हमारी पारिवारिक सुहागरात भाग 03

Antarvasna Family Sex : पिछले भाग "हमारी पारिवारिक सुहागरात भाग 02" में आपने मेरी बहन रूपाली से सुना कि कैसे मेरी बहन और पापा के बीच चुदाई का रिश्ता बना और उसकी सील टूटी!


अब उसी किस्से को आगे बढ़ाते हुए मैं बताऊंगा कि कैसे हमारे माँ बाप की सुहागरात हमारी family incest story बन गई।


मैं मेरा नाम समीर है मेरा कद 5.7 इंच यानी रूपाली से 4 इंच अधिक है, मेरे रंग रूप के बारे में रूपाली ने आपको बता दिया था इसलिए मैं आपका समय खराब नहीं करूंगा।


जब हमारे मम्मी पापा ने शादी करने का सोचा तब मेरे पापा राजेश जी ने मुझे मानसी जी के बारे में बताया।


पापा ने मुझे उनकी तस्वीर दिखाई जिसमें रूपाली भी थी, मुझे देखते ही रूपाली पसंद आ गई।


जो तस्वीर मेरे सामने थी उसमें दोनों माँ बेटी एक सफेद पंजाबी सूट में थे।


मानसी जी के चूंचे मस्त मोटे थे उनके गले की गहराई तस्वीर से ही मेरे अंदर गर्मी पैदा कर रही थी, रूपाली की काली ब्रा के स्टेप अलग ही दिख रहे थे।


रूपाली का गोरा चेहरा देखकर मेरे दिल ने उसे बहन मानने से मना कर दिया, मेरी मम्मी ने मुझे व पापा को बचपन में ही छोड़ दिया था वो अपने आशिक के साथ भाग गई थी।


मेरे पापा ने मुझे माँ और बाप दोनों का प्यार दिया है, मैने उनकी खुशी के लिए ही शादी को हां कर दीया।


पापा ने एक दिन कहा के रूपाली यानी मानसी जी की बेटी हमसे मिलना चाहती है, मेरा जाने का मन नहीं था तो मैने बोल दिया के पापा और माधव अंकल जा कर मिले।


मिलने का जो दिन तय हुआ था उसी दिन संयोग से माधव अंकल की तबियत खराब हो गई, पापा अकेले जाने में कतरा रहे थे तो मजबूरन मुझे ही जाना पड़ा।


हम दोनों कैंडोलिम बीच पहुंचे रूपाली को हमने लोकेशन भेजी , मेरे पास उसका मैसेज आया की वो पहुंच गई है।


पापा को एक बिज़नस कॉल लेनी थी तो वो उधर से हट गए, जब मेरे सामने रूपाली आई तो मैं उसपर मोहित हो गया।


एक दम गोरा चेहरा खूबसूरत सी आँखें मस्त लाली से सजे होठ थे उसके।


 हमने हाथ मिलाया उसका हाथ इतना मुलायम था कि जैसे रूई की गुड़िया है।


उसकी आँखें इतनी नशीली थी के मैं उन्हीं में खो गया, उसने मुझे अपना परिचय दिया फिर बोली “आप राजेश जी के दोस्त माधव होना?”


मैं उसके रूप को देखकर ऐसा पागल हुआ कि सच नहीं कह सका, मैने हां बोल दिया।


उतने में पापा आ गए हमने खूब बाते करी, मेरी नज़रे रूपाली से हट ही नहीं रही थी। मैने उसे लाइन देने की कोशिश करी टेबल के नीचे से मैं उसके पर सहलाने लगा।


उसने मेरी हरकत पर मुझे मुस्कुराकर देखा, मैं उसके पैर सहला रहा था वो भी मुझे पूरी लाइन दे रही थी, मेरे दिल में एक पल को भी ये ख्याल नहीं आया की ये मेरी होने वाली बहन है। ये Antarvasna Incest Desi Sex Story आप GaramKahani.com पर पढ़ रहे हो।


उस दिन के बाद से शादी के दिन तक हमने फोन पर काफी बाते करी धीरे धीरे हम नज़दीक आने लगे हमारी बाते चुदाई तक पहुंचने लगी।


हम जब भी मिलते तो मैं उसे छूने की कोशिश करता कोई भी अकेली जगह मिलती तो मैं रूपाली के होठ चूसना शुरू कर देता।


जब जब मैं रूपाली को गोद में लेकर उसकी चूंची मसलता तो वो मेरे कान में अपनी मादक गर्म सांसे आआह! हमममम! ओह ! आआह जान हमममम! करते हुए लेती।


मेरा उससे दूर रह पाना मुश्किल होने लगा था, रूपाली भी चुदाई के लिए पागल होने लगी थी। 


मैं उसे अपने लन्ड की तस्वीरें भेजता वो मुझे अपनी चूंची व चूत की तस्वीरें दिया करती।


वो कहती थी के वो वर्जिन है मगर मुझे यकीन नहीं हो पाता क्योंकि उसका जिस्म बेहद कामुक था। उसके 32 साइज और ओवल शेप के चूंचे, कमर 30 की व गांड़ 34 की थी।


उसकी गांड़ पर चट चट कर के थप्पड़ लगाना मुझे बहुत पसंद था।


फिर आता है शादी का दिन, हमने घर को दुल्हन जैसे सजाया था। हम सब खुश थे रूपाली अपनी मोम के साथ हमारे घर रहने आ रही थी।


मैं खुश था लेकिन परेशान भी था रूपाली की नज़रों में राजेश मेरे पिता नहीं दोस्त थे मैं समीर नहीं माधव था, हम दोनों भाई बहन बनने वाले थे लेकिन मुझे रूपाली से प्यार हो गया था।


मैं इन ख्यालों में था तभी रूपाली ने मुझे अपनी तस्वीर भेजी उसमें वो लहंगा पहने थी ऊपर सिर्फ लाल ब्रा था, मेरा दिमाग घूम गया मुझे अब हर हाल में उसे चोदना था।


मैने सोच लिया अब जो होगा देखा जाएगा, शादी वाले दिन मैने काम में व्यस्त होने का बहाना करा फिर इधर उधर भागने लगा लोग कम थे इसलिए मैं रूपाली के सामने किसी से नहीं मिलता था।


मगर जब भी मुझे रूपाली कही अकेले मिलती तो उसे दबोच कर चूसने लगता उसने शिकायत करी के उसके होठों पर सूजन आ गई है।


मुझे उसकी बात पर हसीं आ गई। शादी अच्छे से सम्पन्न हुई हम सब ने खूब शराब पी, सब लोग नशे में चूर थे।


मेरे सर पर तो शराब व हवस एक साथ चढ़ी हुई थी मैने देखा की मानसी जी को लड़कियां और रूपाली पापा के कमरे में छोड़ने जा रहे है छुप छुपाकर मैने भी एक कमरा सुहागरात की तरह सजा लिया था।


मैने रूपाली को वॉट्सएप करा के वो ऊपर आ जाए हमारी सुहागरात की तैयारी हो गई है।


मैने सेक्स का समय बढ़ाने के लिए 2 गोली खाली, मेरा कमरा पापा के कमरे के पास था लेकिन डर की वजह से मैने सीडीओ के तरफ ही एक कमरे को अपनी सुहागरात के लिए सजाया था।


रूपाली को मैने बोल दिया के सीडीओ के पास वाले कमरे में आए और अपना दरवाज़ा बंद कर लिया टाके कोई और न आ जाए।


मैं अपनी दुल्हन का इंतज़ार का रहा था मुझे शराब व गोली का पूरा असर चढ़ चुका था मेरे दिल की धड़कन रेल के इंजन की तरह दौड़ रही थी।


लन्ड किसी लोहे के सरिए जैसा सख्त होकर खड़ा था मुझे कपड़ो में परेशानी होने लगी थी मेरे लन्ड की लंबाई 7 इंच थी और वो 3 इंच मोटा है, अंडरवियर की वजह से मुझे दर्द होने लगा था।


रूपाली को आने में बहुत देर लग रही थी मैने उसे कॉल करी मगर उसने फोन नहीं उठाया फिर मैने उसे वॉट्सएप पर भी काफी मैसेज भेजे मगर कोई जवाब नहीं आया।


मैं उठा और कमरे के बाहर रूपाली को देखने आने लगा रात काफी होने लगी थी, सभी मेहमान जा चुके थे।


बाहर काफी अंधेरा था, मुझे रूपाली नहीं दिख रही थी मगर पापा के कमरे से अआआह! ओह! डैडी! 


हम्मम! उओओ! अआआह!


की आवाज़ आ रही थी मैने जाकर देखा तो रूपाली और मेरे पापा मस्त चुदाई में लगे थे, मुझे देखकर बहुत हैरत हुई।


रूपाली की अआआह! ओह! डैडी! 


हम्मम! उओओ! अआआह!


भरी आवाज़ मुझे उकसा रही थी मुझे गुस्सा भी था लेकिन हवस मेरे सर पर चढ़ी हुई थी। मुझे समझ नहीं आया मैं क्या करूं। ये Antarvasna baap beti ki sex kahani आप GaramKahani.com पर पढ़ रहे है।


मुझे मानसी माँ का ख्याल आया वो क्या कर रही होंगी, मैने सोचा उनको ये सब बता देना चाहिए रूपाली ने मुझे धोखा दिया था।


मैने माँ के कमरे का दरवाज़ा खट खटाया वो बंद था मगर सिर्फ डोर लॉक लगा था तो बाहर से मैने उसे खोल लिया।


मै माँ को पापा और बहन की चुदाई के बारे में बताने के लिए कमरे में गया लेकिन दरवाज़ा खुलते ही मेरे होठ सिल गए।


धीमी लाइट में मैने अपने सामने एक अप्सरा को बैठे पाया उन्होंने रूपाली जैसे ही ब्रा पहनी थी मगर चूंचे काफी बड़े थे शायद 48 के होंगे।


उनके चूंचे ब्रा फाड़कर बाहर निकलने को तैयार थे, उन्होंने अपने कपड़े उतार रखे थे क्योंकि मुझे उनकी मस्त कमर साफ दिख रही थी।


मेरे लन्ड ने मेरे दिमाग पर काबू कर लिया, मैने पास से एक कपड़ा उठाया और अपनी माँ के पास गया फिर उनकी आँखें रुमाल से ढक दी।


उन्होंने बोला “जी, कहा थे मैं कब से आप के लिए तरस रही हूं।” मैने शिशश; कर के उनके होठों पर उंगली रखदी।


उनमें से ग़ज़ब की मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी उनकी महक लेते हुए मैने अपने होठों उनकी गर्दन पर रख दिया।


उनकी सीसससस हम्मम! की आवाज़ के साथ एक मादक सिसकारी निकली।


मैं उनके गले को चूमता हुआ आगे आने लगा। मैने उनके चूंचे को सहलाया तो वो सिहर गई।


धीरे धीरे कर के मैं उनके गले को चूमता हुआ चूंची की गहराई की तरफ आने लगा।


मानसी एक मस्त माल औरत थी मुझे अपने पापा से जलन महसूस हुई उन्होंने माँ बेटी दोनों को दबोचने का इंतज़ाम कर लिया था।


आगाह! हमममम! उफ्फ राजेश कहते हुए वो मेरे बाल सहलाने लगी।


मैने उनकी ढकी हुई आँखों पर चूमा फिर उन्हें बिस्तर पर लेटा लिया, मैने आराम आराम से उनको सहलाता हुआ ऊपर चढ़ा।


उनका पेट हल्की रोशनी में चमक रहा था मैने उस मक्खन जैसे चिकने पेट को प्यार से चूमा माँ के मुंह से उफ्फ! की आवाज़ निकली। फिर मैने उनकी ब्रा खोली उनके काले निप्पल मेरे सामने थे।


मेरे चूंचे सहलाने पर माँ उत्सुक हो गई उन्होंने अपने हाथ मेरे हाथ पर रखकर अपने चूंचे मसले फिर मैं आगे बढ़ा और उनके चूंचे पीने लगा।


मैं एक तरफ़ से निप्पल पीता तो दूसरी तरफ से निप्पल नोचता, दूसरा निप्पल चूसता तो पहले निप्पल को निचोड़ देता।


फिर धीरे धीरे अपनी ज़बान से माँ को चूंची से गले तक मैं सहलाता हुआ गया कुछ पलो में मैने उनके होठों को अपनी ज़बान से छुआ।


उनकी गर्म सांसे मुझे दीवाना कर रही थी, मैने अपनी ज़बान को उनके मुंह में डाला और अपने होठ उनके होठों में दबा दिया। ये mom son hindi sex story आप GaramKahani.com पर पढ़ रहे है।


वो वासना में उतावली थी उनकी कामुकता अधिक भड़क गई, वो मेरी ज़बान को अपने मुंह में लेकर चूसना लगी।


उम्ममम! ओमहमम! 


अंआओम! मम्म्ह! हम्मम! उम्मं।


की आवाज़ें कमरे में घूमने लगी, वो अपनी मोटी टांग से मेरे लन्ड को सहलाने लगी हम आपस में अपनी जांघ घिसने लगे।


उनकी मोटी गांड़ शायद 46 के आसपास की होगी उसके ऊपर चूत बिल्कुल पाओ रोटी जैस फूली हुई थी।


मैने अपनी नंगी माँ को बाहों में लिया और बेधड़क उन्हें चूसने लगा, मेरी माँ कान में बोली “जान अब रहा नहीं जाता, मैं प्यासी हूं मेरी प्यास बुझाओ आज।”


मैने एक हाथ से उनकी पैंटी उतारी माँ मेरी गांड़ दबाते हुए मुझे भी नंगा करती चली गई।


फिर मैने उनकी टांगे खोली उनकी चूत महक रही थी, वो गीली हो चुकी थी, मानसी माँ मुंह खोले गर्म आहे भर रही थी।


उनका चेहरा देखते हुए ही मैने उनकी चूत पर लन्ड सहलाया उनकी चूत के छेद को मैं लन्ड से घिस रहा था उनकी आअआआ! करोना जान! मैं मर जाऊंगी इस तड़प से!


आगे की कहानी : "हमारी पारिवारिक सुहागरात भाग 04"


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