रास्ते में मिली अंजान औरत को रास्ते में ही गर्म करके चोदा!

Office से घर जाते समय मुझे रास्ते में एक अनजान औरत के साथ Sex करने का मौका मिला वो भी उसी रास्ते में! वो Desi Sex का किस्सा जब भी याद करता हूं तो हैरानी होती है के ऐसे संयोग भी इंसानी ज़िंदगी में हो सकते है क्या!


तो कैसे है आप लोग आज का किस्सा ऐसा है जिसके बारे में मैं जब जब सोचता हूं तब तब मुझे हैरानी होती की ऐसे पल भी इंसान की ज़िंदगी में आ जाते है जिनका सच्चा होना खुदको ही शक में डाल देता है।


तो मेरे प्यारे वासना के चाहने वालों ये किस्सा तब का है जब मेरी क्लीनिक पर मैने एक भाभी को फिर से जवान करा था!


जिन लोगों ने ये कहानी नही पढ़ी है तो बाद में ज़रूर पढ़ना वो कहानी भी आपका Garamkahani.com पर मिल जाएगी।


तो जब भाभी मेरे क्लीनिक ने जवान होकर गई थी उसके बाद काफी दिन हमारी मुलाकात नहीं हुई।


हमारी बस कभी कभी वॉट्सएप पर बात होती थी, दिसम्बर के महीने की बात है एक रात बहुत कड़क वाली सर्दी हो रही थी।


मुझे शाम को घर जाने में देरी हो गई, करीब रात के 11 बजे मैने क्लीनिक को बंद करा, शाम 6 बजे से भाभी के साथ मेरी बात चीत चालू थी। 


11 बजते बजते मैने उनको मैसेज पर ही चोदना शुरू कर दिया था, मेरा लन्ड उस समय बिल्कुल खड़ा हो चुका था।


सर्दी बहुत ही ज़्यादा थी और आप को अंदाज़ा होगा कि ऐसी रातों में कोहरा कितना बहुत होता है कुछ भी रस्ते पर दिखाई नहीं देता है।


कांपते कांपते जैसे तैसे घर के करीब आया मैं अपने घर से 2 गली दूर था, सड़क पर चलने में मुझे दिक्कत महसूस हो रही थी इसलिए मैने गली से ही जाना बेहतर समझा।


मेरे नए पाठकों को एक बार में अपना परिचय दे देता हूं, मेरा नाम हाशमी लायन है मैं पेशे से काउंसलर हूं जो इंसानों के जज़्बातों को समझकर उन्हें जिंदगी को आसानी से जीने के उपाय बताता है।


मैने अपनी ज़िंदगी में चरमसुख और एक औरत के जज़्बात को इतने अच्छे से समझा है।


कि औरत हो या मर्द उनकी अंदरूनी वासना से उनको मिलाने के लिए चुदाई और कामुकता भरी अन्तर्वासना कहानियां Garamkahani.com पर लिखता हूं।


चलिए वापस कहानी पर आते है, मैं जब गली में से अपने घर की तरफ जा रहा था तब उस गली में कोई नहीं था वो बिल्कुल सुनसान गली थी।


मैं कांपते हुए खड़े लन्ड के साथ थोड़ा आगे बढ़ा तो एक औरत सामने आती हुई दिखाई थी, मैने तब एक भरी जैकेट व जींस पहनी थी लेकिन उस औरत के करीब आते ही मुझे दिखा के उसने केवल ब्लाउस और साड़ी पहनी है।


उसे देखकर लग रहा था कि लूं वाली गर्मी पड़ रही है, वो जितना मेरे करीब आती जाती मेरी गर्मी बढ़ती जाती थी।


वो अंदाज़न 5 फुट की होगी, मुझसे वो लंबाई में छोटी थी जब वो मेरे करीब आई तो उसके ब्लाउस में से मुझे नाज़ुक मगर गोल मोल चूंची साफ दिख रही थी।


उसकी चूंची की गहराई मुझे पसीने दिला रही थी, मैं सामने से उसकी मटकती मस्त टांगे देखते हुए आरा था और वो मुझे घूरते हुए आ रही थी।


वो करीब आती है और हमारी नज़रे मिलती गई कुछ 3 कदम की दूरी रही होगी जो हमारी नज़रे मिली, हम दोनों एक दूर की आँखें देखते जा रहे थे, उसके अंदर बहुत तेज़ और मीठी खुशबू आ रही थी।


हम दोनों जब एक दूसरे के बराबर से गुज़र रहे थे तो मैं बस उसके पतले भूरे होठ देखे जा रहा था, मेरा दिमाग में पता नहीं किया खुराफात हुई, मैने झटके से उसे दीवार से लगाकर दबोच लिया।


वो इस के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी हुआझ्झ! करते हुए एक हल्की सी चीख उसके मुंह से निकली।


मैने अपना हाथ उसके पीछे दीवार पर रखा और उसकी आँखों में देखने लगा, वो घबराते हुए बोली “क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे”।


मैने उसकी आँखों पर आते हुए बाल कान के पीछे की तरफ करे और हाथ उसके खुले पेट पर सहलाता हुआ कमर के पीछे ले गया।


उसने अपनी तीखी नज़रे मेरी आँखों पर गड़ाई और बोली “क्या देख रहे हो? मुझे छोड़ दो जाने दो मुझे।”


मैने उसकी नज़रों को अपनी नज़रों से पकड़ा फिर बोला “देखो मुझे आपमें कुछ नहीं देखना है मैं तो बस आपकी नशीली आँखें निहार रहा हूं।” 


फिर मैने उसके होठ छुए और बोला “मुझे आपको नहीं देखना है मैं तो बस इन होठों को देख रहा हूं।”


फिर मैं उसके गालों को छूता हुआ चूंची पर हाथ ले गया और बोला “मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं तुम्हारी शक्ल मुझे नहीं देखनी लेकिन ये नर्म गाल और मस्त चूंची मुझे बेताब कर रही है।”


हम दोनों की गर्मी अब बढ़ चुकी थी वो औरत लगता है पहले से ही चुदाई के गर्म थी, उसकी सांसे मुझे अपने होठों पर महसूस हुई।


मैने उसके पेट को पकड़ा फिर अपने जिस्म को उसके ऊपर दबाया और अपने होठों से उसके होठ दबा दिए।


वो थोड़ा सा छट पटाई मगर कुछ ही पलो में शांत हो गई, मैं उसके होठों को मस्ती से खुली ठंडी गली में चूसे जा रहा था। ये अंजान Aurat को Chodne की Antarvasna kahani GaramKahani.com पर पढ़ रहे है।


रात अंधेरी हो गई थी और कोहरा बढ़ गया था।


 ये पहली बार था जब किसी अंजान औरत को मैने छुआ था वरना रास्ता चलती औरत को छूने में मुझे बहुत डर लगता है।


क्योंकी एक बार मेरे दोस्त विशाल ने रास्ता चलती एक औरत को चोदा था और तब से मेरे दोस्त को गुप्त रोग लग गया था। कौन अपने साथ क्या लेकर चल रहा है कुछ नहीं बोला जा सकता भाई। 


इसलिए बस इज़्ज़त से किसी को पटाओ और संतुष्टि होने पर ही वासना की आग बुझाओ वरना अपना हाथ चलाओ।


इसलिए रास्ता चलती किसी लड़की या औरत को छुना खतरे से खाली नहीं इस ज़माने में, मगर आज पता नहीं क्यों मेरा खुद पर काबू नहीं था।


वो औरत भी मेरा साथ दे रही थी उसने अपनी बहे मेरे गले में डाल रखी थी, कभी वो मेरे होठ चूसती कभी मैं उसकी ज़बान को चूमता उसकी लिपस्टिक बहुत मीठी थी।


उसने अपनी चूत मेरे लन्ड पर घिसने शुरू कर दी थी, वो औरत मुझे खुद से ज़्यादा उतावली लग रही थी।


वो मुझे बहुत ज़ोर से चूम रही थी मैने भी अपने होठों की पकड़ उसपर मजबूत करी फिर कम से कम 10 मिनिट मस्ती से होठ चूसने के बाद मैने कोशिश कर के उससे होठ छुड़ाए।


एक पल अपने आसपास देखा दूर दूर तक कोई नहीं था मैने उस औरत का हाथ पकड़ा और एक खाली खंडर जैसे टूटे से घर में ले गया।


वो घर बंद था लेकिन दीवार टूटी होने के कारण उसमें कोई भी आजा सकता था, इस घर ने भी न जाने कितनी चुदाई देखी होगी।


मोहल्ले के नई उम्र के लड़के अपनी जवानी को पूरा करने के लिए किसी भीख मांगने वाली को यहां लाकर अपनी पहली चुदाई का जश्न मनाया करते थे।


मैं तेज़ी से उस औरत को घर में ले गया वहां बहुत झाड़ियां थी एक कमरा था जिसका दरवाज़ा खुला हुआ था और कुंडी पर टूटा हुआ ताला पड़ा था।


मैने दरवाज़ा खोलते हुए उससे उसका नाम पूछा मगर उसने बताने से मना कर दिया बाद में मुझे उसका नाम पता चला तो आप को बतादेता हूं, वो सुधा नाम की मस्त 38 साल की औरत थी।


सुधा के चूंचे 36 के थे उसकी कमर 32 और गांड़ तब 34 की थी, मैने कमरे में घूमते ही उसे जमीन पर धकेल दिया।


मैं झट से उसके ऊपर चढ़ा और फिर से हमने होठों की चुसाई शुरू कर दी, हमममम! उम्मम! आअओम!


उम्मम! आअओम! उम्मम! आअओम!


उम्मम! आअओम! उम्मम! की मीठी सी आवाज़ें माहोल को गरमा रही थी।


वो उतावली होने लगी थी उसने मेरे कपड़े नोचे फिर मुझे चूत की तरफ धकेलने लगी, मैं समझ गया वो क्या चाहती है।


मैं उसके चूचों को चूमता हुआ पेट पर गया फिर थोड़ी देर उसकी नाभि पर अपनी ज़बान घुमाई, प्यार से उसको पेट को काटा फिर थोड़ा और नीचे गया।


आराम से चूमता हुआ मैं चूत के करीब जाने लगा, धीरे से मैने उसकी टांगे नंगी की वो मस्त जोश दिलवाने वाली हमममम! मम्मम्! उफ्फफ! सिसकारी ले रही थी।


उसकी चूत बिल्कुल चिकनी साफ थी जैसे अभी सफाई कर के मेरे लिए ला रही हो, उस में से एक अच्छे परफ्यूम की खुशबू आ रही थी।


उस खुशबू ने मेरा फ्यूज़ उड़ा दिया, मैने बहुत नर्मी से उस खुशबू वाली चूत को चूमा और उस औरत ने अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़कर चूत में दबा दिए।


मेरे होठ उसकी चूत की दरार में दब गए, वो मेरे होठों अपने चूत पर रगड़वाने लगी, मैने उसके निप्पल को पकड़कर दबाया तो उसकी पकड़ मेरे बालों से हल्की हो गई।


उसकी चूत से हल्का हल्का पानी आने लगा था, मैने ज़बान निकाल कर उसे चाटना शुरू करा उसकी टांगे थोड़ी कांपी फिर उसके हाथों ने मेरे बालों को सहलाना चालू कर दिया।


मैं अपने हाथों से उसकी चूंची दबाता जा रहा था।


अपनी ज़बान को सख्त बनाकर उसकी चूत के छेद में उतरता जा रहा था उसका छेद आराम से मेरी ज़बान को अंदर ले रहा था।


उसका स्वाद काफी मीठा था शायद ये उसमें से आने वाली खुशबू का असर था। ये Hindi Sex Kahani आप GaramKahani.com पर पढ़ रहे है।


औरत बहुत प्यारी होती है अगर उसकी आबरू को अच्छे से इज़्ज़त दी जाए, कोई ज़ोर नहीं कोई ज़बरदस्ती नहीं ये बात मुझे उसी औरत बताई थी।


सुधा बस आगाह! हमममम! 


अआआह! अब रहा नहीं जाता! ओहद्ह!


जो करना है जल्दी करो! हम ओह! बहुत अच्छे से कर रहे हो।


उसकी चूत पानी निकलने से एक दम चिकनी हो गई थी, मैने अपने सारे कपड़े उतारे उसको भी पूरा नंगा करा, उसने नंगी होने मैं मदद करी।


मैं उसके ऊपर लेटा, अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी टांगे खोली उसकी चूत के छेद पर अपना लन्ड रखा।


हम दोनों नज़रों नज़रों में खो चुके थे न उसने आँखें बंद करी न मैने आँखें बंद करी।


वो अपने मस्त होठों को ज़बान से गिला कर के मुझे लच्छा रही थी लन्ड चूत के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा था चूत उसके स्वागत में अपनी ज़मीन तैयार कर रही थी।


उसकी आँखों से आँखें मिलते हुए मैने एक धक्का लगाया उसकी अआआह! निकल गई मैने अपनी आँखें बंद नहीं करी मैं बस उसके चेहरे के बदलते रंग देख रहा था।


मैने लन्ड थोड़ा बाहर लिया फिर दोबारा एक ज़ोर का झटका लगाया।


उसकी चूत में काफी जगह थी वो मेरा पूरा लौड़ा अंदर ले गई उसका मुंह खुल गया उसने बहुत नाज़ुक सी आऊह! ओहद्ह! की आवाज़ निकाली।


फिर मैने धक्के लगाना शुरू करे मैं बस उसके चेहरे को देखकर मज़ा ले रहा था उसके बदलते रंग मेरे जोश को बढ़ा रहे थे।


वो मेरे होठ चूसने के लिए उठी मगर मैने उसे रोक कर धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।


वो बस आअआआअह! हमममम!


ओहोहो! अआआह! करते रहो अआआह!


उसकी हांफती आवाज़ बहुत कामुक थी।


वो बहुत अच्छे से मेरे लन्ड पर चूत धकेल रही थी, उसने मुझे पलटा और मेरे ऊपर आकर बैठ गई।


मेरा लन्ड चूत में लिए वो उछाल मार रही थी, उसकी चूंची मेरे सामने कूद रही थी, मैं नीचे से तेज़ी से धक्के लगा रहा था वो ऊपर से पूरी जान लगा रही थी।


मैने उसे फिर नीचे खींचा और उसके ऊपर चढ़ गया, उसके होठों को चूसकर तेज़ी से धक्के लगाने लगा।


हमारी हमममम! मम्मम्!


औऊउझ! हमममम! ओह!


अआआह! मम्मम्! आआह।


की आवाज़ें निकल रही थी, ताबड़तोड़ 30 मिनिट की चुदाई के बाद हम अपने चरम सुख को पहुंचे।


मैने उसे लन्ड चूसने के लिए बोला मगर उसने मना कर दिया, इन बातों में कभी मैने किसी से ज़िद नहीं की लेकिन प्यार से मनाने की कोशिश करी है और कामयाब भी हुआ हूं।


हमने प्यार से एक बार होठों को चूमा फिर एक दूसरे को कपड़े भी पहनाए।


वहां से निकलते हुए हमने अपने नंबर बदले मैने नाम पूछा मगर उसने मना कर दिया जब हम बाहर निकल रहे थे तो घर के कमरे की पिछली तरफ से कुछ आवाज़ें आती हुई सुनाई दी।


हमने जाकर देखा तो, 3 नई उम्र लड़के एक मांगने वाली को लन्ड चुसवा रहे थे। वो मांगने वाली को अक्सर में अपनी गली के बाहर देखता था वो उन लड़कों को डांटते हुए चोदना सिखा रही थी।


मैं और वो औरत छिपकर उस जगह से निकले फिर अपने अपने रस्ते चल दिए।


तो आप लोगो को ये कहानी कैसी लगी मुझे नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताना! धन्यवाद।


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