हमारी पारिवारिक सुहागरात!

Incent Family Sex Story : पढिए एक ऐसी गरम और Kamuk Antarvasna दास्तां जिसमे एक बेटी अपने ही पिता जी से और एक माँ अपने ही बेटे से सुहागरात के दिन गलती से चुद जाती है! 


तो आज की कहानी मुझे एक भाई बहन ने भेजी है दोनों ने एक साथ मिलकर उस कहानी को बताया है।


उन भाई बहन ज़िंदगी की कहानी पारिवारिक चुदाई की कहानी में कैसे बदल गई? ये जानने के लिए पढ़िए इस कहानी को और आखिर में ज़रूर बताना के कैसी लगी आपको ये कहानी।


सब लोगों को मेरा हेलो मेरा नाम रूपाली है, मैं पिछले दिनों दिमागी तौर पर काफी तनाव में थी क्योंकि मेरी ज़िंदगी ने मेरे साथ कुछ इस तरह खेला की घर परिवार के मायने मेरे लिए पूरी तरह बदल गए।


मैं इस कहानी को अपने भाई के साथ मिलकर लिख रही हूं हम दोनों अपना नाम बदलकर आपको सुनाएंगे।


जैसा कि मैने बताया मेरा नाम रूपाली है और मुंबई से गोवा जाने वाले रास्ते के बीच में ही मेरी एक कॉस्मेटिक की शॉप व घर है।


इस शॉप को मैं अपनी मोम के साथ चलाती हूं वो एक सिंगल मदर है।


मेरी माँ ने बहुत मुश्किलों से मुझे पाल पोसकर बड़ा किया था लेकिन मुझे नहीं मालूम था ज़िंदगी मुझे कहा ले जाएगी तो जानिए हमारी पारिवारिक सुहागरात के बारे में।


ये कहानी उस समय की है जब मेरी उम्र 18 साल थी, आज मेरी उम्र 25 साल है और अभी मैं अपने भाई के लन्ड को चूत में लेकर बैठी हुई इस कहानी को लिख रही हूं।


जब मैं 10 साल की थी तो मेरे पापा एक कार हादसे में गुज़र गए।


मेरी मोम की शादी जल्दी हो गई थी उनकी और मेरी उम्र के बीच बस पंद्रह साल का फर्क है।


हम दोनों ही बला की खूबसूरत कामुक महिलाएं है मेरे चूंचे 32 साइज ओवल शेप के है, मेरी कमर 30 की व गांड़ 34 की है।


मुझे जिम का शोक है इसलिए फिगर मस्त गदराया हुआ है, मेरी मोम मुझसे भी अधिक कामुक महिला है उनकी उम्र इस कहानी के समय 32 साल थी उनके चूंचे भारी भारगम 40 के साइज़ व कमर 36 और गांड़ 38 की थी।


सच कहूं तो मैं खुद भी बहाने से अपनी मोम के चूंचे या गांड़ पर हाथ फेर लिया करती थी।


एक दिन मेरी मोम ने मुझसे बोला के वो शादी कर रही है कोई है उसकी उम्र 35 है उन दोनों की पिछले 6 महीने से बाते चल रही थी इंस्टाग्राम पर।


मोम ने कहा कि पहले मैं एक बार उनसे जा कर मिलु अगर मुझे ठीक लगेगा तो ही बात को आगे बढ़ाएंगे।


मोम ने मुझे उनकी तस्वीर दिखाई और उस तस्वीर में तीन लोग थे, मोम के मुताबिक एक वो था जिससे शादी की बात करनी है यानी राजेश एक उनका दोस्त था माधव और एक उनका बेटा था समीर।


तीनों ही मर्द हसीन रूप के थे लगभग एक जैसी शक्ल थी नुकीले नैन नक्श गोरा चेहरा बालों का स्टाइल अलग था, मगर जिस्म से तीनों तगड़े लग रहे थे।


माफ करना मैने अपनी मोम का नाम नहीं बताया उनका नाम मानसी है मैं बस उनको मोम कहती हूं।


हमने मुलाकात का दिन पक्का करा हमारे बीच बात पक्की हुई कि मैं अकेली जाऊंगी और राजेश जी अपने दोस्त के साथ आएंगे।


मेरी फूटी किस्मत थी की मैं भूल गई कि तस्वीर में कौन उनका दोस्त है कौन बेटा वो तीनों लगभग दिखने में एक जैसे थे।


मेरे सामने उनका दोस्त आया यानि माधव दिखने में वो मेरी उम्र से बस थोड़ा ही बड़ा था, जब हम मिले तो उसने बहुत इज़्ज़त के साथ मुझे वेलकम करा।


जैसे ही मैं उससे मिली तो मैने अपना परिचय दिया "Good Afternoon, मेरा नाम रूपाली है मानसी मेरी मोम है और आप राजेश जी के दोस्त माधव होना?”


उन्होंने हां कहा फिर उन्होंने बताया कि “राजेश अभी आ रहे है तब तक हम कुछ खाने का मांगा लेते है।”


मेरी नज़रे बस माधव के होठों और गालों पर थी इतना साफ चेहरा, कोई लकीरें नहीं, उसके चमकते होठ थे।


मैने उनको पूछा के आपकी उम्र कितनी है तो उसने बताया के उसकी उम्र 24 साल है।


मैं पहली नज़र में लगभग अपना दिल माधव को दे चुकी थी अभी तक मैं वर्जिन थी काफी लड़के मेरे आगे पीछे थे मगर मुझे कोई पसंद नहीं आता था।


कुछ देर बीती थी के राजेश भी आ गए, उनको देखकर मेरी आंखे चमक गई वाह! क्या खूबसूरत मर्द था।


मज़बूत जिस्म चोड़े कंधे कद थोड़ा कम था मगर मानसी मोम के कद अनुसार परफेक्ट था। आप ये group sex story Garamkahani.com पर पढ़ रहे है।


माधव और राजेश जी की शक्ल काफी मिलती थी उनकी पक्की दोस्ती की वजह शायद यही हो मुझे ऐसा लगा।


हमने बाते शुरू की मैने उनसे उनके बेटे के बारे में पूंछा तो उन्होंने बताया कि “मेरा बेटा मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, माधव के कंधे पर हाथ रखकर वो बोले कि माधव, समीर और मैं बस यही हमारा छोटा सा परिवार है।


मुझे मानसी मेरी ही सोच व समझ की लगी हमारी जिंदगी की कहानी एक सी थी इसलिए मुझे उनमें अपनापन मिला जिस वजह से मैने उनके मेरा मतलब आप लोगो के साथ जिंदगी बिताने की सोची।”


राजेश जी मुझे अपनी मोम के लिए पसंद आ गए साथ ही मुझे माधव भी दिल ही दिल में भा गया था।


वापसी में उन्होंने मुझे अपना घर दिखाया मुझे अफसोस था कि उनके बेटे समीर से मेरी मुलाकात नहीं हो सकी, जितनी देर मैं उन दोनों के साथ रही माधव मुझे लाइन देता रहा मैं भी उसकी लाइन लेती रही।


मुझे लगा था के माधव के साथ मेरा कुछ हो सकता है। वापस आते हुए मुझे खुशी थी के हम माँ बेटी को एक साथ ही अपनी पसंद मिल गई।


जब मैं वापस घर आई तो मोम मेरी रज़ामंदी पर बहुत खुश थी, मैं भी अपनी मोम के लिए खुश थी।


हमें किसी से कुछ पूछना नहीं था तो राजेश जी व मेरी मोम ने मिलकर एक महीने बाद शादी डिसाइड कर ली, राजेश जी की ज़िद थी के मैं उनकी बेटी बनकर उनके साथ रहूं ताकि हमारा परिवार पूरा हो जाए।


मगर मुझे अंदाज़ा नहीं था के ये family incest chudai ki kahani वाला परिवार बनेगा।


उस दिन के बाद माधव और मेरी रोज़ बात होती हमने एक दूसरे की पसंद न पसंद सब पूछ ली थी, मैने मज़ाक में कहा कि तुम राजेश जी के बेटे जैसे लगते हो।


तो उसने भी मज़ाक मैं बात उड़ा दी कि फिर तुम मेरी बहन बनोगी।


शादी से पहले मेरी और माधव की एक दो बार मुलाक़ात हुई, मुझे माधव से प्यार सा हो गया, लेकिन माधव के सर पर हमेशा इमरान हाशमी चढ़ा रहता था।


वो कही भी अकेली जगह पाकर मेरे करीब आने की कोशिश करता, वैसे मैने भी कभी उसे रोका नहीं मुझे उसका मेरे करीब आना अच्छा लगता था।


फिर आया शादी का दिन जब मेरी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई, शादी का घर अच्छे से सजा था लेकिन मेहमानों के नाम पर बस दोस्त, ऑफिस के साथी और कुछ मिलने वाले थे।


लोग कम होने के कारण शादी जल्दी निपट गई, पूरी शादी में मेरी छेड़छाड़ माधव के साथ चालू थी समीर ने मुझसे कुछ खास बात चीत नहीं करी वो पूरा समय अपने फोन में व्यस्त था। 


मैं, मोम के साथ अपना बोरिया बिस्तर लेकर राजेश जी के घर आ गई थी।


माधव ने शादी खत्म होते होते मुझे बहुत चूसा, उसने मेरा बाथरूम जाना भी मुश्किल कर दिया था।


मोम राजेश जी के साथ तैयारियों में लगी थी मैं कपड़े बदलने अपने कमरे में गई उसी समय मेरे बाथरूम से माधव निकला और दरवाज़ा बंद कर के मुझे चूमने लगा।


उसकी वजह से मेरी चूत हर समय गीली रहती थी, वो हर घंटा मुझे अपने लन्ड की तस्वीर देता रहता मैने अपना चेहरा शीशे में देखा तो आँखें हवस और चुदाई की प्यास के कारण लाल थी।


एक तो आज शादी का माहौल सुहागरात की तैयारियां उसपर माधव एक कामुक मर्द था उसने मुझे बिस्तर पर धकेला।


हमममम! उफ्फ! बेबी!


मुझे चूमते हुए उसकी सिसकारी निकल रही थी जो मुझे जोश दिला रही थी।


मेरे होठों को चूमते हुए माधव ने कान में कहा “आज हमारी भी सुहागरात है जान, पहली मंज़िल पर सीडीयों के पास जो कमरा है मैने उसे हमारी सुहागरात के लिए तैयार कर रखा है आ जाना।”


वो ज़ालिम मुझे वासना की आग में जलता छोड़ गया, मेरी सील टूटते टूटते रह गई।


शाम तक सबने खूब शादी एंजॉय करी मेरी आँखें भर आई मेरी माँ बहुत खुश थी, आज मैने अपने मोम डैड की शादी अटेंड करी थी। मैं खुदको सौभाग्य शाली समझ रही थी।


रात में फिर दारू पार्टी चालू हो गई, सबने खूब दारू पी मैं नॉर्मली नहीं पीती हूं मगर खुशी का मौका था तो खुदको नहीं रोक सकी।


हम माँ बेटी दोनों नशे में थे, राजेश जी मतलब मेरे डैड के ऑफिस की लड़कियों ने मेरी मदद करी उनके साथ मिलकर मैने अपनी माँ को सुहागरात के लिए कमरे में भेज दिया।


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नशे से मेरा सर घूम रहा था मेरे दिमाग में माधव की बाते घूम रही थी आज मेरी भी सुहागरात थी मेरी सील टूटनी थी।


मैं डैड को देखने बाहर गई वो बाहर नहीं थे समीर ने बताया के वो ऊपर की तरफ गए थे।


उसी समय लाइट चली गई इनवर्टर की रोशनी थोड़ी हल्की थी तभी माधव का वॉट्सएप आया “आ जाओ मेरी जान मैं इंतज़ार कर रहा हूं।”


मैं नशे में थी, मुस्कुराते हुए बहकते कदमों से ऊपर अपनी सील तुड़वाने जाने लगी।


मैने मैरून रंग का लहंगा पहना था मोम और में एक जैसे लहंगे में थे, हमने ब्लाउस की जगह सिर्फ तेज़ लाल रंग की ब्रा पहनी थी फिर उसके ऊपर चुन्नी ले रखी थी।


हमारे चूंचे कपड़े फाड़कर भाग निकलने को बेताब थे, नीचे से पेट बिल्कुल साफ चमक रहा था।


मेरी गांड़ तो अच्छे से ढकी हुई थी मगर मेरी मोम की गांड़ देखकर मेरे भी मुंह में पानी आने लगा था।


लड़खड़ाए कदमों से मैं पहली मंज़िल तक पहुंची ऊपर सीडीओ के पास दो कमरे थे एक में मेरी मानसी मोम चुदने के इंतज़ार में बैठी थी, और दूसरे कमरे में उनकी बेटी चुदने जा रही थी।


वहीं बराबर में एक कमरा थोड़ा खुला हुआ था जिसमें मेरी जान माधव मेरा इंतज़ार कर रहा था, मैं अंदर चली गई।


कमरे में अंधेरा था, हल्की रोशनी में उसकी सुहागरात वाली सजावट मेरी हवस भड़का रही थी ए सी अपने शबाब पर था शराब का सुरूर मेरे सर पर चढ़ चुका था।


माधव एक कंबल ओढ़े मुंह ढक्कर लेटा था, उसकी शरारत से मेरी हल्की सी हसी छुटी मैने कहा “मुझे बुलाकर खुद सोए हो अभी बताती हूं।”


मैने अपने गहरे सूखे लाल होठों पर ज़बान फेरी और उनको अपने रस से गिला करा फिर निचले होठ को कांटा ।


मैं बिस्तर के करीब पहुंची तो मैने माधव को उठाने के लिए नीचे से कंबल हटाया।


वो शेरवानी और पजामा पहने लेटा था शायद अंडरवियर नहीं था उसके लन्ड की मोटाई मुझे दिख रही थी।


मैने उसके पैरों को हिलाया मगर वो नहीं उठा मुझे लगा वो सो रहा है, लेकिन मुझसे अब चूत की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।


मैने नशे में झूमते हुए माधव के घुटनों को चूमा, प्यार से चूमते हुए मैं लन्ड की तरफ जाने लगी।


उम्माह! उम्मम! मेरी लिपस्टिक की लाली उसके पजामे पर होठों की मोहर बना रही थी, जब मैं चूमते हुए लन्ड पर पहुंची तो उसमें तनाव आने लगा।


उस तनाव से मेरी वासना भड़क गई, मैने पजामे का नाडा खोला फिर उसे नीचे करा मेरे दिमाग का फ्यूज़ उड़ चुका था।


माधव का लन्ड खड़ा हो गया था कुछ पल उस 8 इंच के लन्ड को मैने देखा फिर प्यार से चूमा।


मैने अपनी आँखें बंद करी और उस मूसल लोड़े को चूसना शुरू कर दिया। 


माधव भी हिलने डुलने लगा उसने मेरे बाल सहलाते हुए सर को लन्ड पर दबाना शुरू कर दिया मैने लन्ड को हल्के से काटा जिससे उसकी आह! निकल गई।


आगे की कहानी : "हमारी पारिवारिक सुहागरात भाग 02"


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