बोली “क्या बात है, बेटे सौरभ तू तो एक्सपर्ट हो गया है गाड़ी चलाने में।”


वो लड़का मुस्कुराया और आंटी को आँख मारी। मेरा तो पूरा ध्यान उन दोनों पर ही था मगर मैं सावधान था कही उनको शक न हो जय।


आंटी को देखकर लग रहा था कि वो जानकर ज़ोर से उस लड़के को मेरा बेटा मेरा बेटा बोल रही है ताकि सब उनको माँ बेटे ही समझे।


सौरभ टिकट लेने खिड़की पर गया वो आंटी भी उसके पीछे गई और मैं उन दोनों के पीछे गया।


पीछे से आंटी की गांड़ मस्त मोटी मटके जैसी लग रही थी वो एक मैरून रंग की साड़ी में थी जिसमें अपनी गांड़ मटका रही थी। ये Mom Son की Hindi Sex Story आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


उन्होंने कोई ब्लाउस नहीं पहना था वो बस ब्रा में थी और उसके ऊपर से साड़ी का पल्लू ले रखा था, उनका पिछवाड़ा बेहद उभरा हुआ था जो किसी के भी लन्ड की वासना को भड़का सकता था।


उनकी चिकनी पीठ पीछे से पूरी नंगी दिख रही थी, ब्रा की डोरिया उनके चूंचे सम्भाल ने की अपनी पूरी कोशिश कर रही थी।


उनके मस्त चमकते घने बालों का जुड़ा उनके सर पे ताज का काम कर रहा था। हम तीनों कुछ ही पलो में टिकट लेने के लिए खिड़की पर खड़े हो गए।


उन आंटी के करीब खड़े होकर मुझे चॉकलेट की मस्त मादक मन मोहक खुशबू आ रही थी, कुछ तो खास था उनके परफ्यूम में क्योंकि ऐसी महक मैने कभी नहीं महसूस की थी।


लड़के ने आंटी को गेट पर भेजा और कॉर्नर की दो सीट ली, आंटी जाने के लिए जब पलटी तो उनका नाज़ुक सा नुकीले नक्श वाला कामुक चेहरा मुझे दिखा।


रात के 11 बजे हम लोग फिल्म टिकटे ले रहे थे आसपास उस समय कोई नहीं था।


उफ्फफ! आंटी के चूंचे जब मैने देखे तो वही लन्ड खड़ा हो गया, इतने खूबसूरत! इतने बड़े, चूंचे मैने कभी नहीं देखे थे 42 साइज के तो होंगे।


मुझे हैरत थी के उनकी ब्रा उनके चूचों को कैसे संभाल रही है अगर मैं थोड़ा ब्रा को खींचता तो मुझे बहार ए जिंदगी का नज़ारा दिख जाता।


उनके मस्त नर्म मोटे होठ उनके जिस्म को और भी ज़्यादा कामुक बना रहे थे, आंटी ने जाते जाते मेरी नज़रों को उनके चूंचे दबाते पकड़ लिया वो बिल्कुल मुझसे मिलती हुई गुज़री जिससे उनके जिस्म की मोहक खुशबू मेरी सांसों में बस गई।


एक कातिलाना मुस्कान मुझे देते हुए वो दरवाज़े पर खड़ी हो कर अपने बेटे का इंतज़ार करने लगी।


मैने भी उसी फिल्म की टिकट लेली मैने उनकी ही लाइन में कुछ दूरी पर अपनी सीट ली जिस लाइन में उनके लड़के ने ली थी, दोनों माँ बेटे बहुत अमीर घर के लग रहे थे।


मेरी नज़रे लगातार उनपर थी मै एक सुरक्षित दूरी बनाए उनके पीछे चल रहा था।


जब वो दोनों किसी अंधेरे हिस्से में पहुंचते तो लड़का अपनी माँ की गांड़ दबा देता वो आंटी भी अपने बेटे की कमर में हाथ डाले अपने मोटे मोटे बूबे उसके सीने से लगा रही थी।


थोड़ी देर में हम सब अपनी अपनी सीट पर बैठे जो फिल्म हम देखने बैठे थे उसका नाम था ‘रागिनी एम एम एस टू’ फिल्म की शुरुआत ऐसी हुई के मेरा ध्यान कुछ सेकंड के लिए उन दोनों पर से हट गया।


सौरभ और वो आंटी कोने में थे फिर चार सीट छोड़कर मैं बैठा था। सामने फिल्म में जैसे ही किसिंग सीन शुरू हुए वहां कोने में दोनों माँ बेटों ने अपनी फिल्म बनानी शुरू कर दी।


मैं अपनी सीट से उठा और दो सीट करीब आकर बैठ गया, सामने चलती स्क्रीन की रोशनी में दोनों माँ बेटे मुझे अच्छी तरह से दिख पा रहे थे। मैं थोड़ा झुका हुआ था ताकि उनकी नज़रों से बच सकूं।


लड़के ने उन आंटी को कोने में डाल रखा था खुद आगे की तरफ बैठकर उनको छुपा रहा था, पूरे हॉल में सिर्फ छै लोग थे, सबसे आगे एक अंकल जी थे जो सो चुके थे।


पीछे दो सीट ऊपर एक कोने में नए उम्र के लड़का लड़की अपनी रासलीला रचा रहे थे उधर लड़की आह; आह; आशु क्या कर रहे हो बाबू! हम्मम! की सिसकारियां ले रही थी।


सामने सीट पर सौरभ को देखकर मुझे जलन महसूस हुई की कितना सही नसीब है इसका। दोनों माँ बेटे एक दूसरे की आँखों में प्यार से देख रहे थे।


मैं उंगलियों में गिनती कर रहा था पांच! चार! तीन! मेरी गिनती जितनी कम होती उन दोनों के होठ उतने ही करीब आते जाते मैने फिर से गिना दो….. एक….. उन आंटी ने पूरे जोश के साथ लड़के के होठ चूमे।


लड़का उनकी ब्रा के पास हाथ फेरने लगा आंटी उसके बालों में हाथ घूमा रही थी। उम्मम! मम्माह! बेटा हमममम! की आवाज़ें मुझ तक आ रही थी।


आंटी पूरी मस्ती से अपनी जीभ उसके मुंह में देकर चुसवा रही थी, ये नज़ारा देखकर मेरा लन्ड तन गया फिर लड़के ने अपने होठ अलग करे और अपनी माँ की गर्दन को चूमने लगा, चूमते चूमते वो उनके मस्त गदराय चूचों पर पहुंचा।


आंटी अपने लड़के के बालों के साथ खेलते खेलते गर्म हमममम ससईस वाली आहे भरने लगी उनके मुंह से निकला


“यार अगर तेरे बाप की ट्रिप कैंसिल न हुई होती तो हम आराम से घर पर मौज लेते, वो सोच रहे होंगे इशानी सौरभ को लेकर घर गई है, बेचारा।” 


इतनी बात से मुझे अंदाज़ा हुआ आंटी का नाम इशानी है और दोनों माँ बेटे ही है।


मेरे पीछे की सीट पर से आह आआह! ओह आशु!


अआआह बाबू धीरे आह; वाली चुदाई की दर्द भरी आवाज़ आ रही थी।


सामने आंटी को देखा तो सौरभ भाई अपनी माँ की ब्रा खोल रहे थे, उसकी माँ अपने बेटे की पेंट पर हाथ रखकर लन्ड सहलाने लगी।


मुझसे भी नहीं रहा गया तो मैने अपनी पेंट खोलकर लन्ड निकाला इस वासना से भरे हॉल में मेरा लन्ड अकेला था।


पूरे हॉल में अंधेरा अच्छा खासा था बस स्क्रीन की लाइट ही मेरा सहारा थी, सौरभ अपनी सीट से उठा और लगभग अपनी माँ के ऊपर लेट गया उसकी माँ ने मुझे अपना लन्ड सहलाते देख लिया।


मैं थोड़ा घबराया लेकिन तभी उन्होंने मुझे अपनी नशीली निगाहों से आँख मारी और अपनी ब्रा उतार कर आगे की सीट पर डाल दी।


भाई साहब! मेरे लन्ड की सख्ती आसमान छू गई क्या मस्त गोरे चूंचे थे स्क्रीन लाइट में बिल्कुल चाँद जैसे चमक रहे थे। इशानी आंटी के निप्पल भी गुलाबी थे लगता था के कही बाहर की मादक औरत है ये।


सौरभ ने अपनी माँ के चूंचे पीने शुरू करे, उसका एक हाथ सरकता सरकता उनकी साड़ी के अंदर जा रहा था उनकी


आआअह! हमममम, ऑफ बेटा आराम से तेरे लिए ही है सब! मस्त आहे मेरे कानो में सुनाई दे रही थी।


चूंचे पीते पीते उसने अपनी माँ की पैंटी उतार दी फिर एक हाथ बूब पर रखकर दबाता हुआ पेट पर चूमता गया।


 फिर धीरे धीरे पेट से नीचे उतरा अब दोनों हाथ उसने उन मोटे मोटे चूचे पर गढ़ा दिए टांग को चूमते हुए वो साड़ी के अंदर चला गया।


पीछे से कुछ आकार मेरे सीट पर गिरा मैने देखा तो लड़की की चड्डी गिरी पड़ी है, मैने वो चड्डी उठाई और सूंघ कर लन्ड पर रखली, पीछे से आवाज़ आई, “बाबू मेरी चड्डी कहां फेंक दी तुमने मैं मम्मी को कैसे बोलूंगी।”


लड़के ने बोला “कोई बात नहीं कल जाने से पहले नई ले लेंगे।”


चड्डी मैने लेकर अपने लन्ड पर दबाई और ऐसे ही सहलाने लगा, सामने वो आंटी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी उनका लड़का साड़ी में घुसा चूत का स्वाद ले रहा था।


अआह! हमममम! बेटा आराम से! 


हाआअ! खा जाएगा क्या! 


वो आंटी मुझे देखते हुए ज़ोर की आहे ले रही थी।


वो मुझे देखती देखती अपने चूंचे मसल रही थी अपने होठ दांतों में दबाकर मुझे तरसा रही थी।


करीब 10 मिनट चूत चखने के बाद सौरभ उठा और पेट को चूमते हुए वापस चूंचे पीने आया। आंटी की आँखें बंद हो गई,


हम! आगाह! ओह सौरभ, बेटा अब नहीं रहा जारा! अपनी माँ को शांत कर दे।


सौरभ उठा और लन्ड बाहर निकाल कर अपनी माँ के चूचों में रगड़ने लगा, फिर उसकी माँ ने लन्ड पकड़ा अपना एक हाथ अपने लड़के की गांड़ पर रखकर लन्ड को चूमने लगी।


इशानी आंटी ने मुझे देखकर एक आँख मारी और मुझे देखते देखते पूरा 7 इंच का सख्त लौड़ा मुंह में लेती चली गई।


उन्होंने आँखें बंद की सौरभ भी


आह ओह माँ!


आआह yes आह! 


कहता हुआ आंटी के बाल सहलाने लगा उसने अपनी माँ का सर पकड़ा और मुंह चोदने लगा।


आंटी ने दोनों हाथ अपने बेटे की गांड़ पर दबा दिए फिर एक उंगली उसकी गांड़ के अंदर डाल दी, मेरा लन्ड बस फटने को हुआ ये देखकर की वो अपने बेटे की गांड़ में उंगली कर रही थी जिससे लड़के को अलग ही चरमसुख मिल रहा था।


इतने में पीछे से एक छोटी कद की लड़की और उससे दुगनी लंबाई का लड़का उठकर बाहर निकले।


जाते जाते वो बोल रहे थे कि “इंटरवल से पहले नहीं निकले तो बहुत देर हो जाएगी।”


ये आवाज़ शायद उन माँ बेटे ने भी सुनली लड़के ने अपना लन्ड पूरी तेज़ी से अपनी माँ के मुंह में डाल कर चोदना शुरू कर दिया।


न्ग्गाह गाहग़ हमममम की कुछ आवाज़ो के बाद उसका पानी आंटी के मुंह में ही निकल गया।


लड़का तो थोड़ा शांत हो गया मगर वो आंटी हवस की आग में जलने लगी। ये Antarvasna Desi Sex Story आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


इतने में इंटरवल हो गया रात का समय था पूरे हॉल में बस चार लोग थे। मैने अपने हाथ की चड्डी को लन्ड में दबाकर पेंट बंद की उधर लड़के ने भी लाइट जलते ही अपने कपड़े ठीक किए।


वो आंटी जी ऐसे ही बैठी थी उनके खुले चूंचे हवा में लटक रहे थे।


लड़का उठकर जल्दी से बाहर गया आंटी ने अपने खुले चूंचे पल्लू से धक लिए शायद सौरभ कुछ खाने पीने का लेने गया होगा। उसने मुझे देखा तो मैने गर्दन गिराली जैसे में अब तक सो रहा था।


सौरभ के जाते ही मैने आंटी को देखा, उन्होंने मुझे देखा हम बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे।


आंटी से मेरी नज़रे मिली तो वो मुस्कुराई , मैने इशारे से अपनी शर्ट का एक बटन खोल लिया तो उन्होंने अपने ढके चूचों से पल्लू हटा लिया।


मेरी सससइस निकल गई, वाह! भरी रोशनी में मस्त गोरे नुकीले गुलाबी निप्पल वाले मादक चूंचे मेरे सामने थे मैने उठकर उनको छूना चाहा लेकिन तभी उनका बेटा आता दिखा तो उन्होंने खुद को ढक लिया।


वो पॉपकॉर्न ड्रिंक्स वगैरह लेकर आया , मैं बाथरूम होकर आया लेकिन मूठ नहीं मारी मुझे पता था की अभी मज़ा बाकी है मैने भी सोचा आज लाइव चुदाई देखते हुए ही मूठ मारनी है।


कुछ देर में इंटरवल खत्म हुआ मैं अपनी सीट पर वापस आया, आगे की सीट वाले अंकल भी खा पीकर फिर से लेट गए थे।


उन माँ बेटे ने भी खाना पूरा किया फिर लाइट बंद हो गई।


कुछ देर तक तो कुछ नहीं हुआ फिर लड़के ने जेब से एक चॉकलेट निकाली आंटी के चूंचे पर से पल्लू हटाया और निप्पल पर चॉकलेट लगाई फिर थोड़ी उनके खूबसूरत होठों पर लगाई, फिर उनके पेट पर लगाई , फिर अपने लन्ड पर लगाई।


एक एक कर के उनके बेटे ने पहले होठों से चॉकलेट को चखा उसकी माँ भी पूरा साथ दे रही थी। ये XXX Desi Chudai ki Kahani आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


आंटी के हाथ अपने बेटे के लन्ड को सहला रहे थे। उनका लड़का अपनी जीभ से सहलाता हुआ गर्दन से चूचों पर आया और निप्पल से चॉकलेट साफ करने लगा, उसका लन्ड खुली हवा में खड़ा हुआ था।


अब समय ज़्यादा नहीं बचा था। लड़के ने अपनी माँ को खड़ा करा और खुद उनकी जगह बैठ गया, फिर उसके मुंह पर उसकी माँ पीठ कर के खड़ी हो गई।


लड़के ने उनकी गांड़ को पकड़ा और वो आंटी उसकी गोद में अपनी मोटी गांड़ टेक कर बैठ गई।


लड़के ने आँखें बंद करली वो मस्ती से अपना माँ के जिस्म को महसूस करने लगा वो पेट से चूचों तक और चूचों से गले तक अच्छे से उनका जिस्म मसलता रहा। उसकी माँ कामुक आहे भर रही थी।


उनकी अआह हम्मम! मेरे बेटे ओह!


तू न होता तो मेरा क्या होता जान!


आआह हमममम मैं तुझे हमेशा खुश रखूंगी।


तेरे लिए शानदार लड़की लाऊंगी जिसे हम दोनों चोदेंगे!


उन्होंने अपने बेटे के लन्ड को साड़ी के अंदर चूत में सेट करा और उस चॉकलेट वाले लैंड को अंदर लेती चली गई।


फिर मस्त आहे आगाह! ओह बेटे तेरा लन्ड आआह!


यूएफफफ! आआह! मेरी जान।


मस्त लन्ड है तेरा आगाह! कहकर उसे उत्तेजित करने लगी।


उनका बेटा पूरी ताकत से अपनी माँ के चूंचे मसल रहा था, उसकी माँ गांड़ उठा उठा के लन्ड ले रही थी, वो तेज़ी से उछलने लगी।


अआह आआह!


ऊंह उम्मम माँ आआह!


ओह ! अआआह बेटा ! आगाह


मस्त दोनों अहो में खोए हुए थे, इधर मैं तेज़ी से मूठ मार रहा था, लड़के की आँखें चरमसुख के मारे बंद पड़ी थी उसकी माँ मेरी नज़रों को पकड़े मुझे अपनी चुदाई देखने के लिए उकसा रही थी।


आगाह! उफ्फ! आगाह


हमममम ! आअआआअह!


वो आंटी मुझे देखकर और ज़ोर से अपनी चुदाई करवाने लगी।  ये अन्तर्वासना चुदाई कहानी आप Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


वो पूरी उतावली हो गई थी अपनी गांड़ को इस तरह लन्ड पर घिस रही थी के उस पीस डालेगी।


सामने फिल्म का क्लाइमैक्स आ गया था, इधर मेरा क्लाइमैक्स आ गया था और उधर शायद उनका भी क्लाइमैक्स आ चुका था।


मेरे हाथ में उस लड़की की पैंटी थी जिसे मैं लन्ड पर रगड़कर मूठ मार रहा था।


आआह! ऊऊह! हमममम!


आगाह! अआआह! ओह!


उफ्फफ! 


पूरे हॉल में आहे घूम रही थी। सौरभ आंटी जी के चूंचे मसल रहा था, नीचे से पूरे जोश में वो घपाघप धक्के लगा रहा था।


आंटी जी भी अपनी पूरी तेज़ी से उछल रही थी।


उनका बेटा पेट पर से चॉकलेट लेकर खाता और उनके होठों पर लगाता फिर आंटी उसकी उंगली चूसती।


वो मुझे देखते हुए आगाह! अआह!


बेटा अआह! मेरे बच्चे ! आआह चोद बेटा!


अआआह! और ज़ोर से अआह!


सौरभ ने फिर अपनी माँ के चूंचे ज़ोर से भींचे के उनकी आअआआअह चीख निकल गई।


करीब बीस मिनट मस्त चुदाई के बाद वो लड़का अपनी माँ की चूत में ही झड़ गया वो लगातार पीठ को चूम रहा था।


जैसे ही उसकी माँ झड़ी वो अपने बेटे के ऊपर गिर गई।


मैने भी मूठ मारने की रफ्तार बढ़ाई, दो से चार ज़ोर के झटके मारते हुए मैं झड़ गया मेरे लन्ड की पिचकारी उछल के आगे सोते हुए अंकल के ऊपर गई। 


उन दोनों की हांफती सांसे मुझे भी सुनाई दे रही थी। दोनों अपने अपने चरमसुख को पा चुके थे।


आगे बैठे अंकल तिलमिला कर उठे तो में छुप गया। उस अंकल ने थोड़ा चीखा तो जल्दी जल्दी हम तीनों ने कपड़े पहने और अंजान बनते है हुए हॉल से निकल गए।


पार्किंग में, मैं जब अपनी गाड़ी के पास आया तो वो आंटी अपने बेटे की गांड़ दबाते हुए कार में घुसी और दोनों एक दूसरे के होठ चूमते हुए वहां से चले गए। 


मैने अपनी बाइक निकाली तो कार की खिड़की से आंटी ने मुझे देखा फिर एक कागज़ का टुकड़ा उस कार की खिड़की से गिरा जिसे मैने उठा लिया उसमें एक मोबाइल नंबर था और नाम लिखा था “इशानी”।


तो कॉमेंट करके बताए दोस्तो कैसी लगी आपको ये लाइव माँ बेटे की चुदाई की कहानी साथ ही मुझे hashmilion5@gmail.com पर मेल कर के भी ज़रूर बताए। ✒ आपका कामुक हाशिम लायन।


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